आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी, जयपुर ने किया वेबिनार का आयोजन, एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में वैश्विक महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर चर्चा, दक्षिण एशियाई देशों में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने पर फोकस
वैश्विक महामारी, आम लोग और सार्वजनिक स्वास्थ्य- तीनों आपस में जुड़े मुद्दे
o सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाकर ही चिकित्सा देखभाल प्रणाली को बनाया जा सकता है और प्रभावी
o पिछले 12 वर्षों में 6 रोगों को प्रोसीजर्स कन्सर्निंग पब्लिक हेल्थ इमरजेंसीज (पीएचईआईसी) के रूप में किया गया घोषित
o बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए सार्वजनिक और चिकित्सा देखभाल प्रणाली को आपस में जोड़ना जरूरी
o अच्छी तरह से काम करने वाली प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली की मौजूदगी भी है जरूरी
o महामारी या अन्य स्थिति के दौरान एक कामकाजी सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली का कोई रिप्लेसमेंट नहीं हो सकता
o बांग्लादेश में 60 फीसदी लोगों की मृत्यु संचारी रोगों के कारण
o प्रिवेंटिव, प्रोमोटिव और क्यूरेटिव हेल्थकेयर मौजूदा दौर की जरूरत
वर्तमान वैश्विक महामारी के दौर में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत बनाने और आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जयपुर में आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी में एसडी गुप्ता स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ ने वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में भारत, इंडोनेशिया और बांग्लादेश के विशेषज्ञों के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। वेबिनार का विषय था- “पिपल, पैन्डेमिक एंड पब्लिक हैल्थ-रिफलैक्षन्स् फाॅर स्ट्रैन्थिनिंग हैल्थ सिस्टम”।
इस वेबिनार में जिन विशेषज्ञों ने विचार- विमर्श किया, उनमें प्रमुख हैं- डॉ. चंद्रकांत लहारिया, नेशनल प्रोफेशनल आॅफिसर, डब्ल्यूएचओ और ‘टिल वी विनः इंडियाज फाइट अगेंस्ट कोविड-19 पेंडेमिक’ के लेखक, डॉ. योदी महेंद्रधाता, वाइस डीन फाॅर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, पब्लिक हेल्थ एंड नर्सिंग, गदजाह माडा यूनिवर्सिटी, इंडोनेशिया, डाॅ. मालविका सरकार, डायरेक्टर आॅफ रिसर्च एंड लीड सेंटर आॅफ एक्सीलैंस फाॅर साइंस आॅफ इंप्लीमेंटेशन एंड स्केल-अप, बांग्लादेश रूरल एडवांसमेंट कमेटी (बीआरएसी), जेम्स पी ग्रांट स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, ढाका, बांग्लादेश और पद्मश्री डॉ. चंद्रकांत एस. पांडव, पूर्व प्रोफेसर और हैड, सेंटर फाॅर कम्युनिटी मेडिसिन, आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅॅफ मेडिकल साइंसेज, नई दिल्ली। डॉ. डी.के. मंगल, डीन रिसर्च, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने सत्र का संचालन किया।
आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. पी आर सोडानी ने इस अवसर पर कहा, ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जोर देते हुए आम लोगों की बेहतरी और उनके अच्छे स्वास्थ्य पर फोकस करने के बाद ही हम एक स्वस्थ और बेहतर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के उचित परिणाम हासिल करने के लिए उचित दृष्टिकोण को अपनाते हुए सुझावों के आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएं। इस वेबिनार ने भविष्य में आने वाले संकट के लिए तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया और साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतियों और उनके समाधानों पर भी जोर दिया और इस विषय पर भी चर्चा की कि भविष्य के पुनरुत्थान के लिए बड़ी आबादी को कैसे स्वस्थ बनाया जा सकता है। निश्चित तौर पर कोविड-19 ने हमें यह सीखने का मौका दिया है कि चुनौतियों को अवसरों में कैसे बदला जाए।’’
नेशनल प्रोफेशनल आॅफिसर, डब्ल्यूएचओ और ‘टिल वी विनः इंडियाज फाइट अगेंस्ट कोविड-19 पेंडेमिक’ के लेखक डॉ. चंद्रकांत लहारिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘कोविड-19 महामारी ने हमें स्वस्थ समाज के लिए लोगों की भागीदारी और सामुदायिक सहभागिता के महत्व को सिखाया है। धारावी मुंबई के मामले में इस सबक को सीखा जा सकता है। केवल अस्पतालों पर आधारित चिकित्सा देखभाल प्रणाली बीमारों के इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है। आज हमें बीमारियों को रोकने और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की आवश्यकता है और हमें सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करके चिकित्सा देखभाल प्रणाली को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में बदलने की दिशा में काम करना होगा। भारत में 8 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित है और महामारी ने हमें इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया है।’’
डॉ. योदी महेंद्रधाता, वाइस डीन फाॅर रिसर्च एंड डेवलपमेंट, फैकल्टी ऑफ मेडिसिन, पब्लिक हेल्थ एंड नर्सिंग, गदजाह माडा यूनिवर्सिटी, इंडोनेशिया ने कहा, ‘‘हमें उन अवसरों का जायजा लेने की जरूरत है जो कोविड-19 महामारी ने हमें उपलब्ध कराए हैं। इस महामारी ने हमें एक समतामूलक स्वास्थ्य प्रणाली का अवसर दिया है और इस मुद्दे को सबसे आगे रखा है। कोविड-9 के दौरान टेलीमेडिसिन और टेलीहेल्थ की उपयोगिता को समझा गया है और इनके इस्तेमाल को तेज कर दिया है। टेलीमेडिसिन के माध्यम से एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली तैयार होने से इंडोनेशिया में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बिना किसी व्यक्तिगत भागीदारी के काम करना संभव हुआ है। इंडोनेशिया में उनके मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण सहित स्वास्थ्य पेशेवरों के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक ध्यान दिया जाता है। कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण में वृद्धि हुई है। कोविड ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए इनोवेशन अब एक जरूरत हैं। इन अवसरों का लाभ उठाया जाना चाहिए और एक बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए।’’
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