आप हमेशा ये ध्यान में रखिये की कोई किसी और की तरह नहीं हो सकता। सभी में अपनी अलग-अलग क्षमता व योग्यताएं होती हैं इसीलिए हमें अपना लक्ष्य अपने लगाव व अपनी योग्यताओं को देखते हुए ही लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। किसी की नकल नहीं करनी चाहिए। हम सभी के अंदर कोई ना कोई योग्यताएं होती ही हैं और यदि हम किसी और को देखकर उसकी नकल करते हैं, तो जरूरी तो नहीं कि हम भी उसी की तरह योग्य हो, उसी काम के लिए ठीक हो।
भगवान जी ने सभी को अपनी-अपनी अलग क्षमता व योग्यता प्रदान की है। इसलिए हमें खुद का अपना अलग रूप निखरना चाहिए। हमें अपनी राह खुद चुन्नी चाहिए।
कैरियर को सफल बनाने के लिए इस प्रकार की बातें रखें ध्यान
अपने नोट्स स्वयं बनाएं
यदि हम किसी अन्य व्यक्ति के नोट से पढ़ते हैं, तो वह अपनी योग्यता के हिसाब से लिखता है। उसकी समझ के हिसाब से नोट्स बनाता है और जरूरी तो नहीं कि हमारी भी क्षमता उसी की तरह हो। हमें किसी भी तरीके की पढ़ाई करते वक्त अपने नोट्स अपनी समझ के अनुसार बनाने चाहिए। जिससे हमें उन्हें पढ़ने व समझने में कोई परेशानी ना हो।
ये तो हुई बात नोट्स की लेकिन हमें हर फील्ड में ही यह टिप को अपनाना चाहिए कि हमें कभी भी किसी की नकल नहीं करनी है। हमें अपनी खुद की एक नई पहचान बनानी है, तो हमें अपनी शुरुआत स्वयं करनी होगी। जो हमारी खुद की क्षमता समझ व योग्यता के द्वारा बनाई हुई होगी। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने आप को हमेशा तैयार रखें। कभी भी आलस्य न आने दें और ना ही अपने मन को हार प्रति उदास करें।
हमारे प्रयास
कोशिश करते रहने से कामयाबी जरूर मिलती है।
जब हम कोई काम की शुरुआत करते हैं, तो हमारे साथ लाखों लोग उस काम में साथ होते हैं। सभी लोग उसी रास्ते पर जाने के लिए अपनी-अपनी कोशिश जारी रखते हैं।
उदाहरण
जैसे कि एक पहाड़ पर चढ़ने के लिए कई लोग तैयार हुए और उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की पर कुछ दूर चलते ही आधे लोग थक गए। कुछ हार गए, कुछ किसी वजह से वहीं रुक गए। फिर कुछ दूर चलने पर और कुछ लोग वहाँ रुक गए। कुछ हार गए, कुछ थक गए ऐसे करते- करते जब पर्वत की चोटी आई तो पर्वत के शिखर पर कुछ 10,20 लोग ही बचे थे।
आशय
मेरे कहने का आशय यह है, कि यात्रा तो सब एक साथ शुरू करते हैं पर उसकी शिखर पर वही पहुँच पाता है जो अपनी पूरी लगन व मेहनत से आगे बढ़ता रहे हैं। हमेशा यह सोचे कि जब उसकी यात्रा पूरी हो जाएगी तो उसे जो सुख का अनुभव होगा। वह कितना सुखमय होगा और यह ठान कर जो आगे बढ़ता है उसके सामने कोई भी परेशानी आये, कोई भी बाधा आ जाए वह अपनी यात्रा खत्म नहीं करता, जब तक कि वह अपनी यात्रा में सफल ना हो जाए। इसी प्रकार जो लक्ष्य हम निर्धारित करें वह हमारी क्षमता योग्यता के अनुसार होने के अलावा हमारा ध्यान हमेशा लक्ष्य पर होना चाहिए। कभी भी हमें उससे भटकना नहीं चाहिए।
अकेले होने से डरें नहीं
कभी भी यह ना सोचें कि हम अकेले हैं क्योंकि हमेशा जरूरी नहीं होता कि कोई हमेशा हमारे काम में हमारे साथ रहे। जब तक हम अकेले आगे नहीं बढ़ेंगे, प्रयास नहीं करेंगे तब तक हम कुछ नहीं कर पाएंगे।
उदाहरण
उसी प्रकार जिस तरह जब कोई व्यक्ति दौड़ता है, तो वह अकेला दौड़ता है लेकिन जब उसकी खुशियाँ मनाने की बारी आती है, तो हजारों लोग उसके साथ हो जाते हैं और वाह-वाह करते हैं।