Good Friday गुड यानी अच्छे या किसी अच्छे काम का आभास लेकिन इस दिन का इतिहास अच्छा नही है। क्योंकि इस दिन ईसाई धर्म के लोगों द्वारा ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था।
Good Friday को हम अनेक नाम से जैसे ब्लैक फ्राईडे होली फ्राइडे भी कहते हैं ईसा मसीह को जब सूली पर चढ़ाया गया था तो प्रभु से यही प्रार्थना करते रहे कि, प्रभु इन लोगों को माफी दे देना यह खुद नहीं जानते कि यह क्या कर रहे। जिस दिन यानी सूली पर चढ़ाया गया बाइबल के अनुसार उस दिन शुक्रवार यानी फ्राइडे का दिन था।
Good Friday दिन का इतिहास
ईसाई समाज का महत्वपूर्ण दिन Good Friday को माना जाता है। इस दिन भगवान ईशा मसीह ने अपना बलिदान क्रूस पर चढ़कर इसलिए दिया क्योंकि लोगो के अंदर एक अच्छाई की भावना उत्पन्न करना चाहते थे, और लोगों को पाप करने से रोकना चाहते थे, इन पापो का छुटकारा मनुष्य के लिए असंभव था इसलिए वह लोगों को और प्रेम का संदेश देते हुए सूली पर चढ़ गए और लोगों को अपने बलिदान का महत्व समझाया।
इस दिन लोग ईसा मसीह से प्रार्थना करते हैं और लोग व्रत रखते हैं। जिन में करोड़ों लोग 40 दिन का उपवास व्रत धारण करके ईसा मसीह से अपने गुनाहों की क्षमा मांगते हैं। ईसा मसीह की याद मे लोग अपने घरों मे ईसा मसीह से अपने पाप का पश्चाताप करने, और अपने गुनाहों की माफी मांगते है। 40 दिन तक यह उपवास ईसाई धर्म के लोग करते हैं ताकि सबको इस पाप से मुक्ति मिल सके।
क्षमा का उपदेश
प्रभु ईसा ने प्रेम और क्षमा का उपदेश सभी लोगों को दिया। ईसा मसीह की बराबरी आज तक कोई नहीं कर सका क्योंकि उन्होंने संपूर्ण मानव जाति के लिए प्रेम और क्षमा का एक अनोखा उदाहरण लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने इतनी जख्मी हालत में भी हाथ पैर में कीले ठोकी और सिर पर कांटों का ताज पहना इस अत्यंत दुखदाई पीड़ा को सहते हुए भी इन्होंने अपने सताने वालों के लिए भगवान से माफी मांगी।
पवित्र प्रभु भोज
Good Friday के एक दिन इस भोज का आयोजन किया जाता है। यहां पर इकठ्ठा होकर इस दिन प्रभु अपने साथ रहने वालो के साथ भोजन को ग्रहण किया करते थे। उसी भोजन को प्रभु भोज कहा जाता है। इस दिन ईसाई समाज के सभी लोग प्रसाद को खाने आते हैं और इस दिन पवित्र चर्च में इकठ्ठा होकर लोग प्रसाद लेने आते है और प्रसाद ग्रहण करते हैं।
दोबारा जीवित होकर 40 दिन तक दिया संदेश
ईशा मसीह दोबारा जीवित Good Friday के तीसरे दिन हो गए थे और लोगो को उन्होंने 40 दिन तक उपदेश दिया, और प्रेम और क्षमा का महत्व बताया। इनके दोबारा जीवित होने की घटना को “ईस्टर संडे” के रूप मे लोग मनाते है।
इसके पश्चात पूरे विश्व में यह त्यौहार ईसा मसीह को स्मरण करते हुए मनाया जाता है और इस दिन इनकी याद में लोग इन्हें स्मरण करते हुए 40 दिन का उपवास रखते हैं और ईशा मसीह को स्मरण करते है और लोग पाप मुक्ति की प्रार्थना करते है।