बैलगाड़ी मे चलते थे बैल सा जीवन जीते थे,
घास फूस खाकर भी निरोगी काया पाते थे
फिर मोटर बनाई, सुख सुविधा पायी
हर चीज मे तेजी लायी
Food भी फास्ट बनाई
बीमारियों की सौगात भी लायी
चले दिमाग ज्यादा, मेहनत हो गई कम
पैसे के चक्कर में सेहत हो गई नम
हवा में प्रदूषण, नदियों में जहर घोला
खेतों में डाला यूरिया का झोला
हर इंसान हो गया मिलावटी
जीवन बन गया दिखावटी
बढ़ी पैसे की मारामारी
शुरू हो गई कुदरत की महामारी
मौका है इंसान बनो
मरने के नहीं, जीने की राह चुनो
संदेश कुमार गुप्ता