यह सभी पेरेंट्स चाहते हैं, कि अपने बच्चों का व्यवहार दूसरों के प्रति अच्छा हो। वह कोई ऐसी हरकत ना करें जो दूसरों को बिल्कुल भी पसंद ना हो। दूसरों के साथ बच्चों को तालमेल करके रहना चाहिए। अगर कोई बच्चे का व्यवहार अच्छा नहीं है, तो समाज में उस बच्चे की इज्जत के साथ-साथ उसके माता-पिता को भी बदनामी झेलनी पड़ती है। इस कारणवश सभी अपने माता-पिता अवश्य तौर पर यह चाहते ही हैं, कि हमारे बच्चे का व्यवहार अच्छा हो।
वजह जानना
जब कोई बच्चा अगर पढ़ाई ना करे तो उसकी वजह अवश्य जाने की आखिर वह क्या चाहता है। डिप्रेशन में तो नहीं है, किसी से लड़ाई झगड़ा तो नहीं किया। वजह जरुर जाननी चाहिए। अगर स्कूल से उदास लौटे तो उससे यह पूछना चाहिए कि क्यों उदास हो, क्या स्कूल में तुम्हें डांटा। इस प्रकार से बच्चे से सवाल-जवाब कर उसके मन को हल्का कर वजह जानना चाहिए। इसके अलावा किसी भी प्रकार की बच्चे के साथ अगर कोई भी असाधारण गतिविधि होती है, तो उससे वजह जानकर उसको मानसिक रूप से फुर्तीला बनाया जा सकता है।
अगर गाली गलौच या फिर उल्टा बोले तो
अक्सर माता-पिता बच्चे को डाटा करते हैं। इसके चलते बच्चा परेशान होकर माता-पिता से उल्टी बातें करता है, गाली-गलौज भी कर देता है, तो ऐसी स्थिति में बच्चे को शांत स्वभाव से मनाना चाहिए वा माता-पिता को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चो को अधिक नहीं डांटना चाहिए क्योंकि बच्चो के मानसिक स्वभाव पर इसका बुरा असर पड़ता है।
जब कोई गलत काम करें
जब कोई बच्चा गलत काम करे जैसे की चोरी करे या फिर किसी की कोई चीज बिना पूछे ले, तो इस पर बच्चे को सजा तो जरूर मिलनी चाहिए लेकिन सजा ऐसी नहीं मिलनी चाहिए जिससे कि बच्चा मानसिक तनाव में चला जाए। सजा ऐसी होनी चाहिए जो बच्चे को ज्यादा कठिन न लगे व बच्चा आसानी से समझ जाए। बच्चे को कोई पनिशमेंट देने से पहले माता पिता को एक बार बच्चे को समझा कर एक मौका देना चाहिए। अगर इसके बाद नहीं सुधरता है, तब ही कोई पनिशमेंट देना चाहिए।
झूठ बोलने पर
बच्चो को बचपन से ही सही बोलना सिखाना चाहिए ताकि जब वह बड़े हो जाए तो कोई भी बात अपने माता-पिता से झूठ ना बोल सके। कभी अगर बच्चे झूठ बोलते भी है, तो उनको डांटना नहीं चाहिए बल्कि प्यार से कुछ अच्छा उदाहरण देकर समझाना चाहिए ताकि बच्चे जल्दी समझ जाएं व आगे से झूठ ना बोले।
जिद करने पर
जब कोई बच्चा माता पिता के मना करने पर भी किसी नुकसानदायक चीज की जिद करे तो उसको प्यार से उस चीज के नुकसान के बारे में समझाना चाहिए ताकि वह बच्चा जिद ना करें। कभी-कभी बच्चो के मनपसंद चीजों को भी दिला देना चाहिए।
गैजेट की लत न लगने दें
बच्चो को मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी इत्यादि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अधिक समय नहीं बिताने देना चाहिए क्योंकि अगर यह आदत एक बार बच्चों को लग जाती है, तो फिर बहुत मुश्किल से छूटती है। उन्हें इसके कारण काफी सारे नुकसान भी उठाने पड़ते हैं।