एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद कारोबारी, व्यापारी से लेकर आम आदमी तक जीएसटी का समीकरण नहीं समझ
पाये हैं. जीएसटी लागू होने के बाद फ्लैट व जमीन की कीमत बढ़ेगी या घटेगी? इस बात को लेकर पूरा रियल एस्टेट सेक्टर
कनफ्यूस्ड है.
गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद फ्लैट बनाने में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट और लोहे की सरिया पर 5-6 फीसद कर
बढ़ गया है. इस भार को अगर बिल्डर कंपनियां खरीदारों पर डालेंगी, तो आबंटियों की जेब पर इसका असर पड़ेगा. हालांकि
तैयार हो चुकी परियोजनाओं के खरीदारों पर जीएसटी का भार डालने से अभी ज्यादातर बिल्डर कंपनियां मना कर रही हैं.
वहीं डेवलपर्स का मानना है कि GST से अभी अधबने मकान या फ्लैट को लेने वाले लोगों को फायदा होगा. इससे उन्हें
मकान खरीदते वक्त देने वाले वैट, एक्साइज, सीएसटी नहीं देनी पड़ेगी. अब केवल 12 फीसदी जीएसटी देना होगा, जिसके
चलते मकान सस्ते हो जाएंगे. डेवलपर्स का मानना है कि मकान तभी सस्ते होंगे जब सरकार इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ
बिल्डरों को देगी.
वहीं जीएसटी लागू होने के बाद वर्क कॉन्ट्रैक्ट के साथ निर्माणाधीन इमारतों की बिक्री को सेवाओं के तहत माना गया है,
जिसके बाद कुल कर 6 फीसद से बढ़कर 12 से 18 फीसद के बीच हो जाएगा. यानी जीएसटी लागू होने के बाद 6-12 फीसद
तक भार बढ़ेगा. रियल एस्टेट क्षेत्र में मौजूदा मंदी के चलते माना जा रहा है कि ज्यादातर तैयार हो चुकी परियोजनाओं के
खरीदारों पर बिल्डर कंपनियां भार नहीं डालेंगी और बढ़े हुए कर को खुद वहन करेंगी.