मूडीज के हिसाब से जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान कम कर दिया गया है। ऐसा अनुमान बताया जा रहा है, कि जीडीपी ग्रोथ 6.6 फीसदी से कम होकर 5.4 फ़ीसदी हो सकती है। इसी के साथ एजेंसी ने बताया कि 2021 में भी जीडीपी बढ़त का अनुमान 6.7 से कम होकर 5.8 फीसदी का अनुमान है। मूडीज एजेंसी बताती है, कि पीएमआई के आंकड़ों से भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता का पता चलता है। वर्तमान के समय में मौजूदा तिमाही में सुधार देखा गया है किंतु अब यह पहले की रफ्तार से नहीं चल पाएगा।
कोरोनावायरस का असर
एजेंसी इस संदर्भ में बताती है, कि कोरोनावायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ गई है। यह भारत के लिए भी एक बड़ा रुकावट का कारण बन गया है। भारत की जीडीपी ग्रोथ भी इसकी वजह से कम हो सकती है। इसके अलावा एजेंसी यह भी बताती है, कि भारत में सुधार की उम्मीद बेहद कम है।
चीन पर भी पड़ेगा असर
एजेंसी ने बताया कि चीन का अनुमानित विकास दर भी कम हो गया है। एजेंसी कहती है, कि 2020 वर्ष में जी-20 में आने वाले देशों की अर्थव्यवस्था 2.4% बढ़ सकती है। चीन के विकास दर की वृद्धि का अनुमान 5.2 फीसदी कर दिया गया है और 2021 में तो यह 2.4 फीसदी कर दिया गया।
2018-19 में क्या थी विकास दर
भारत की विकास दर 2018-19 में 6.8 फीसदी थी। यदि उस समय के विकास से तुलना करें तो करीब 1.8 फ़ीसदी की गिरावट देखी गई।दुनिया भर की कई रेटिंग एजेंसी और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के हिसाब से भारत की जीडीपी अनुमान कम कर दिया गया है। मूडीज एजेंसी के हिसाब से मार्च 2020 में सकल घरेलू उत्पाद 5.8 से 4.9 बताया गया है। वही फिच ने बताया है, कि विकास तक 4.6 फीसदी रह सकती है। यह विकास दर 2020-21 में 5.6 फ़ीसदी रह सकती है और 2021-22 में 6.5 फीसदी का अनुमान है।
विश्व बैंक का अनुमान
विश्व बैंक के सबसे बताया गया था कि 2019-2020 वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी पांच फ़ीसदी हो सकती है। अगले वित्त वर्ष की बात की जाए तो 5.8 फीसदी की बढ़त का अनुमान बताया गया। वर्ल्ड बैंक के अनुमान में भी काफी कटौती कर दी गई। अक्टूबर माह में विश्व बैंक के द्वारा बताया गया था कि 2019-20 में भारत की जीडीपी छह फ़ीसदी की दर से बढ़ सकती है।
आईएमएफ का अनुमान
आईएमएफ के हिसाब से भारत की विकास दर 2019 में 6.1 की स्थिति बताई गई थी। 2020 में आईएमएफ के हिसाब से यह 7 फीसदी बताई जा रही है।
फिच का अनुमान
रेटिंग एजेंसी फिच के हिसाब से 2019-20 में विकास दर 4.6 फ़ीसदी रह सकती है। वहीं इसकी संभावना 2020-21 में 5.6 फ़ीसदी बताई गई और अगले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी बताई गई। संयुक्त राष्ट्र संघ के हिसाब से बात की जाए तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर में 5.7 का अनुमान बताया गया है।