सर्दी ने दस्तक दे दी है। इस मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है क्योंकि जरा सी लापरवाही से सर्दी-जुकाम और बुखार का खतरा बढ़ जाता है।
इस मौसम में धूप न निकलने के कारण विटमिन डी की कमी हो जाती है और रक्त कोशिकाएं संकुचित हो जाती हैं। इस कारण रक्त का संचार ठीक से नहीं हो पाता है इसलिए साग खाने की सलाह दी जाती है। चना, बथुआ, सरसों आदि के साग न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि शरीर को स्वस्थ रखकर बीमारियों से बचाते हैं।
बथुए का साग: बथुआ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें विटमिन ए, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम होता है। बथुआ नाइट्रोजन युक्त मिट्टी में फलता-फूलता है। सदियों से इसका उपयोग कई बीमारियों को दूर करने में होता रहा है। इसको नियमित खाने से कई रोगों को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
चौलाई का साग: हरी पत्तेदार सब्जी में चौलाई का मुख्य स्थान है। चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटमिन-ए, मिनिरल और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। चौलाई के इन हरे पत्ते की सब्जियों को रोजाना खाने से शरीर में होने वाले विटमिन की कमी को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है।
सरसों का साग: सरसों के साग में कैलोरी, फैट, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, शुगर, पोटेशियम, विटमिन ए, सी, डी, बी 12, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है। यह ऐंटीऑक्सिडेंट्स की मौजूदगी के कारण न सिर्फ शरीर से विषैले पदार्थो को दूर करते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
मेथी का साग: सर्दी का मौसम आते ही सब्जी बाजार में मेथी खूब दिखने लगती है। मेथी में प्रोटीन, फाइबर, विटमिन सी, नियासिन, पोटैशियम, आयरन मौजूद होता हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर आदि भी होते हैं, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं। मेथी पेट के लिए काफी अच्छी होती है।