भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को प्रसन्न करने का होता है।
हरतालिका तीज सबसे बड़ी तीज होती है। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर व्रत का विधान करती हैं। सुहागन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना के लिए तीजा का व्रत करती हैं।
महिलाएं सोलह सिंगार करके पूरी लगन के साथ भगवान शिव पार्वती जी की सच्चे मन से आराधना करके उनका आशीर्वाद लेती हैं। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के वन में कठिन व्रत का पालन किया था। माता पार्वती की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने दर्शन देकर उनको पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। महिलाएं और कुंवारी कन्याएं इस व्रत का पालन करके भगवान शंकर और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
हरितालिका या तीजा व्रत
हरितालिका तीज व्रत में जल ग्रहण भी नहीं किया जाता। दूसरे दिन सुबह पूजा के बाद जल पीकर व्रत खोलने का नियम है। यह व्रत एक बार शुरू करने के बाद बीच में इसे छोड़ा नहीं जाता। हरितालिका तीज का व्रत पूरी श्रद्धा और लगन के साथ करना चाहिए। इस बात को सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें जल ग्रहण भी नहीं किया जाता और रात्रि जागरण करना होता है। रात भर महिलाएं सज संवर कर पूजा पाठ और भजन कीर्तन करके रात्रि जागरण करती हैं।
पूजा विधि
हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव, पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर किया जाता है। सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू अर्थात रेत यह काली मिट्टी की हाथों से प्रतिमा बनाई जाती है।
जहां पर पूजन करते हैं उस स्थल को फूलों और पत्तों से सजाया जाता है। चौंक पूरकर एक चौकी रखकर उस पर केले के पत्ते बिछाकर प्रतिमाओं को स्थापित किया जाता है। षोडशोपचार विधि के द्वारा भगवान शिव, माता पार्वती और श्री गणेश का पूजन करते हैं। सुहागन महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की सारी सामग्री चढ़ाती है।
नियम अनुसार पूजन करके तीज व्रत की कथा सुनते हैं, उसके बाद हवन लगाया जाता है, उसके बाद आरती करते हैं। रात्रि जागरण किया जाता है। रात में तीन बार हवन पूजन और आरती के साथ भजन कीर्तन करते हैं। सुबह स्नान के बाद माता की आरती पूजन करके श्रृंगार सिंदूर चढ़ाकर महिलाएं सुहाग लेती हैं। हलवा और पूड़ी का भोग लगा कर व्रत को खोलते हैं। प्रतिमाएं और पूजन सामग्री को जल में विसर्जित किया जाता है। पूरी श्रद्धा के साथ महिलाएं भूखी और प्यासी रहकर हरतालिका तीज का व्रत करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत की महिमा
हरतालिका तीज का व्रत विधि विधान के साथ करना चाहिए। सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश जी की विधि विधान के साथ व्रत और पूजन करती हैं। हरतालिका तीज व्रत अखंड सौभाग्य व्रत के लिए किया जाता है। कुंवारी लड़कियां भी अपने मनभावन पति को पाने के लिए हरतालिका तीज का कठोर व्रत किया करती हैं। पति की लंबी आयु और अच्छे पति की कामना के लिए हरतालिका तीज का व्रत नियम के साथ करना चाहिए।