हर इंसान अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता है, कि वह इनकम टैक्स में बचत कर पाए। इनकम टैक्स में मौजूद 80c एक्ट और इसके साथ ही कई सेक्शन की वजह से टैक्स में डिडक्शन संभव हो पाता है और इसका फायदा मिल जाता है। इनके हिसाब में कई बार व्यक्ति गलती कर देता है जिसकी वजह से भविष्य में उसे नुकसान होता है। यह गलतियां नुकसानदायक हो सकती हैं और इनसे बचना जरूरी हो जाता है। आने वाले समय की वित्तीय स्थिति पर कोई प्रभाव ना हो इसके लिए कुछ बातें ध्यान में देनी चाहिए। आइए ऐसी कुछ गलतियों के बारे में बात करते हैं जिनमें आपको हमेशा सतर्क रहना चाहिए-
दौलत जमा करना महत्वपूर्ण है
यदि आपको निवेश करना है, तो टैक्स बचत को कभी भी मुख्य कारण ना बनाएं। यदि आपको अपने टैक्स को लेकर प्लानिंग करना है, तो वित्तीय लक्ष्य को हमेशा ध्यान में रखें। इसके साथ ही पीपीएफ, एनपीएस और ईएलएसएस जैसे निवेश के तरीके अपनाने चाहिए। उनकी तुलना आपको रिटर्न और लिक्विडिटी के आधार पर करनी चाहिए। इससे टैक्स में तो बचत होगी ही, साथ में दौलत भी जमा हो जाएगी। इसका एक फायदा यह भी है, कि आप अपने लक्ष्य को लंबी अवधि के लिए तय करके समय पर पूरा कर पाएंगे। आपके लिए कुछ सामान्य लक्ष्य हो सकते हैं जैसे अपने बच्चों की शिक्षा, शादी आदि के लिए पैसे जमा करना, रिटायरमेंट प्लान बनाना आदि।
पारंपरिक तरीकों से ऊपर उठें
कई बार बाजार में निवेश के जोखिम को देखते हुए टैक्सपेयर्स उनसे बचा करते हैं। ऐसे में देखा जाए तो अन्य तरीके जैसे एफडी और पीपीएफ से बेहतर रिटर्न की उम्मीद होती है। इनकम टैक्स के सेक्शन 80c में टैक्स बचत तो होती ही है साथ में लंबी अवधि का रिटर्न होता है, जो अन्य टैक्स बचत तरीकों से अधिक रहता है। इसका लॉक इन पीरियड 3 साल का रहता है, जो सबसे छोटा रहता है। ईएलएसएस में निवेश करने से लिक्विडिटी भी सही रहती है और मुनाफा होने से 1 लाख तक टैक्स छूट रहती है।
टैक्स प्लानिंग के लिए आखिरी समय तक निर्भर ना रहे
टैक्सपेयर्स का आखिरी समय तक निर्भर रहना भी एक बड़ी गलती रहती है, जो आपकी टैक्स प्लानिंग को खराब कर सकता है। आखरी समय में लिया गया फैसला गलत हो सकता है और हो सकता है, कि आप खराब गुणवत्ता वाले निवेश के तरीके चुने। इसकी वजह से पेमेंट क्लीयरेंस और इन्वेस्टमेंट प्रूफ में भी परेशानी हो सकती है। यह भी हो सकता है, कि इससे टैक्सपेयर को लाभ ना मिले। व्यक्ति अगर साल के आखिरी तिमाही में पूरा निवेश एक ही बार में करने का सोचेगा तो इससे वह पूरे साल में मिलने वाले अच्छे रिटर्न का मौका गवा देता है। आपको अपनी टैक्स बचत की योजना पहले ही तैयार कर लेनी चाहिए जिससे आपको अच्छे से लाभ मिले और रिटर्न मिले।
इंश्योरेंस और निवेश अलग रखें
कभी भी टैक्सपेयर्स को इंश्योरेंस और निवेश को आपस में मिलाकर निवेश नहीं करना चाहिए। वह इसके लिए यूएलआईपी, एंडोमेंट जैसी चीजों में निवेश कर बैठते हैं। इसकी वजह से उनको कवर सही मात्रा में नहीं मिलता है और रिटर्न भी अच्छा नहीं मिल पाता। इसकी वजह है इनका लॉक इन पीरियड भी 5 साल होना। यदि आप टैक्स की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इंश्योरेंस और निवेश अलग रखें।