उम्र के साथ-साथ याददाश्त कम होने लगती है। ऐसे रात में अच्छी नींद लेने से दिन भर मूड ठीक रहता है और इसकी की मदद से बुढ़ापे में याददाश्त को तेज रखा जा सकता है। एक शोध में इस बात का खुलासा किया गया है। इंटरनेशनल न्यूरोसाइकोलॉजिकल सोसाइटी के जर्नल में इस अध्ययन को प्रकाशित किया गया है जिसमें यह बात कही गई है कि उचित मात्रा में नींद न लेने से या गहरी नींद न होने से हमारा मूड दिन भर उखड़ा-उखड़ा सा रहता है जिससे आगे चलकर वृद्धावस्था में पुराने किसी घटना को याद रखने की संभावना कम हो जाती है।
कार्य स्मृति और तीन स्वास्थ्य संबंधी कारक जैसे कि नींद, उम्र और डिप्रेस्ड मूड के बीच शोधकर्ताओं ने गहरा संबंध पाया। कार्य स्मृति, अल्पकालिक स्मृति का एक हिस्सा है जो संज्ञानात्मक कार्यो जैसे कि सीखने, तर्क करने और समझने के लिए आवश्यक जानकरियों को अस्थायी रूप से संग्रहित कर उन्हें व्यवस्थित रखती है।
कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के प्राध्यापक वीवेई झांग ने कहा, “अन्य शोधकर्ताओं द्वारा पहले से ही इनमें से हर एक कारक को दिमाग की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली से जोड़कर देखा जा चुका है, लेकिन हमारे काम ने इस विषय पर प्रकाश डाला है कि किस तरह से ये सभी कारक, स्मृति की गुणवत्ता और मात्रा से संबंधित है और ऐसा पहली बार किया गया है।”
झांग ने यह भी कहा, “ये तीनों कारक एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, युवाओं की तुलना में वृद्ध व्यक्तियों में नेगेटिव मूड को अनुभव करने की संभावना ज्यादा रहती है। नींद की खराब गुणवत्ता भी अकसर डिप्रेस्ड मूड से संबंधित रहती है।”
शोधकर्ताओं ने दो अध्ययन किए। पहले में, 110 कॉलेज स्टूडेंट्स से स्वयं उनके द्वारा बताए गए नींद की क्वालिटी और डिप्रेस्ड मूड और कार्य स्मृति के प्रयोगात्मक उपायों से उनके संबंध, इन सारी चीजों के नमूने लिए गए।
दूसरे में, 21 से 77 वर्षो के बीच 31 सदस्यों के नमूने लिए गए। इस अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने उम्र और कार्य स्मृति से उनके संबंध की छानबीन की।
इन शोधकर्ताओं ने पहली बार कार्य स्मृति की गुणवत्ता और मात्रा पर इन तीन कारकों के प्रभाव को सांख्यिकीय रूप से अलग किया है।
शोध के इस निष्कर्ष से कार्य स्मृति पर इन तीन कारकों के प्रभाव को कम करने के लिए भविष्य में इससे बचने के उपाय या उपचारों की खोज की जा सकती है।