आंखों के चारों ओर पडऩे वाले काले निशान से ज्य़ादातर स्त्रियां परेशान नज़र आती हैं। नींद पूरी न होना, मानसिक तनाव, ज्य़ादातर समय धूप में बिताना, लगातार आंखों को थकाने वाले काम करना, खानपान में पोषक तत्वों की कमी, ज्य़ादा हार्श क्लीज़र का इस्तेमाल आदि कई ऐसी वजहें हैं, जो डार्क सर्कल्स के लिए जि़म्मेदार होती हैं।
ऐसी स्थिति में अगर मामूली डार्क सर्कल्स हों तो भी वे ज्य़ादा स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देते हैं। दरअसल आंखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल और पारदर्शी होती है। इसलिए प्रदूषण और धूप के संपर्क में आने के बाद यहां की त्वचा की रंगत सबसे पहले काली पड़ जाती है।
क्या हैं इसके बचाव?
रोज़ाना कम से कम आठ घंटे की नींद लें।
दिन के वक्त घर से बाहर निकलते समय सन ग्लासेज़ पहनना न भूलें।
अगर आंखों के चारों ओर काले निशान दिखाई दें तो कच्चे आलू या खीरे का पेस्ट लगाएं।
वाटर बेस्ड और सोप फ्री क्लींज़र का इस्तेमाल करें।
आंखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल होती है। इसलिए दिन में कम से कम दो-तीन बार चेहरे पर मॉयश्चराइज़र ज़रूर लगाएं।
विटमिन सी, के और विटमिन ई से युक्त कई नाइट क्रीम्स बाज़ार में उपलब्ध हैं, जिनका नियमित इस्तेमाल आंखों को डार्क सर्कल्स से बचाता है।
खानपान हो पोषक तत्वों से युक्त
आज की अति व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में स्त्रियां अपनी सेहत और खानपान पर ध्यान नहीं दे पातीं। इससे युवावस्था में ही उनकी आंखों के चारों ओर बारीक रेखाएं दिखने लगती हैं। हंसने या उबासी लेने के दौरान चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव पैदा होता है, जिससे आंखों के बगल में बारीक रेखाएं बनने लगती हैं।
क्रैश डाइटिंग इसकी प्रमुख वजह है। अगर शरीर में पानी की कमी हो तो इससे कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं और झुर्रियों के रूप में इसका असर दिखाई देता है। चूंकि, आंखों के आसपास की त्वचा ज्य़ादा कोमल होती है। इसलिए बारीक रेखाएं सबसे पहले यहीं दिखाई देती हैं।