Thursday, November 21, 2024
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दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस का ग्रहण

by Divyansh Raghuwanshi
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यदि कोरोनावायरस को जल्द ही नहीं रोका गया तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। यह नुकसान कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि 1.1 ट्रिलियन डॉलर का है, जो 78 लाख करोड़ रुपए के बराबर होता है। ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के हिसाब से महामारी की स्थिति भी आ सकती है और वैश्विक विकास दर 1.3% कम भी हो सकती है। हालांकि, चीन यह दावा कर रहा है, कि उसने कोरोनावायरस पर नियंत्रण कुछ हद तक पा लिया है। यदि जून के बाद भी कोरोनावायरस का इसी प्रकार का असर रहा तो आर्थिक वृद्धि कम हो जाएगी। चीन की आर्थिक गतिविधियां उन जगहों पर ही है, जहां कोरोनावायरस अधिक पनप रहा हो। इसका असर चीन को तो होगा ही, साथ में बड़ी कंपनियों पर भी इसके असर देखे जाएंगे।

भारत पर प्रभावIMG 20200218 222754

ऐसा माना जा रहा है यदि चीन में कंपनियां शटडाउन जल्दी कर लेंगी तो भारत को इतना अधिक नुकसान नहीं होगा किंतु यदि यह लंबे समय तक रहा तो भारत को काफी नुकसान होने की संभावना है। भारत और चीन का अप्रैल से दिसंबर में पिछले वर्ष 3.73 लाख करोड का कारोबार हुआ था। यह आयात कारोबार है जिसमें ऑटो, कच्चा माल, गैस, केमिकल सेक्टर, आईटी सर्विसेज आदि हैं जिनमें काफी अधिक प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा मोबाइल हैंडसेट और इलेक्ट्रॉनिक पर भी असर होगा क्योंकि भारत इन सब में चीन पर काफी अधिक निर्भर करता है।

स्टील आयरन

भारत ने 2018-19 में लगभग चीन से 12165 करोड का आयात किया व 2230 करोड़ रूपए का निर्यात किया था। चीन के स्टील स्टॉक और घरेलू कीमत पर काफी दबाव आ चुका है क्योंकि चीन से सामान नहीं जा पा रहा है। इसकी वजह से भारत की कुछ कंपनी जैसे टाटा स्टील और अन्य बड़ी कंपनियां भी बहुत प्रभावित हो चुकी हैं।

स्मार्टफोन

भारत स्मार्टफोन गुड्स चीन को 6 से 8% निर्यात के रूप में प्रदान करता है, वही 50 से 60% चीन से भारत यह सामान आयात करता है। ऐसा माना जा रहा है, कि जनवरी से मार्च में चीन की कंपैक्ट फैक्ट्रियों के बंद होने की वजह से स्मार्टफोन की बिक्री में भारी मात्रा में कमी आ जाएगी।

ऑटो मैन्युफैक्चरिंग

भारत ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का सामान चीन से 10 से 30% तक आयात के रूप में लेता है। यह सामान इलेक्ट्रिक वाहनों में और अधिक बढ़ जाता है। चीन की आर्थिक समस्याओं की वजह से भारत की ऑटोइंडस्ट्री का प्रोडक्शन कम हो सकता है और इसमें भारी गिरावट के संकेत नजर आ रहे हैं। फिच के अनुसार यह आंकड़ा 8.3% गिरावट की ओर बताया जा रहा है।

फार्मास्यूटिकल्स

यदि पिछले वर्ष की बात की जाए तो भारत का एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स और इनका आयात करीब 25552 करोड रुपए के लगभग था। इसमें करीब 68 प्रतिशत हिस्सा चीन का ही था। इस इंडस्ट्री में भी भारत की चीन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। 

बड़ी कंपनियां प्रभावितgdp new

एप्पल के अनुसार ऐसा बताया गया है, कि वह इस तिमाही में रिवेन्यू टारगेट नहीं हासिल कर पाएगी। इसका कारण है चीन में मांग में कमी आई है और वह इस वजह से वह लक्ष्य में पीछे रह जाएगी। इसके अलावा जैगवार लैंड रोवर की ब्रिटिश फैक्ट्री के पास में केवल 1 हफ्ते के ही ऑटो पार्ट्स बचे हुए हैं। कंपनी 23% जैगुआर की बिक्री चीन में करती है।

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