उच्च शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए विशिष्ट पहचान बनाने वाले और हेल्थ और हॉस्पिटल मैनेजमेंट (Hospital management), फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट तथा डेवलपमेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने ‘फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट- इमर्जिंग अपॉच्र्युनिटीज एंड कॅरियर पर्सपेक्टिव’ विषय पर राष्ट्रीय स्तर के एक वेबिनार का आयोजन किया।
Hospital management के वेबिनार में पोस्ट कोविड के हालात पर चर्चा
इस वेबिनार में कोविड- 19 के बाद उपजे हालात के संदर्भ में हाल के दौर में सामने आने वाली नई चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया और इस तरह की चुनौतियों से निपटने के तरीकों पर चर्चा की गई। वेबिनार में फार्मास्युटिकल उद्योग में कॅरियर के अवसरों और आगे की राह पर भी प्रकाश डाला गया।
फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट (Hospital management) इमर्जिंग अपॉच्र्युनिटीज एंड कॅरियर पर्सपेक्टिव विषय पर आयोजित नेशनल वेबिनार के अवसर पर आईपीए के महासचिव ने विचार व्यक्त किये।
मेक इन इंडिया’ के बाद भारतीय फार्मा उद्योग ‘डिस्कवर इन इंडिया’ का गवाह बनेगा- आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के नेशनल वेबिनार में आईपीए के महासचिव श्री सुदर्शन जैन ने कहा।
‘फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट- इमर्जिंग अपॉच्र्युनिटीज एंड कॅरियर पर्सपेक्टिव’ पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में श्री सुदर्शन जैन, महासचिव आईपीए और पूर्व एमडी एबट इंडिया लिमिटेड, श्री अतुल नासा, डिप्टी ड्रग कंट्रोलर दिल्ली, श्री तविंदरजीत सिंह, प्रेसीडेंट और चीफ बिजनैस ऑफिसर, माइक्रो लैब्स, ग्लोबल मार्केट्स, श्री सलिल कलियाणपुर, डिजिटल कोच एमडी डिजिटल आक्र्स कंसल्टिंग, श्री शशिन बोडावाला, डायरेक्टर कॉमर्शियल एक्सीलैंस बोहरिंगर इंगेलहाइम और डॉ. पी. आर. सोडानी, प्रेसीडेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी मुख्य वक्ताओं में शामिल थे।
ब्रांड इनर वल्र्ड मुंबई की को-फाउंडर और पुस्तक ‘द परफेक्ट पिल’ की लेखिका श्रीमती गौरी चैधरी ने वेबिनार का संचालन किया। डॉ संदीप नरूला, सहायक डीन स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी जयपुर ने वेबिनार का समन्वय किया।
इस अवसर पर आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंट डॉ. पी आर सोडानी ने कहा, ‘‘यह वेबिनार उद्योग के विशेषज्ञों के साथ छात्रों और प्रतिभागियों के बीच सीधा संवाद कायम करने के लिए डिजाइन किया गया है।
फार्मा उद्योग एक ऐसा उद्योग है जिसने महामारी के दौरान भी विकास का मार्ग नहीं छोड़ा है। भारत में फार्मा उद्योग दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि विश्व स्तर पर कई अन्य देश जो या तो विकसित हैं या कम संसाधन वाले हैं, उन देशों की निगाहें इस उद्योग पर हैं।’’
कोविड-19 की तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार की जाने वाली जीवन रक्षक दवाओं (Hospital management) के लिए एपीआई और योजना पर ध्यान देने का आग्रह किया गया।
श्री सुदर्शन जैन, महासचिव, इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस ने जयपुर में एक अग्रणी स्वास्थ्य संस्थान के निर्माण के लिए डॉ० सोडानी को बधाई दी, साथ ही उन्होंने डॉ. नरूला को आईआईएचएमआर जयपुर में स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट के सफल संचालन पर शुभकामनाएं भी प्रदान की।
अपने संबोधन में उन्होंने चार पहलुओं पर प्रकाश डाला- यह उद्योग क्या है, इसका भविष्य क्या है, यह किस तरह का काम है और इसमें कितना पैसा शामिल है?
