प्राचीन काल से ही मानव वनों पर निर्भर रहा है। मानव को वह हर वस्तु वनों से प्राप्त हुई है, जो उसको जरूरत है। वन मानव के लिए एक अनोखा प्रकृति का उपहार है, जो एक वरदान साबित हुआ है। यह वरदान केवल मानव के लिए ही नहीं अपितु इस पूरे संसार के जीव-जंतुओं के लिए भी महत्व रखता है।
प्राचीन काल में महत्व
वन प्रकृति का एक अनमोल तत्व है। इसका प्राचीन काल से ही हर उस जीव ने उपयोग किया है, जो इस पृथ्वी पर जीवित है। प्राचीन काल में ऋषि मुनियों का तपस्या करने का प्रमुख स्थान वन ही हुआ करता था। ऋषि मुनि व उनके शिष्य वनों को प्रमुख महत्व दिया करते थे क्योंकि इससे बढ़िया स्थान कहीं हो ही नहीं सकता था। यहां पर शुद्ध ताजी हवा, शांति व शीतलता को महसूस किया जा सकता था। प्राचीन कालीन लोग वनों को पवित्र स्थान मानते थे। वनों में तो हिंदू देवी-देवताओं ने भी रहकर जीवन के कुछ वर्ष बिताए है।
आधुनिक काल में
आधुनिक काल में मनुष्य वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहा है जिस कारण से वातावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म हो रहा है क्योंकि वनों से मिलने वाली स्वच्छ हवा का वातावरण में अनुपात कम हो गया है व जहरीली गैसों का अनुपात बढ़ गया है। इस कारण से हवा प्रदूषित हो गई है। अगर मानव ने अभी वनों के महत्व को नहीं समझा तो आगे चलकर भयानक परिस्थितियां देखने को मिल सकती है।
चिकित्सा के क्षेत्र में
हम जैसा जानते हैं, कि वन प्रकृति का एक अनमोल तत्व है। इससे विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए औषधियां तैयार की जाती है। आधुनिक काल में वनों से बनने वाली दवाइयों को आयुर्वेदिक नाम से जाना जाता है। वनों को औषधियों का स्त्रोत कहा जा सकता है क्योंकि लगभग 95% औषधियों केवल वनों से ही प्राप्त की जा सकती है। वनों का हर वृक्ष मानव के लिए बहुत उपयोगी होता है। हर किसी ना किसी वृक्ष में औषधीय गुण आवश्यक रूप से पाया जाता है। कुछ वृक्षों के नाम जो कि आयुर्वेदिक विज्ञान में शीर्ष स्थान पर हैं जैसे- आंवला, नीम, बबूल, पीपल, बरगद, अर्जुन इत्यादि।
वायुमंडल का संतुलन बनाने में
वायुमंडल का संतुलन बनाने में वनों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इन वनों के द्वारा वायु का बहाव पूरे वातावरण में होता है। इस कारण से एक ही स्थान पर ना ही अधिक गर्मी होती है और ना ही अधिक ठंड। यह केवल ऋतुओं के अनुसार होता है और ऋतुओं का बदलना वनों पर ही निर्भर करता है। वातावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को वनों द्वारा सोख लिया जाता है और वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि करते हैं। दुनिया भर में उपस्थित पेड़ों की विभिन्न प्रजातियों में से पीपल वृक्ष एक ऐसा वृक्ष है, जो दिन और रात दोनों ही समय ऑक्सीजन को प्रदान करता है। अन्य वृक्ष केवल दिन में ही ऑक्सीजन को प्रदान करते हैं व रात में कार्बन डाई-ऑक्साइड को ग्रहण करते हैं।
इसके अतिरिक्त दुनिया में अगर वनों के महत्व को नहीं समझा गया तो इसके बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है। हमें वनों की मात्रा में वृद्धि करनी चाहिए। वन मानव जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण है इसलिए वनों को सुरक्षित रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए जिससे लोग जागरूक हो सके और वनों के महत्व को समझ सकें।