आजकल की बिजी लाइफस्टाइल में लोगों के पास इतनी वक्त नहीं है कि वो अपने बालों पर ज्यादा दे पाएं या फिर उनकी नियमित रुप से केयर करें। और ऐसा न करने से आपके बाल समय पर सेपहले सफेद होने लगते हैं जिसके आजकल हर दूसरा व्यक्ति परेशान है। अक्सर बालों का सफेद होना जेनेटिक्स से जोड़ा जाता है लेकिन ये एक बीमारी भी हो सकती है। इंडियन जरनल ऑफ डर्मेटोलॉजी में 2016 में छपे शोध के मुताबिक़ भारत में केनाइटिस के लिए 20 साल की उम्र तय की गई है। भारतीयों में 20 साल से या उससे पहले बाल सफ़ेद होना शुरू हो जाए, तो माना जाता है कि उसे ये बीमारी है।
अगर आपके बाल कम उम्र में ही सफेद हो गए हैं तो आप अपने डॉक्टर के पास जाइए और जांच कराइए कि आपको थॉयराइड डिसऑर्डर विटिलिगो तो नहीं है जो त्वचा और बालों को सफेद बना देता है या फिर आपको अनीमिया तो नहीं है.
मेडिकल वजहों को बालों के सफेद होने से कम ही जोड़कर देखा जाता है. थॉयराइड डिसऑर्डर्स अगस्त 2013 के मुताबिक, दवाइयों के साइड इफेक्ट या अर्ली एजिंग सिंड्रोम की वजह से भी बाल सफेद हो सकते हैं.
विटामिन बी 12 की कमी, कॉपर या पोषक तत्वों की कमी असमय बाल सफेद होने से जोड़कर देखा जा सकता है. आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन डी3 भी बालों के पिगमेंटेशन में भूमिका निभाता है. धूम्रपान (स्मोकिंग) भी बालों के सफेद होने की एक वजह हो सकता है.
बाल अगर कम उम्र में सफेद होने लगे तो फिर क्या किया जाए? एक बार बाल सफेद होना शुरू हो जाते हैं तो फिर उन्हें रोकना मुश्किल होता है. इसलिए कोशिश करें कि शुरुआथ से ही आप नियमित तौर पर हेल्दी और संतुलित डाइट लें जिससे कि आपके बाल काले बने रहे.
खाने में बायोटिन ( एक तरह का विटामिन होता है) का इस्तेमाल करें, बालों में किसी तरह का केमिकल न लगाएं.
अक्सर एंटी डेंडरफ शैम्पू में बालों को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल का प्रयोग किया जाता है. ऐसे शैम्पू सप्ताह में सिर्फ दो बार ही लगाए.