महत्व
05 नवंबर, दिन सोमवार तिथि त्रयोदशी (धन त्रयोदशी ) धन्वंतरि जयंती बहुत ही संयोग की बात है सोमवार के दिन हस्त नक्षत्र का होना , हस्त नक्षत्र के स्वामी स्वयं चन्द्रमा है और सोमवार दिन पर भी चन्द्रमा का अधिपत्य है , यह संयोग अत्यंत सुखद रहेगा सोम प्रदोष व्रत भी है , अतः महादेव की कृपा हर तरह से बानी रहेगी !
धनतेरस को महातम है घर में कुछ नया वास्तु खरीद कर ले आने का जिसमे मुख्यतः सोना , चांदी का बर्तन , या कोई भी उपयोग की वस्तु । इस दिन खरीदने से लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है ! रात्रि 08 :37 मिनट तक हस्त नक्षत्र रहेगा प्रयास करे की इससे पहले ही खरीदारी करे
धनतेरस शुभ समय
07 :42 बजे से 10 :02 बजे तक वृश्चिक लगन है जो शुभ है
13 :47 बजे से 15 :12 बजे तक कुम्भ लगन है
18 :07 बजे से 20 :01 बजे तक वृषभ लगन है
यह तीनो ही लग्न शुभ और स्थिर माने जाते है , इस समय में की गयी खरीदारी स्थिरता प्रदान करती है और जीवन में शुभता देती है।
आभूषण , सोना चांदी जेवर इत्यादि के लिए संध्या का समय और वृषभ 18 :07 से 20 :01 बजे तक का लग्न उचित है!
जमीन , मकान , वाहन खरीदने के लिय कुम्भ लग्न 13 :47 बजे से 15 :12 बजे तक का समय उचित है !
बैंक , म्यूच्यूअल फण्ड , या शेयर बॉन्ड सजावटी सामान इलेक्ट्रिक या इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदने का शुरुआत करने का समय 07 :42 बजे से 10 :02 बजे तक वृश्चिक लगन है जो शुभ है।
धनतेरस पूजा विधि
आज धन्वंतरि और कुबेर की पूजा विशेष तोर पर की जाती है , मिटटी का छोटा सा हाथी लेकर उसको तिलक करे और एक चौमुख दिया प्रज्जवलित करे और भगवान् धन्वंतरि तथा भगवन विष्णु का ध्यान करे दीपक दिखाए !जो भी नया सामान खरीदकर लाए है उसपर अक्षत रखे और पान का पत्ता पर कुमकुम से स्वस्तिक बना कर एक सुपारी रख कर गणपति महाराज की पूजा करे लक्ष्मी जी का ध्यान करके पान का पत्ता उठा कर अपने तिजोरी ले वर्ष भर कुबेर भगवान् और धन्वंतरि महाराज की कृपा बनाई रहेगी !उसके उपरांत बच्चो में मिठाई जरूर बांटे। मुख्य द्वार पर दीपक , रसोई में दीपक , ब्रह्म स्थान में दीपक और घर के सभी दरवाजो के दाहिनी ओर एक एक दीपक जरूर प्रजलित करे
धनतेरस में क्या क्या सावधानियां बरतें सावधानी
सावधानी के तोर पर अगर किसी का कर्जा लिए है जितना हो सके उतना लौटा दीजिए आज कर्जा किसी से न ले , क्रोध से बचे , अगर किसी से कोई नाराजगी है आज दूर कर लीजिए मान जाइए और मना लीजिए ! लेकिन साथ ही साथ विष्कुम्भ योग भी बना है जो की रात्रि 10 :11 मिनट तक रहेगा जिसका निदान भी जरुरी है ! आज अपने पुरोहित , ब्राह्मण या अपने गुरु को प्रणाम करके उनको वस्त्र और मिठाई जरूर भेंट करे और उनका आशीर्वाद ले , किसी भी प्रकार के अनिष्ट से बचेंगे !
दिपावली
इस बार दीपावली 07 नवंबर को बुधवार के दिन मनाया जायेगा जो की सभी शुभ है ,चन्द्रमा तुला राशि में रहेंगे जो की अत्यंत शुभता लिए हुए है , आयुष्मान योग के उपरांत सौभाग्य योग बना हुआ है , संध्या स्वाति नक्षत्र 19 :37 बजे तक है उसके उपरांत विशाखा नक्षत्र रहेगा जो की कल्याणकारी योग है !
दिपावली शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त रहेगा 17 :57 बजे से 19 :53 बजे तक बृषभ लग्न होने की वजह से शुभ है ! 13 :39 बजे से लेकर 15 :04 बजे तक कुम्भ लग्न है जो व्यापारी और व्यावसयिक स्थल पर पूजन के लिए शुभ है रात्रि 12 :30 बजे से लेकर 02 :51 बजे रात्रि तक सिंह लग्न होने की वजह से उन लोगो के लिए कलयाणकारी समय है जो मन्त्र जाप या साधना करते है
दिपावली पूजन विधि
माता लक्ष्मी और गणपति भगवान् की मूर्ति को स्थापित करे सबसे पहले गणेश जी की पूजा होनी चाहिए , उनको पंचामृत करवाए , कुमकुम या केसर से तिलक कर पुष्प हार पहनाए वस्त्र समर्पित करे और जनेव पहनाए तत्पश्चात माँ लक्ष्मी को सुन्दर वस्त्र से सुशोभित करे आभूषण पहनाए , इत्र लगाए केसर कुमकुम का तिलक करे इनके आगे एक बड़ा सा चौमुख दीपक गाय के गोबर के ऊपर रख कर प्रज्जवलित करे ,गाय के गोबर पर सिंदूर और अक्षत लगाए इसके बाद सोलह दीपक प्रज्जवलित करे जो चन्द्रमा के सोलह कलाओ या सोलह मातृका को समर्पित किया जाता है। सर्वप्रथम गणेश जी की स्तुति करे उसके उपरांत माँ लक्ष्मी की पूजन करे और कनकधारा स्त्रोत पाठ करे। पान , मिष्ठान , फल का भोग लगाए और माता को प्रणाम कर पुरे घर में दीपक शुशोभित करे और अपने से बड़ो का चरण छू कर प्रणाम करे।
सावधानी
सावधानी के तोर पर पुरे घर को सवच्छ रखे, पवित्रता बनाए रखे, किसी के प्रति कोई द्वेष न रखे, सफाई का विशेष ध्यान दे , अपने पुरोहित या ब्राह्मण या अपने गुरु को प्रणाम कर आशीर्वाद ले और दान स्वरूप कुछ न कुछ अवश्य दे।