इतिहास के सबसे बड़े नीतिकार और महान आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन में बहुत सी चीजो को लेकर नीतियां बताई हैं। चाहे वह किसी राज्य को लेकर हो या किसी रिश्ते को लेकर। आज तक यह नीतियां पूरी तरह सही साबित होती आई हैं। ऐसे ही दोस्ती को लेकर भी चाणक्य ने कई बात बताई हैं। इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसका कोई मित्र न हो लेकिन क्या वह मित्र सही है भी या नहीं।
यह तो बहुत ही देखा जाता है कि दो अच्छे दोस्त भी शत्रू बन जाते हैं, ऐसे में यह कैसे तय किया जाए कि कौन आपका अच्छा दोस्त है और कौन नहीं। आचार्य चाणक्य की दोस्ती को लेकर सबसे बड़ी बात यही है कि आपके जितने भी मित्र हैं वह किसी स्वार्थ की वजह से आपके साथ हैं। अब आप हर किसी को शक की निगाह से तो नहीं देख सकते। तो चलिए जानते हैं आखिर कौन है आपका सच्च मित्र और कौन फरेबी।
रिश्ता किन से हो किन से नहीं यह तय करे इन बातों से
- चाणक्यका कहना था कि ऐसे दोस्त कभी नहीं बनाने चाहिए जो आपके मुह पर आपकी तारीफ करें और पीठ पीछे बुराई। ऐसे लोग आपको आज नहीं तो कल जरूर धोखा देंगे। इस तरह के लोगों से दूरी ही बेहतर है।
- आपकेराज जाहिर करना किसी दिन आपको बड़ी मुसीबत में डाल देगा। आप अपनी जिंदगी के सभी राज किसी से भी साझा न करें, क्योकि जब भी आपकी उस व्यक्ति से लड़ाई होगी वह आपके राज हर जगह जाहिर कर देगा।
- कभीभी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों। ऐसी मित्रता कभी आपको खुशी नहीं देगी। ऐसे लोगों के साथ रहकर अपमान सहना पड़ सकता है।
- सहीरिश्तो की परख तभी होती है जब कठिनाई हो। अपने सेवक को तब परखें जब वह काम न कर रहा हो, रिश्तेदार को कठिनाई में और दोस्तों को संकट में। वंही पत्नी को घोर विपत्ति में।
- चाणक्यके अनुसार जो व्यक्ति अपने परिवार का पालन पोषण करने योग्य न हो, गलत होने पर भी किसी से डरता न हो, जिसमें शर्म न हो। जो जरा भी दयावान न हो, जो त्याग करने में यकीन ही न रखता हो। ऐसा व्यक्ति मित्रता के लायक नहीं हो सकता।
- आचार्य चाणक्य का कहना था कि जो व्यक्ति बुर स्थान पर रहता हो उससे भी मित्रता कभी नहीं करनी चाहिए। वह व्यक्ति भले ही कितना भी साफ सुथरा दिखाने की कोशिश क्यों न करें लेकिन सच तो यही है कि वह वक्त बदलने पर उन्ही की तरह व्यवहार करेगा, जैसा उसके आस पास के लोगो का है।