मोती को चंद्रमा का प्रतिरुप माना जाता हैं। ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा में शीतलता का गुण पाया जाता है। मोती रत्न श्वेत रंग की आभा से पूर्ण शीतल प्रभाव रखने वाला सरल प्रवृत्ति का रत्न है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है ऐसे व्यक्ति को मोती रत्ना धारण गन्ने की सलाह दी जाती है। चंद्रमा का प्रतीक मोती रत्न धारण करने से व्यक्ति का चंद्रमा मजबूत हो जाता है।
मोती धारण करने के लाभ
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा को मजबूत करने के लिए मोती धारण करना चाहिए। चंद्रमा की शक्ति को बढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व आता है। व्यक्ति की सोच सकारात्मकता की ओर बढ़ती है।
- जो भी व्यक्ति मोती रत्न को धारण करता है उसका मन एकाग्र हो जाता है।
- व्यक्ति को जीवन में नकारात्मक नौसोच और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए मोती रत्न को धारण करना चाहिए।
- मोती धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में कमजोर चंद्रमा मजबूत हो जाता है।
- जीवन में सफल प्राप्त करने के लिए भी मोती रत्न को धारण किया जाता है।
- चंद्रमा को शुभ कारक ग्रह मानते हैं इस कारण मोती रत्न धारण करने से चंद्रमा की शक्ति बढ़ जाती है।
मोती का प्रभाव लग्न अनुसार
मोती का प्रभाव सभी राशियों पर समान नहीं पड़ता है। कुछ राशियों पर शुभ फल देता है तो कुछ राशियों पर मध्यम फल देता है। कुछ लग्न वालों को तो मोती रत्न धारण ही नहीं करना चाहिए। मोती धारण करने से पहले ज्योतिष विशेषज्ञ से सलाह ले लेना चाहिए।
- सामान्य रूप से मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न के जातकों को मोती रत्न धारण करने पर शुभ फल की प्राप्ति होती है।
- वृष राशि, मिथुन, कन्या, तुला और मकर लग्न के जातकों के लिए मोती धारण करना मध्यम फल की प्राप्ति देता है।
- सिंह, धनु और कुंभ लग्न की कुंडली वाले व्यक्तियों के लिए कभी भी मोती धारण नहीं करना चाहिए। इन्हें मोती धारण करने से हानिकारक प्रभाव प्राप्त होते हैं।
मोती धारण करना भार अनुसार
मोती धारण करने के लिए व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति का आकलन किया जाता है। व्यक्ति के कुंडली में चंद्रमा की स्थिति की मजबूती को देखते हुए ही मोती धारण करने और मोती का भार निश्चित होता है। 25 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के लिए सवा पांच रत्ती का मोती रतन धारण करना चाहिए। 25 से 50 वर्ष के व्यक्तियों के लिए सवा सात रत्ती का मोती रत्न धारण करना चाहिए। 50 वर्ष के ऊपर के व्यक्तियों के लिए सवा नौ रत्ती वजन का मोती धारण करना चाहिए। मोती धारण करना कुंडली में चंद्रमा की कमजोर स्थिति को देखते हुए ही धारण करना चाहिए।
मोती धारण करने की विधि
मोती रत्न का संबंध चंद्रमा से है। चंद्रमा सोमवार का प्रतीक है। मोती को सोमवार के दिन धारण करना चाहिए। मोती को गाय के कच्चे दूध और गंगाजल में अभिषेक करके धूप दीप दिखाकर धारण करना चाहिए। चंद्रमा का मंत्र ओम सोम सोमाय नमः की तीन माला का जाप भी करना चाहिए। मोती को धारण करते समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुख होना चाहिए। मोती को चांदी की अंगूठी में बनवा कर सीधे हाथ की कनिष्ठा या अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए। मोती को गले में भी सफेद धागे या चांदी की चैन में लॉकेट के रूप में धारण किया जा सकता है।