Friday, November 15, 2024
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शास्त्रीय संगीत के सुर गायक पंडित जसराज

by Divyansh Raghuwanshi
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भारत देश के प्रसिद्ध शास्त्रीय सुर गायक पंडित जसराज ने 90 वर्ष की उम्र में अमेरिका के न्यूजर्सी में अंतिम सांस ली। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंडित जसराज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

मेवाती घर आने से ताल्लुक रखने वाले पंडित जसराज ने गायन शैली में लचीलापन के साथ ठुमरी हल्की शैलियां के तत्वों को जोड़ा। 80 वर्ष तक संगीत की दुनिया में पंडित जसराज ने अतुलनीय कार्य किया। अंतरिक्ष का सितारा और सुरों की दुनिया के शास्त्रीय गायक धरती को अलविदा कह गए। संगीत के सफर में बहुत कुछ सिखा कर अनंत अंतरिक्ष में भी अपनी जगह बना कर गए।

जन्म और पारिवारिक परिचय

Indian classical vocalist Pt. Jasraj

Indian classical vocalist Pt. Jasraj

28 जनवरी 1930 को हिसार में पंडित जी का जन्म हुआ था। पंडित जसराज के पिता पंडित मोतीराम ने मुखर संगीत की दीक्षा दी। अपने बड़े भाई से तबला संगीत की शिक्षा ली। पंडित जसराज ने 14 साल की उम्र में ही एक गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू कर दिया।1962 में फिल्म निर्देशक वी शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से पंडित जी ने विवाह किया।

पंडित जी के एक बेटा और एक बेटी है। पंडित जसराज का एक संगीत स्कूल भी है। अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 11 नवंबर 2006 को खोजे गए हीन ग्रह 2006 VP32 पंडित जसराज के सम्मान में पंडित जसराज नाम दिया गया।

शास्त्रीय संगीत

Pandit Jasraj

Pandit Jasraj

पंडित जसराज ने शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में लचीलापन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों को जोड़ा। दुनिया भर में शास्त्रीय संगीत के सुरों को आपने पिरोया है। ओम नमो भगवते वासुदेवाय हो, ओम नमः शिवाय पंडित जी की आवाज और शास्त्रीय गायन में प्रार्थना का रूप बन गया। जसराज ने जुगलबंदी पर एक उपन्यास रूप जस रंगी तैयार किया।

जिसे मूर्छना की प्राचीन प्रणाली की शैली में किया गया। पंडित जसराज जी कई प्रकार की दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करते थे। शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। हवेली संगीत, अबिरी टोडी और पाट दीपाकी शामिल है। शास्त्रीय और अर्थशास्त्र के स्वरों के उनके प्रदर्शनों को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में बनाया गया। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है आज उनके शिष्य भी संगीतकार बने हुए हैं।

2018 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में आये पंडित जसराज ने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा था कि जब मैं युवा था, भगवान श्री कृष्ण एक रात मेरे सपने में आए। उन्होंने मुझे बताया कि जो तुम दिल से गाते हो वह सीधे मेरे दिल को छूता है यही वह समय था, जब मैंने गाना शुरू किया था। उस रात के बाद भगवान श्री कृष्ण का प्रभाव मेरे गायन और जिंदगी पर हमेशा पड़ा।

पंडित जी को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान

शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में पंडित जसराज का अतुलनीय योगदान है। गायन शैली को नई दिशा देने वाले पंडित जी को कई सामानों से सम्मानित किया गया है।

  • पद्मभूषण से सम्मानित।
  • सुमित्रा चरित्रम अवॉर्ड फॉर लाइफ टाइम अचीवमेंट 2014।
  • मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार 2014
  • मंगल और बृहस्पति के बीच हिना ग्रह का नाम पंडित जसराज के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा रखा गया है।
  • संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप 2010।
  • स्वाति संगीता पुरस्करम 2008।
  • पद्म विभूषण 2000।
  • संगीत नाटक एकेडमी 1987।
  • पद्मश्री 1975।
  • संगीत कला रत्न।
  • मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार।
  • लता मंगेशकर पुरस्कार।
  • महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार।

 

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