BiggBoss 13 यानी टेडा सीजन, यह एक ऐसा रियलिटी शो है जिसे हम मीडिया टेलीविज़न या अखबारों की हेडलाइंस में हर रोज देखते हैं| चलिए जानते है इस हफ्ते क्या-क्या हुआ!
यह कहना गलत नहीं होगा की BiggBoss के घर में जो सदस्य है वो एक सेलेब्रिटी ही हैं, हरकतों को देखकर शायद नहीं लगता है की सेलेब्रिटी ऐसे भी होते हैं| वैसे इन दिनों अलग-अलग टीमें बनी हुई हैं और काफी हलचल मची हुई है| इस हफ्ते की बात की जाए तो टास्क के दौरान काफी टूटा-फटी, और एक दूसरे के बीच मन मुटाव देखने को मिले| आपने देखा होगा की किस तरह शो के किंग सिद्धार्थ शुक्ला को सभी घरवालों ने ख़ूब घेरने की कोशिश की| लेकिन सिद्धार्थ जो हैं आखिर वही दिख रहे हैं क्योंकि असल जिन्दगी के पल जिसने भी बिताये वो सब यही बोल रहे है सिद्धार्थ जैसा है वैसा ही दिख रहा है इस शो में|
सिद्धार्थ शुक्ला और आसिम रियाज़ शुरूआती दिनों में तो काफी अच्छे दोस्त बनकर घर में रहे लेकिन इन दिनों दोनों दोस्त नहीं एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बने हुए है| इस कारण घर भी दो टीमों में बट चुका हैं यानि टीम आसिम और शुक्ला टीम| कल के एपिसोड की बात जाए तो वीकेंड के वार में सलमान खान ने घरवालों को नसीहत दी| उन्हीने बताया बच्चों जैसे टास्क को भी आप लोग तमीज से नहीं कर पा रहे तो मुझे नहीं लगता आप सब घर में रहने लायक हो| सलमान को काफी गुस्सा आया और सभी को घर से बेघर होने को कहा| सिवाय चार के आरती, सैफाली बग्गा, माहिरा शर्मा और मधुरिमा क्योंकि इन्होने किसी के साथ कोई धक्का-मुक्की नहीं की थी|
इस हफ्ते नॉमिनेटेड सदस्य थे आसिम, शेफाली जरीवाला, हिमांशी और रश्मि देसाई इन चार सदस्यों में से जो घर से बाहर हुईं वो थी हिमांशी| हिमांशी घर से बेघर होते ही घर वालों पर भड़की और कहा शो में पारस का कोई योगदान नहीं था। जबसे वह सिद्धार्थ शुक्ला की टीम में थे तब से तो बिल्कुल ही गायब से हो गए थे। हाल ही में उनके हाथ में चोट आई है तो वह घर से बाहर ही हैं। बहुत ही जल्द वापस आ जाएंगे। लेकिन उन्हें बिल्कुल बाहर हो जाने चाहिए। देवोलिना की तबियत बिगड़ गई थी, जिसके चलते उन्हें जाना पड़ा। वह एक बहुत ही मजबूत खिलाड़ी हैं। इस हिसाब से उनका जाना थोड़ा खल गया।’ पारस और माहिरा के ऊपर उन्हें अभी भी बहुत गुस्सा है। वह कहती हैं, ‘ये दोनों बाकी लोगों को ही निशाना बनाते हैं। इनमें इतनी शक्ति नहीं है कि खुद पर भी बातें लें। ये दोनों लोग बहुत ही गुस्सा दिलाने वाले और गंदे खेल को अंजाम दे रहे हैं।’
बहुत ही गुस्से वाली चीज़ों को लेकर प्रतिक्रया देने के बारे में उन्होंने कहा, ‘हम सभी दोस्तों ने पहले से ही यह योजना बनाई थी कि बात अगर बहुत ज्यादा ख़राब होगी तो हम एक दूसरे का ध्यान भटकाएंगे, ताकि स्थिति ज्यादा रोष वाली न बनें। दूसरी तरफ से तो हमें उकसाने की कोशिशें हर वक्त होती थीं। सुबह आठ बजे ही हमारे कान के पास लाकर थालियां बजाई जाती थीं, गंदे गंदे मुँह बनाकर घूमते रहते थे। संयम रखने का तो ऐसा अनुभव हुआ है कि बाहर जाकर मुझे कोई डांट भी देगा तो मैं प्रतिकिया नहीं दे पाउंगी।’