उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के बाब राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से पिछले 5 दिनों में 63 मासूमों की मौत हो गई है. दावा है कि मेडिकल कॉलेज में दो दिन के भीतर तीस बच्चों की मौत की वजह अचानक 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक जाना है, क्योंकि ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का पैसा बकाया था. इस हादसे के बाद विपक्ष लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साध रहा है और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में 10 अगस्त की शाम ऑक्सीजन सप्लाई का रुक गई थी. जिसकी वजह से उसी दिन बच्चों की मौत का आंकड़ा 23 पहुंच गया है और इसके बाद भी 13 मासूम बच्चों की मौत हो गई. बताया गया कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी और बच्चों की जान सिर्फ एक पंप के सहारे टिकी हुई थी. सूत्रों के मुताबकि, अस्पताल में अभी भी ऑक्सीजन सप्लाई की कमी है.
क्यों हुआ ये हादसा?
बताया जा रहा है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 66 लाख रुपए से ज्यादा बकाया था. इस मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई का जिम्मा लखनऊ की निजी कंपनी पुष्पा सेल्स का है. तय अनुबंध के मुताबिक मेडिकल कॉलेज को दस लाख रुपए तक के उधार पर ही ऑक्सीजन मिल सकती थी. एक अगस्त को ही कंपनी ने गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज चिट्ठी लिखकर ये तक कह दिया था, कि अब तो हमें भी ऑक्सीजन मिलना बंद होने वाली है. पैसा चुका दो.
दो दिन पहले सीएम ने किया था दौरा
दो दिन पहले नौ अगस्त की शाम को सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज का हाल देखकर गये थे. बताया जा रहा है कि 69 लाख रुपये का भुगतान न होने की वजह से फर्म ने ऑक्सीजन की सप्लाई ठप कर दी थी. लिक्विड ऑक्सीजन तो गुरुवार से ही बंद थी और आज सारे सिलेंडर भी खत्म हो गए. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरीजों ने दो घंटे तक अम्बू बैग का सहारा लिया. वहीं यूपी सरकार का कहना है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी के कारण किसी रोगी की मौत नहीं हुई है.
ताज्जुब है कि इतनी बड़े संकट के बावजूद डीएम या कमिश्नर में से कोई भी शुक्रवार को दिन भर बीआरडी मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंचा. जबकि मेडिकल कॉलेज के डाक्टरों का कहना था कि दोनों अधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी गई थी. प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचते तो क्राइसिस मैनेजमेंट आसान हो जाता. बुधवार को ही लिक्विड ऑक्सीजन का टैंक पूरी तरह से खाली हो गया था. मंगाए गए ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म हो गए. इसके बाद कालेज में हाहाकार मच गया. बेड पर पड़े मासूम तड़पने लगे. डॉक्टर और तीमारदार एम्बू बैग से ऑक्सीजन देने की कोशिश करने लगे. हालांकि उनकी यह कोशिश नाकाफी साबित हुई. इंसेफेलाइटिस वार्ड में मरने वालों में जुनैद, अब्दुल रहमान, लवकुश, ज्योति, शालू, खुशबू, फ्रूटी, शिवानी और अरूषी शामिल थी.
ऑक्सीजन की कमी से मौत के मामले
- जून 2017 में ऑक्सीजन सप्लाई बंद होने की वजह से इंदौर के एम वाय अस्पताल में एक रात में 11 मरीजों की मौत हो गई थी.
- सितंबर 2016 में ऑक्सीजन की कमी से तीन मरीजों की मौत: फैजाबाद जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से तीन मरीजों की मौत हो गई थी.
- दिसंबर 2015 में ऑक्सीजन की कमी के चलते अस्पताल में दम घुटकर हो 18 लोगों की मौत हो गई थी. आपको बता दें कि ये चेन्नई के एक निजी अस्पताल में जेनरेटर रूम में बाढ़ का पानी घुस जाने और इसी वजह से ऑक्सीजन की आपूर्ति ठप पड़ जाने के कारण 18 मरीजों की मौत हो गई.
- जून 2012 में यूपी के आगरा में एसएन मेडिकल कॉलेज में आइसीयू में ऑक्सीजन की कमी से तड़प-तड़पकर तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया था.
- सितंबर 2011 में राजस्थान में जोधपुर के एक अस्पताल में 5 मरीजों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया था.