राजेश खन्ना जिन्हें प्यार से लोग काका कहकर बुलाते थे, बॉलीवुड के ऐसे स्टार थे जिनका हर कोई दीवाना था| भले ही वो इस दुनिया में नहीं हैं, पर आज भी वो लोगों के सुपर स्टार हैं और हमेशा रहेंगे| उनका स्टारडम ऐसा था कि लोग उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते थे| पंजाब में 29 दिसंबर 1942 उनका जन्म हुआ था, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन ये लड़का इंडस्ट्री का पहला सुपरस्टार कहलाएगा|
राजेश खन्ना की फ़िल्मों के बारे में आपने बहुत सुना होगा, लेकिन आज चर्चा होगी उनके स्टारडम की| वो स्टारडम जिसके लड़के ही नहीं लड़कियां भी फ़ैन थीं| उनके स्टारडम का एसहास करना है तो आपको राजेश खन्ना पर लिखी गई किताब़ ‘द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ इंडियाज़ फ़र्स्ट सुपरस्टार’ पढ़नी चाहिए|
इसमें राजेश खन्ना को लोग किस कदर चाहते थे, इसके कई क़िस्से पढ़ने को मिलेंगे| यासिर उस्मान जब इस बुक को लिख रहे थे, तब उन्होंने कई लोगों से राजेश खन्ना के बारे में बात भी की थी| बंगाल में उनकी ऐसी ही एक फ़ैन थी| उनसे जब यासिर साहब ने पूछा कि आपके लिए राजेश खन्ना क्या हैं, तो उन्होंने कहा आप नहीं समझेंगे| जब हम उनकी फ़िल्म थिएटर में देखने जाते थे, तो वो हमारी और उनकी डेट हुआ करती थी|
यही नहीं लड़कियां उनकी इस कदर दीवानी थीं कि अगर उनकी सफ़ेद कार कहीं खड़ी दिख जाए, तो महिलाएं उसे Kiss करके रंग देती थीं| ये 70 के दशक की बात है, जब उनकी लगातार कई फ़िल्में हिट हो चुकी थीं और लोगों में उनकी इमेज एक रोमांटिक हीरो की बन चुकी थी|
इस बुक में दिल्ली की लड़कियों का एक दिलचस्प क़िस्सा यासिर साहब ने बताया है| इसके मुताबिक, जब एक बार राजेश खन्ना को बुखार हुआ तब कुछ लड़कियों ने उनके पोस्टर पर बर्फ़ रखकर उनके बुखार को उतारने की कोशिश की थी| टीनएज लड़कियों में राजेश खन्ना का क्रेज़ ऐसा था कि उनकी कार अगर कहीं से निकल जाए, तो लड़कियां उसकी धूल से अपनी मांग भर लिया करती थीं| वो मन ही मन उन्हें अपना पति मान लिया करती थीं|
उनकी फ़िल्म आनंद का डायलॉग आज भी लोगों की ज़ुबान पर है- ‘बाबूमोशाय, हम सब रंगमंच की कठपुतलियां है जिसकी डोर ऊपर वाले की उंगलियों से बंधी हुई है | कब किसकी डोर खिंच जाए ये कोई नहीं बता सकता|’