Friday, September 20, 2024
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क्लीन एनर्जी में 226 प्रतिशत की बढ़त…

by Divyansh Raghuwanshi
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क्लाइमेट चेंज परफारमेंस इंडेक्स 2020 के हिसाब से भारत अच्छा प्रदर्शन करने वाले टॉप 10 देशों में आया है। यह वो देश हैं, जो जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन कम करने और बिजली उत्पादन करने के लिए कार्य में लगे हुए हैं।

5 साल में भारत में रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता 226 प्रतिशत बढ़ गई है। 89 गीगावाट की ऊर्जा इसके द्वारा मिल रही है। सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है, कि उन्हें 450 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी करना है। 2014 से तुलना करें तो अभी तक 13.5 गुना की बढ़त सौर ऊर्जा में देखी गई है। क्लाइमेट एक्सपर्ट का मानना है, कि यदि पिछले 5 वर्षों में देखा जाए तो क्लाइमेट इंडेक्स सुधार पर बहुत काम किया गया है।

बिजली का बिल 50% कम हो सकता है

32000 मेगावाट सोलर ऊर्जा पर एनटीपीसी वर्तमान में कार्य करता है। नए कोल प्लांट में टाटा पावर अभी निवेश पर विचार नहीं कर रहा है। ₹2 प्रति यूनिट बिजली सोलर पावर प्लांट के द्वारा मिलती है। वहीं यदि थर्मल पावर प्लांट की बात करें तो यह कीमत ₹4 होती है। यदि इसी तरह चलता रहा तो आने वाले 10 वर्षों में हमारी बिजली का बिल 50% कम हो सकता है।

वर्तमान में अडानी-अंबानी ग्रुप गो ग्रीन के लिए काम कर रहे हैं। यदि देश के 50 प्रोजेक्ट की बात करें तो नए में अधिकतर यानी की 90% नो कोल हैं। बचे हुए जो प्रोजेक्ट हैं, वह काफी पहले से चल रहे हैं और इन्हें बंद करने की भी योजना चल रही है। हमारे देश के क्लाइमेट चेंज, फॉरेस्ट एवं इन्वायरमेंट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी की माने तो जलवायु से संबंधित कार्यों में भारत प्रतिबद्धता से कार्य में लगा हुआ है। भारत वर्तमान में उन देशों में है, जो जलवायु संबंधित कार्य में पूरी प्रतिबद्धता से लगे हुए हैं और कार्य को पूरा कर रहे हैं।

प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन भारत में 60% से कम

यूएनईपी की एमिशन कैप रिपोर्ट 2020 के हिसाब से वैश्विक औसत में प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन भारत में 60% से कम है। 2019 में सोलर पावर प्लांट को किसी सरकार ने नहीं किया था फाइनेंस। यदि 2018 तक देखा जाए तो कोल प्रोजेक्ट में 67% की गिरावट देखी गई थी। वहीं सरकारी फाइनेंस की बात करें तो 2017 में यह 60,000 करोड़ था जो 2019 में सिर्फ और सिर्फ 1100 करोड़ बचा था।

वहीं वित्तीय संस्थान एवं कमर्शियल बैंक अधिकतर रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट को ही 24% तक का लोन दे रहे हैं। 15 हजार करोड़ों रुपए की सब्सिडी रिन्यूएबल और कोल प्रोजेक्ट को मिली है। 

10% से अधिक का लक्ष्य हासिल

भारत ने यह 2019 में कह दिया था कि वह रिन्यूएबल एनर्जी में 175 गीगावॉट तक की क्षमता हासिल कर लेगा और उसने 2019 में 10% बढ़त हासिल भी कर ली है। वर्तमान में भारत की रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता की बात करें तो यह 89 गीगावाट है। प्रतिवर्ष 35 गीगावाट क्षमता को बढ़ाया जाने जाना है। इस प्रकार 2030 तक 450 जिराबाद का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।

कोयले से बिजली हटाई गई

गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान ने कोल प्लांट पर वर्तमान में रोक लगा दी है। टाटा पावर और एनटीपीसी जैसी कंपनियां भी जल्दी कॉल पावर प्रोजेक्ट को बंद कर देंगी। कोयले से बिजली उत्पादन में बीते 1 वर्ष में 9.3% की कमी देखी गई है। वहीं इसी वर्ष कोयले से बिजली उत्पादन भी 67 प्रतिशत तक काम हुआ है।

 

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