उन्होंने विस्तार से बताया और कहा, ‘‘आज 80 प्रतिशत फार्मास्युटिकल उद्योग में भारतीय कंपनियां हैं और 20 फीसदी में बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं। हमें इस बात पर गर्व है कि अमरीका में बिकने वाला हर चैथा टैबलेट भारत का है, इसी तरह यूरोपीय देशों में बिकने वाला हर तीसरा टैबलेट भारत का है और टीके का 60 प्रतिशत योगदान भारत से आता है। और इस तरह हम दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवा में बदलाव ला रहे हैं।
भारत में फार्मास्युटिकल उद्योग 41 अरब डॉलर से बढ़कर 120 अरब डॉलर हो जाएगा। फार्मा उद्योग मूल्य के मामले में 13वां सबसे बड़ा और मात्रा के मामले में तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है। यह छात्रों के लिए अपार अवसर प्रदान करेगा क्योंकि फार्मा उद्योग (Hospital management) दुनिया के शीर्ष पांच बाजारों में शामिल होने जा रहा है।’’
श्री जैन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश अब भारत में डिस्कवर पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहा है, जहां देश मेक इन इंडिया अभियान के बाद भारत में उत्पादों की खोज में रुझान बनाएगा।
श्री अतुल नासा, डिप्टी ड्रग कंट्रोल ऑफिसर, दिल्ली ने कहा, ‘‘इस महामारी के समय में फार्मा उद्योग (Hospital management) की यात्रा एक बड़ी चुनौती रही है। हम कह सकते हैं कि फार्मास्युटिकल उद्योग उन उद्योगों में से एक है जो स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए काम करते हैं।
हम पूरी दुनिया में विभिन्न फॉर्मूलेशन और दवाओं का निर्यात कर रहे हैं। महामारी के दौरान हमें एपीआई की भारी कमी का सामना करना पड़ा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के संदेश के बाद यह सुझाव सामने आया था कि हमें फार्मास्युटिकल आवश्यकताओं (Hospital management) के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने एपीआई उद्योग को मजबूत बनाने में सक्षम होना चाहिए।
एपीआई उद्योग को मजबूत करने से पूरे फार्मास्युटिकल उद्योग (Hospital management) को मजबूत करने में मदद मिली है। एक बार एपीआई उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग और पूरे फार्मास्युटिकल उद्योग को मजबूत करने के बाद, फार्मास्युटिकल प्रबंधन (Hospital management), फार्मेसी आदि करने वाले छात्रों को रिसर्च और डेवलपमेंट, क्वालिटी कंट्रोल, क्वालिटी एश्योरेंस, मेन्यूफेक्चरिंग, मेडिकल डिवाइसेज, क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और मार्केटिंग में पर्याप्त अवसर मिलते हैं।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘सरकार फार्मा पार्क बनाकर और देश में अपनी इकाइयां स्थापित करने वाले चिकित्सा उपकरण उद्योग को प्रोत्साहन और विकास के लिए हर संभव कदम उठा रही है और इस तरह दवा उद्योग को जबरदस्त समर्थन दे रही है।
हाल के दौर में फार्मा उद्योग के सामने जो प्रमुख चुनौतियों पेश आईं, उनमें से एक ब्लैक फंगस की दवा से जुड़ी चुनौती थी जहां एम्फोटेरिसिन बी की कमी का सामना करना पड़ा। एक अन्य मुद्दा रेमेडिसविर का बड़े पैमाने पर उत्पादन था, जिसकी लगातार कमी बनी रही।
इस महामारी के रुख को देखते हुए हमें तीसरी लहर के लिए तैयार रहना चाहिए जिससे हमारा अनुसंधान एवं विकास का काम बहुत मजबूत हो और साथ ही यह भी आवश्यक है कि जीवन रक्षक दवाओं के संबंध में योजना पहले से ही बना ली जाए।’’
श्री तविंदरजीत सिंह, प्रेसीडेंट और चीफ बिजनैस ऑफिसर, माइक्रो लैब्स, ग्लोबल मार्केट्स ने वेबिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा मैं छात्रों का ध्यान इस बात की ओर दिलाना चाहता हूं कि 2023 तक भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग के 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। यह परिकल्पना की गई है कि वैश्विक फार्मास्युटिकल उद्योग 2030 में 130 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा।
भारतीय बाजार में भी जबरदस्त वृद्धि देखी गई है और मुझे इस बाजार में जबरदस्त संभावनाएं दिख रही हैं। कई कंपनियां जैसे सनोफी, नोवार्टिस आदि भारतीय प्रतिभाशाली लोगों को नियुक्त करती हैं। जो छात्र फार्मास्युटिकल उद्योग (Hospital management) में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं, वे आपूर्ति श्रृंखला, एम एंड ए, व्यवसाय विकास, बिक्री प्रबंधन और यहां तक कि स्ट्रक्चर्ड और श्रंखला वाली फार्मेसी कंपनियों के साथ खुदरा बिक्री के क्षेत्रों में अवसरों की तलाश कर सकते हैं।’’
