जब कोई वजन कम करना चाह रहा हो या एक स्वस्थ जीवन जीना चाह रहा हो तो उसमें व्यायाम अहम भूमिका निभा सकता है। लेकिन जब किसी अधिक वजन वाले व्यक्ति को जिम में या कहीं बाहर व्यायाम करना पड़े तो उनके लिए यह मुश्किलभरा मौका होता है।
उन्हें अपने भारी-भरकम शरीर के साथ बाहर व्यायाम करने में शर्मिंदगी भी महसूस होती है। लेकिन इन बातों से ध्यान हटाकर उसे फिटनेस पर केंद्रित करने की जरूरत है, इसके लिए कुछ ट्रिक्स आजमाए जा सकते हैं।
तेज न करें शुरुआत
यदि आपने नया-नया व्यायाम करना सीखा है या लंबे ब्रेक के बाद व्यायाम कर रहे हैं तो एकदम से तेज गति में उछलना-कूदना न करें। इससे आपके शरीर को उसकी सीमा से अधिक कार्य करना पड़ेगा और अत्यधिक थकान हो सकती है। इसकी जगह धीरे-धीरे शुरुआत करें।
कपड़ों की फिटिंग सही हो
भले ही आप व्यायाम के लिए अत्यधिक महंगे कपड़े न खरीदें लेकिन कपड़ों की फिटिंग जरूर बेहतर होनी चाहिए। ढीले-ढाले, बिना आकार वाले कपड़े खासकर इनर वियर एक्सरसाइज के दौरान सही सपोर्ट नहीं दे पाएंगे। इसलिए इनर वियर चुनते समय खास ध्यान रखें जो आपकी बॉडी को हर प्रकार की एक्सरसाइज करने के समय पूरा सपोर्ट करे नहीं तो मसल्स पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
पहले करें हल्के स्टेप्स
पॉलीमैट्रिक मूव्स जैसे जंपिंग जैक्स, रस्सी कूदना और दौड़ लगाना अधिक वजन वाले लोगों को शुरुआत में घुटनों और हिप्स में दर्द पैदा कर सकते हैं। कम प्रभाव देने वाले स्टेप्स आपके घुटनों को प्रभावित किए बिना प्रभाव दिखाते हैं। ऐसे में वॉकिंग और स्वीमिंग सबसे बेहतर विकल्प हैं।
थोड़ा आराम भी कर लें
यदि लंबे समय तक खड़े रहना आपके लिए संभव नहीं हो पा रहा हो तो आप बैठकर किए जाने वाले कुछ व्यायाम कर सकते हैं। इसके लिए डम्बेल्स, रेसिस्टेंस बैंड्स का प्रयोग कर अपने आर्म्स, लेग्स की एक्सरसाइज करें। बैठे रहने की मुद्रा में अन्य एक्सरसाइज भी सपोर्ट के साथ कर सकते हैं।
सहज लगे वहीं करें व्यायाम
फिट लोगों से पूरा जिम भरा होना, अच्छा है लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि वो आपके वजन को लेकर किसी प्रकार की टिप्पणी न करें। यदि आपको किसी जिम में व्यायाम करने में असहजता महसूस हो रही हो तो किसी और सेंटर पर जाए।
दर्द का मतलब रुक जाना नहीं है
हल्की-फुलकी चोट या दर्द, जिनमें जोड़ों में दर्द भी शामिल है, उसका मतलब यह नहीं कि आपका सब छोड़कर बैठ जाना है। यहां तक कि शारीरिक रूप से सक्रियता इस प्रकार की स्थितियों को बेहतर बनाने का काम करती हैं। तकलीफ ज्यादा हों तो डॉक्टर को दिखाएं।