एकदम से देश में रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी से काम होने लगा है। इसके बाद देश में सीमेंट की मांग 60 फ़ीसदी तक बढ़ चुकी है। सीमेंट के उत्पादन में मध्यप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल शामिल है जिनमें शुरुआत हो चुकी है। 70% क्षमता के साथ उत्पादन शुरू हो चुका है। राज्यों की बात करें तो यह 33 करोड़ टन सीमेंट सालाना देकर उत्पादन में एक तिहाई योगदान देते हैं।
राज्यों में उत्पादन
सीमेंट कंपनियों की मानें तो मजदूर की कमी और लॉजिस्टिक की वजह से सीमेंट उत्पादन में लागत बढ़ चुकी है। अगर मध्य प्रदेश की बात की जाए तो प्रति बैग कीमत 20% तक बढ़ गई है। पहले कीमत 345 थी जो अब 355 हो चुकी है। एक करोड़ टन सीमेंट का उत्पादन मध्य प्रदेश में 15 कंपनियों से होता है। यह अब 30% कम हो चुका है और 5 से 6 लाख टन हो गया है। राजस्थान के प्लांट में उत्पादन शुरू हो चुका है लेकिन मांग 75 फीसदी हो चुकी है।
महाराष्ट्र में 3.8 करोड में सीमेंट उत्पादन क्षमता है। अभी कंपनियों में 30 से 40% उत्पादन चल रहा है।वही बड़ा की बात करें तो 60 से ₹80 की बढ़त कीमत में हो चुकी है। बारिश में निर्माण कार्य थम जाने की वजह से देखा जा रहा है, कि गणेश उत्सव के बाद इसमें तेजी हो सकती है। छत्तीसगढ़ में तेजी आ चुकी है जिससे 70 फीसदी की उत्पादन क्षमता पर काम चल रहा है।
बिहार की बात की जाए तो मजदूर कम होने की वजह से सीमेंट के काम अभी भी तेजी से नहीं बढ़ पा रहे हैं। झारखंड में डिमांड बढ़ी है जिससे बिक्री जल्दी ही तेज हो सकती है। जून में नए प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाए जिसकी वजह से डिमांड कम होने लगी है। हिमाचल प्रदेश में भी 40% तक सीमेंट उत्पादन शुरू हो चुका है।
पवन खंडेलवाल (मध्य प्रदेश सीमेंट स्टॉकेज एसोसिएशन) ने कहा है, कि सैनिटाइजेशन और सोशल डिस्टेंसिंग से लागत में काफी फर्क आया है और यह बढ़ चुकी है। लॉजिस्टिक्स 20% तक महंगा हो चुका है। वहीं अगर ट्रांसपोर्टेशन की बात की जाए तो सीमेंट का 50% तक ट्रांसपोर्टेशन रेलवे करती है।
रेलवे ने ट्रैक खाली और प्लेटफार्म पर सीमेंट रखने पर छूट दी लेकिन अब यह छूट खत्म हो चुकी है। काफी सारी रेल मंडल यह छूट खत्म कर चुके हैं। इसमें समय भी दुगना हो चुका है। मजदूर की कमी है जिसकी वजह से समय दुगना हो चुका है। छूट मिलने से हो सकता है कि दामों में कमी आ जाए।
यह है मुख्य दिक्कत
- लॉजिस्टिक्स की बात करें तो लोडिंग, रिटर्न में नहीं मिलने पर भाड़े में 50 से 20% की बढ़त हो चुकी है।
- मजदूर की कमी है जिससे ब्रोकरेज चार्जेस रेलवे की ओर से लग रहे हैं।
- सोशल डिस्टेंसिंग मोड़ सैनिटाइजेशन हो रहा है जिसकी वजह से पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो पा रहा है।
- रियल स्टेट की मांग 50% तक कम हो चुकी। फिलहाल तो सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भी मांग घट चुकी है।
- कुछ आंकड़ों की बात करें तो तीन 33.73 करोड टन सीमेंट उत्पादन 2018-19 में हो चुका है। देश में ऐसे 210 बड़े प्लांट मौजूद हैं जिनके उत्पादन क्षमता 41 करोड़ टन है। वही 350 छोटे प्लांट मौजूद हैं।
- देश में 20 कंपनियां ऐसी हैं, जो 70% तक उत्पादन करती हैं।
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