श्री सलिल कलियाणपुर, डिजिटल कोच एमडी डिजिटल आक्र्स कंसल्टिंग ने कहा, ‘‘डिजिटल होना वर्तमान दौर की सबसे बड़ी जरूरत है। अब समय आ गया है कि हमें सिर्फ डिजिटल होने के बारे में ही नहीं सोचना है, बल्कि रणनीति पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। छात्रों को समझना चाहिए कि भविष्य के लिए व्यावसायिक मॉडल बनाने के लिए टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जाना चाहिए।
विकास के एक विशेष बेंचमार्क आंकड़े तक पहुंचने के लिए, हमें उन लोगों तक पहुंचने के लिए अपने संचालन को बढ़ाने में सक्षम होना चाहिए जिनके पास आधुनिक स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच नहीं है। सरकारी योजनाएं हमें इसे हासिल करने में मदद कर रही हैं। फार्मा उद्योग को देश और यहां तक कि भारत के बाहर के देशों तक पहुंचने के लिए इन सरकारी योजनाओं की मदद से उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने के लिए कदम उठाना चाहिए।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘महामारी के दौरान टेलीकंसल्टेशन ने भौतिक मॉडल के महत्व को कम कर दिया है। निदान केंद्र जो पहले ब्रिक और मोर्टार मॉडल में थे, अब फोन पर उपलब्ध हैं। सभी मॉडल जो पहले भौतिक दुनिया में थे, अब डिजिटल दुनिया में आ गए हैं जिससे छात्रों के लिए अधिक अवसर पैदा हो रहे हैं।
आज जरूरत इस बात की है कि डिजिटल और फार्मास्युटिकल मार्केटिंग में विशिष्ट पाठ्यक्रमों को संस्थानों द्वारा अपने पाठ्यक्रम में, विशेष रूप से प्रबंधन कार्यक्रमों में शामिल किया जाना चाहिए। फार्मास्युटिकल उद्योग (Hospital management) ने नैदानिक परीक्षणों, आपूर्ति श्रृंखला और दवा की खोज, बिक्री डेटा आदि में बहुत पहले डिजिटल को अपनाया था।
हम फार्मास्युटिकल उद्योग में फ्रंट एंड या डाउनस्ट्रीम संचालन में तकनीकी सुविधा को स्थानांतरित करने में सक्षम नहीं हैं। फार्मा सेक्टर में मार्केटिंग मैनेजर्स और सेल्स लीडरशिप की भूमिकाएं विकास के दौर से गुजरेंगी। इसलिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि कैसे टैक्नोलॉजी के जरिये नौकरियों के अवसरों को विकसित किया जा सकता है। छात्रों के लिए भी यह जरूरी है कि वे विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से खुद को कौशल के लिए नामांकित करें।’’
श्री शशिन बोडावाला, डायरेक्टर कॉमर्शियल एक्सीलैंस बोहरिंगर इंगेलहाइम ने कहा, ‘‘महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण संगठनों में नई नौकरियां और भूमिकाएं विकसित हुई हैं। हालाँकि, ये भूमिकाएँ और नौकरियां अभी प्रारंभिक अवस्था में हैं। लोग अब चैनल वरीयताओं के बारे में बात करते हैं जो अधिक हाइब्रिड होगी, जहां ऐसे ग्राहकों का मिश्रण होगा जो डिजिटल और आमने-सामने के चैनलों का मिलाजुला रूप पसंद करते हैं।
मार्केटिंग से जुड़े लोगों को आज ग्राहक मूल्य मैट्रिक्स को मिश्रित करना चाहिए, उसे ग्राहक की प्राथमिकताओं के चैनलों को मिश्रित करने की आवश्यकता है और उसे व्यवहार और रणनीतिक खंड को भी देखना चाहिए। और छात्रों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मार्केटिंग के कई पहलू हैं।’’
स्कूल ऑफ फार्मास्युटिकल मैनेजमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक डीन डॉ संदीप नरूला ने कहा, ‘‘आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी अपने सभी हितधारकों को अपने पूरे जीवन में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण, समकालीन और अत्यधिक प्रासंगिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आश्वस्त करता है। फार्मास्युटिकल उद्योग विशाल है।
हाइब्रिड विकास के साथ इसमें जबरदस्त रूप से बदलाव आ रहे हैं, ये ऐसे बदलाव हैं जिनका सामना हाल के समय में किसी अन्य उद्योग को नहीं करना पड़ा है। डिजिटलीकरण को अपनाने के साथ, उन मॉडलों पर योजना बनाने और रणनीति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो समस्त ग्राहकों के लिए सबसे उपयोगी हों। फार्मा उद्योग मैनेजमेंट, रिसर्च, स्ट्रेटेजी, मार्केटिंग और कई अन्य क्षेत्रों में छात्रों के लिए अनेक अवसर प्रदान करता है।’’
Authored by Narendra Arya