धर्म के लिए नहीं,
अपितु…हम-आप सभी के लिए
जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं।
अपनी परंपरा, सभ्यता, संस्कृति, परिवार से दूर होते जा रहे हैं।
ये छठ जरुरी है, उन बेटों के लिए
जिनके घर आने का ये बहाना है।
ये छठ जरुरी है
उस माँ के लिए
जिन्हें अपनी संतान को देखे
महीनों हो जाते हैं।
उस परिवार के लिये
जो आज टुकड़ों में बंट गया है।
ये छठ जरुरी है
उस आजकल की नई बहु/पुतोहु
के लिए जिन्हें नहीं पता कि
दो कमरों से बड़ा भी घर होता है।
ये छठ जरुरी है
उनके लिए जिन्होंने नदियों को
सिर्फ किताबों में ही देखा है।
ये छठ जरुरी है
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए
जो समानता की वकालत करता है।
ये छठ जरुरी है
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं
डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है।
ये छठ जरुरी है
गागर, निम्बू और सुथनी जैसे
फलों को जिन्दा रखने के लिए।
ये छठ जरुरी है
सूप और दउरा को
बनाने वालों के लिए,
ये बताने के लिए कि,
इस समाज में उनका भी महत्व है।
ये छठ जरुरी है
उन दंभी पुरुषों के लिए,
जो नारी को कमज़ोर समझते हैं।
ये छठ जरुरी है
भारतीयों के योगदान,
और हिन्दुओं के सम्मान के लिए।
ये छठ जरुरी है,
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को बनाये रखने के लिए।
ये छठ जरुरी है,
परिवार तथा समाज में,
एकता एवं एकरूपता के लिए।
आप सभी देशवासियों को इस पावन पवित्र महापर्व छठ पूजा की बहुत बहुत शुभ कामनाएं एवं बधाई हो।
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