Friday, November 15, 2024
hi Hindi

De De Pyaar De Movie Review: दे दे प्यार दे? नो थैंक्स

by Yogita Chauhan
365 views

अजय देवगन, तब्बू और रकुल प्रीत की फ़िल्म ‘दे दे प्यार दे’ दो ऐसे प्रेमी की है जिनके बीच एज गैप नहीं जनरेशन गैप है। लड़के से लड़की की उम्र 24 साल छोटी है। इस तरह की फिल्में पहले भी बॉलीवुड में बन चुकी हैं जैसे ‘चीनी कम’, ‘दिल चाहता है’ और ‘दिल तो बच्चा है जी’। ये वाली फिल्म बाकी फिल्मों से किस तरह अलग है आइए जानते हैं।

कहानी

ये कहानी है 50 साल के आशीष (अजय देवगन) की है जिसे 26 साल की आएशा (रकुल प्रीत) से प्यार हो जाता है, दोनों लंदन में मिलते हैं और शादी करने का फ़ैसला करते हैं। आशीष उसे अपने घर वालों से मिलाने के लिए अपने शहर लौटता है जहाँ उसकी बेटी की शादी हो रही है, जो उसकी गर्लफ्रेंड की हमउम्र है।

इस फ़िल्म के ट्रेलर को देखकर लगा था कि ये कॉमेडी फ़िल्म होगी, लेकिन ऐसा नहीं है, जितने भी पंच और कॉमेडी सीन फ़िल्म में है वो आपको ट्रेलर में दिखा दिए गए हैं। शुरुआत से ही ये फ़िल्म आपको एहसास करा देती है कि आप ग़लत फ़िल्म देखने आ गए हैं। पहले तो आप जिस फ़िल्म को कॉमेडी समझकर देखने आए हैं वो कॉमेडी नहीं है, और जो है भी उसे इतना खींचकर दिखाया गया है, ऐसे में ना ये फिल्म कॉमेडी बन पाई है और ना ही संजीदा। कई जगह तो फिल्म के डायलॉग फूहड़ किस्म के हैं। फ़िल्म के निर्देशक आकिव अली ख़ुद एक एडिटर हैं, जो दशकों से फ़िल्में एडिट कर रहे हैं, लेकिन जब उन्होंने अपनी फ़िल्म बनाई तो उस पर कैंची चलाने से उनके हाथ काँपने लगे और फ़िल्म के कई सीन बेवजह लगने लगे। इसे और क्रिस्पी बनाई जा सकती थी। फिल्म से अगर आधे घंटे और निकाल दिए जाते तो फिल्म शायद थोड़ी बेहतर बन जाती है। फ़िल्म में स्क्रिप्ट लेवल पर ही कई कमियां हैं, जो पर्दे पर साफ नजर आती हैं।

फिल्म में रकुल प्रीत जो कि वन नाइट स्टेंड में बिलीव करती है और आशीष के दोस्त की बैचलर पार्टी में स्ट्रिपर बनकर आती है उसे बाद में उसका नेचर और बिहैवियर अलग तरीके से पेश किया जाता है। खामी रकुल की नहीं स्क्रिप्ट राइटर की है।

परफॉर्मेंस की बात की जाए तो अजय देवगन ‘दे दे प्यार दे’ में सबसे ज्यादा मिसफिट लगे हैं। वो एक्शन और कॉमेडी तो बढ़िया करते हैं लेकिन इमोशनल सीन वो कर नहीं पाएं। रकुल प्रीत फ्रेश लगी हैं, जब-जब वो स्क्रीन पर आती हैं आपके चेहरे पर स्माइल लाती हैं। तब्बू अच्छी लगी हैं, फिल्म के क्लाइमैक्स से पहले तब्बू का एक सीन है जहां वो तलाक और रिश्ते को लेकर एक लंबा डायलॉग बोलती हैं, वो इस फिल्म का बेस्ट सीन है। फिल्म में जिमी शेरगिल, मीटू वाले आलोक नाथ और जावेद जाफरी भी हैं जिनका काम अच्छा है।

फिल्म में रिश्तों का जिस तरह मजाक उड़ाया गया है वो गले नहीं उतरता है, जैसे तब्बू अपने ही एक्स हस्बैंड (जो अभी एक्स हुआ भी नहीं है क्योंकि दोनों का तलाक नहीं हुआ है) को राखी बांधती हैं, ऐसे बेवजह के सीन से बचा जा सकता था।

फ़िल्म का फ़र्स्ट हाफ़ लंदन में फ़िल्माया गया है और सेकंड हाफ़ किसी ख़ूबसूरत पहाड़ी इलाक़े में, लोकेशंस देखकर दिल ख़ुश हो जाएगा। इस फ़िल्म में ‘सिंघम’ और ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’ के फ़ैंस के लिए सरप्राइज़ भी है।

म्यूज़िक

फ़िल्म में दो गाने रीमिक्स हैं, बाक़ी गाने ऑरिजिनल हैं। गाने सभी अच्छे हैं, ख़ासकर अरमान मलिक का ‘चले आना’ और अरिजीत सिंह का ‘दिल रोई जाए’ बहुत प्यारा है।

‘दे दे प्यार दे’ में एज गैप वाली लव स्टोरी के अलावा, लिव इन, तलाक़ जैसे दूसरे मुद्दे पर भी बात की गयी है। अगर फ़िल्म की एडिटिंग और स्टोरी लाइन पर ध्यान दिया जाता तो ये अच्छी फिल्म बन सकती थी। अगर आप फ़ैमिली के साथ टाइम पास के लिए ये फ़िल्म देखना चाहें तो देख सकते हैं, हम ‘दे दे प्यार दे’ को 5 में से 2.5 स्टार देंगे।

देखें फिल्म का ट्रेलर…

SAMACHARHUB RECOMMENDS

Leave a Comment