भारत में लगभग हर घर से प्रतिदिन घरेलू कचरे का निकास होता है परंतु उसका निष्पादन कौन करता है, कैसे करता है यह तो सब लोगों पर निर्भर करता है। कुछ लोग घर में खाद के रूप में करते हैं। कुछ लोग इसको फेंक देते हैं। सबसे पहले हम यह जानते कि घरेलू कचरा में क्या-क्या आता है? घरेलू कचरा जैसे फलों के छिलके, सब्जियों के डंठल, पेड़ पौधों के पत्ते या घर का खाना जो खाने से बच जाता इत्यादि है। शहरी नगर निगम ने भी इस कचरे का इस्तेमाल करने के लिए विभिन्न सेंटर खोल रखे हैं और वहां पर एक अच्छी सुविधा यह है कि गीला कचरा लाएं और उसके बदले फ्री में पेड़ पौधों के लिए खाद ले जाएं।
इस प्रकार से नगर निगम द्वारा विभिन्न अभियान चलाए जाते हैं जिससे इस घरेलू कचरे का इस्तेमाल आसानी से खाद के रूप में किया जा सके। आज हम बताएंगे घर से निकलने वाले हरित कचड़े या घरेलू कचड़े का निष्पादन कुछ प्रमुख विधियों के द्वारा आसान तरीके से निष्पादन कैसे किया जा सकता है। निम्न विधियां हैं-
ग्रामीण क्षेत्र में : कंपोस्टिंग विधि द्वारा
ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यतः नगर निगम की व्यवस्था ना होने के कारण इस जगह कंपोस्टिंग विधि द्वारा घरेलू कचरा जैसे घास, पत्तियां, गाय का गोबर, बचा हुआ खाना इत्यादि का कई विधियों के द्वारा निष्पादन आसानी से किया जाता है। आमतौर पर इस विधि में आयताकार का एक सामान्य गहरा गड्ढा खोदा जाता है। यह गड्ढा ऊंचाई पर खोदा जाता है जिससे कि बारिश का पानी ना भरे। इस गड्ढे में घरेलू कचरे को डालकर ढक दिया जाता है और कुछ महीनों में खाद के रूप में तैयार हो जाता है। इस खाद का उपयोग किसान कृषि के विभिन्न कार्यों में भी कर सकते है।
वर्मीकल्चर विधि द्वारा-
वर्मीकल्चर विधि में घरेलू कचरे को इकट्ठा करके उसमें कैचुओ को छोड़ दिया जाता है और यह कैचुये कचड़े को विघटित कर खाद के रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इस विधि का प्रचलन काफी समय से चला आ रहा है। अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में इस विधि का उपयोग उच्च स्तर पर किया जाता है क्योंकि यह विधि बहुत ही आसान व सरल है।
शहरी क्षेत्र में घरेलू कचरे का निष्पादन-
आमतौर पर शहरी क्षेत्र में नगर निगम घरेलू कचरे का निष्पादन करती है। नगर निगम कर्मी हर घर में जाकर कचरे को एकत्रित करती है और एक जगह इसका निष्पादन किया जाता है। उस जगह ले जाकर इस कचरे को खाद के रूप में तैयार करते हैं और यहां से उत्पादित इस खाद को काफी कम दामों पर बेचा जाता है ताकि लोग इसको अधिक से अधिक खरीद सकें। ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले शहरी क्षेत्रों में अधिक कचड़े का उत्पादन होता है। इस कारण से शहरी क्षेत्रों में नगर निगम को स्थापित किया गया है।
उपरोक्त विधियों का अगर हम इस्तेमाल करते हैं, तो कचड़े का तो सही रूप से इस्तेमाल तो हो ही रहा है, इससे यह फायदा होगा की खाद का उपयोग कर हम भूमि की उर्वरक शक्ति को बढ़ा सकते हैं और पर्यावरण को बचाने में हम अपना योगदान दे सकते हैं। कचरे का सही निष्पादन होगा तो हम अपने देश के वातावरण को स्वच्छ बनाए रख सकते हैं।