पर्यावरण को वस्तु परिस्थिति और शक्ति का युग माना जाता है, जो मानव जगत के कल्याण के लिए है। पर्यावरण अपने आप में ही व्यापक है उन लोगों की क्रियाओं को अनुशासन प्रदान करता है। हमारे चारों ओर विराट और व्यापक सा जो यह वातावरण है इसी को हम पर्यावरण कहते हैं। हमारे कार्य को हमारे चारों ओर उपस्थित शक्तियां प्रभाव देती हैं। सभी शक्ति एक दायरे में बंधी हुई है जिससे पर्यावरण कहा जाता है। यह दायरा द्वीप, विश्व, व्यक्ति, नगर, प्रदेश, सौरमंडल, ब्रह्मांड आदि है। हमारे पुराने काल में ऋषि मुनियों ने हमेशा शांति की प्रार्थना की है।
हिंदू धर्म में प्रकृति
यदि यजुर्वेद की माने तो पुराने समय से आज के समय तक ऋषि मुनि पर्यावरण के लिए अपनी चिंता दर्शाते आए हैं। यह सभी प्रार्थना उत्तरदायित्व को दर्शाती है, जो ऋषि मुनियों द्वारा लोगों के प्रति है। ऋषि-मुनियों ने हमेशा ऐसे तत्वों को देव कहा है जिनका हमें उपकार है। उन्होंने इसके महत्व को समझा है और स्वीकार भी किया है। ऐसा भी माना जाता है, कि हमारा यानी मनुष्य का जीवन देवताओं के लिए एक ऋण के समान है। साथ ही ऋषिऋण, पित्रऋण, देवऋण इन तीनों को बहुत ही अहम माना गया है।
पर्यावरण को संतुलित रखने में कुछ देवताओं की भूमिका मौजूद है जिसमें अग्नि देवता, वायु, सूर्य और वरुण शामिल है। ऋग्वेद और अथर्ववेद में आर्थिक दिव्य और जल के देवताओं से कल्याण मांगा गया है। इसका उल्लेख केवल ऋग्वेद ही नहीं, पद्मपुराण में भी साफ देखा जा सकता है।
पर्यावरण में प्रदूषण हुआ कम
जैसा कि हम जानते हैं पर्यावरण वह हिस्सा है जिसके बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। आज के समय में आबादी तो बढ़ती ही जा रही है, साथ में शहरीकरण, जंगलों का कटना, आबादी का बढ़ना, मशीनीकरण आदि चीजें हमारे पर्यावरण को काफी प्रभावित कर देती हैं। आज की दुनिया वास्तव में पर्यावरण को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है और इसका बदला प्रकृति प्राकृतिक आपदाओं से लेती है। हम इसकी कीमत भी चुका रहे हैं जैसे ओजोन की परत का क्षतिग्रस्त होना।
इस बात में कोई भी शक नहीं है, कि कोरोनावायरस पूरी मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है लेकिन कम से कम इसकी वजह से पर्यावरण को काफी फायदा हुआ है। कोरोनावायरस एक तरह से पर्यावरण के लिए संजीवनी बूटी की तरह है। जितने भी समय लॉकडाउन चला है, पर्यावरण में काफी सुधार देखा गया है। कई खबरें आई है जिनसे पता चला है, कि दिल्ली-एनसीआर और कई महानगर में प्रदूषण कम हो चुका है। इसी के साथ गंगा नदी साफ होने की भी चर्चा हुई है। लॉकडाउन में ऐसी चीजें कर दिखाइए जिसके बारे में सोचना असंभव प्रतीत होता था। कार्बन और नाइट्रोजन उत्सर्जन में भी कमी देखी गई है जिसकी वजह से ओजोन परत फिर से सुधर सकती है।
यह काफी समय बाद हुआ है जब महानगरों में आसमान साफ और नीला देखा जा रहा है। साथ ही हवा भी शुद्ध हो चुकी है। भारत में आगे के समय पर स्थिति विकट हो सकती है। इसका एक कारण यही है, कि जनसंख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है और विस्तार भी हो रहा है। हमारे प्राकृतिक संसाधन इतना बोझ झेलने के काबिल नहीं है। विकास के चपेट में प्रकृति साफ देखी जा सकती है।