Corona से पूछा मैंने
तू क्यूँ आया है, क्यूँ इतनी बर्बादी लाया है
Corona रोकर बोला
ये तो नियति का साया है, जो बोया उसीका फल पाया है
चहुँ ओर, घनघोर, Corona का शोर
चलता नहीं किसी का जोर
दिन है या रात है, ना दुजी कोई बात है
घर में ही jail का एहसास है
हर इंसान बदहवास है
इंसान को इंसान का खौफ है,
Social distancing का दौर है
कभी ताली, कभी थाली, कभी मोमबत्ती का प्रयोग है
फिर भी corona है कि मानता नहीं
इसका इलाज कोई जानता नहीं
ना दवा, ना दुआ का असर है
फिर भी हमे इंसान होने का फख्र है
आओ सब मिलकर अलग अलग रहें
Corona का काम तमाम करें
ऐसे ही corona भागेगा
नया सवेरा जागेगा
रचयिता संदेश गुप्ता