Chanakya Ke Kadve Vachan. भारत में ऐसे कई नाम हैं जिनके आगे या पीछे इज्जत देना लाजमी हो जाता है। ऐसा ही नाम है आचार्य चाणक्य। जिन्हें बिना आचार्य कहे शायद ही कोई ज्ञानी व्यक्ति संबोधित करता होगा।
आचार्य चाणक्य के कड़वे वचन भारत में ही नहीं बल्कि कई एशियाई देशों में बताए जाते हैं। आज हम आपको चाणक्य के विचार इन हिंदी में बताएंगे। अगर आप आचार्य चाणक्य की नीति या विचारों को जानना चाहते हैं तो अंत तक बने रहें।
आप में से ज्यादातर लोगों के जेहन में एक बात जरूर आ रही होगी, कि आखिर चाणक्य नीति को हम चाणक्य के कड़वे वचन क्यों कह रहे हैं। तो बता दें दोस्तों ऐसा इसलिए क्योंकि आचार्य चाणक्य की बात लोगों को बेहद कड़वी लगा करती थी। उनकी बातें कड़वी लगने की वजह यह भी थी के वह हमेशा सच बोला करते थे। यही कारण है कि आचार्य चाणक्य के विचारों को कड़वा तक कहा जाता है।
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आज हम आपको आचार्य चाणक्य के कुछ ऐसे ही विचारों से रूबरू कराएंगे जो आपको बुरे तो लग सकते हैं, लेकिन आप उन्हें झुठला नहीं सकते। साथ ही चाणक्य विचार इन हिंदी में कुछ ऐसे विचारों से भी पर्दा उठाएंगे जो आपकी जिंदगी में बहुत काम आ सकते हैं।
कौन थे आचार्य चाणक्य – Who is Acharya Chanakya in Hindi
आचार्य चाणक्य के विचार इन हिंदी में जानने से पहले आपको बता दें कि चाणक्य थे कौन। आचार्य चाणक्य को कौटिल्य, विष्णुगुप्त और वात्स्यायन के नाम से भी जाना जाता था। चाणक्य का जन्म ईसा पूर्व 371 में हुआ था। चाणक्य ने अपने मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त जैसे साधारण बालक को भारत के बड़े सिंहासन पर विराजमान कराया था और धनानंद जैसे क्रूर राजा का अंत करवाया था।
इसके आचार्य चाणक्य ने चंद्रगुप्त के पुत्र बिंदुसार मौर्य और अशोक सम्राट का भी मार्ग दर्शन किया था। चाणक्य के बारे में कई प्राचीन ग्रंथों में भी उल्लेख मिलता है। जिनमें से कुछ के नाम हैं मत्स्य पुराण, विष्णु पुराण, बौद्ध ग्रंथ महावंश, जैन पुराण आदि।
आचार्य चाणक्य के विचार इन हिंदी में अक्सर खोजे जाते हैं, वहीं बहुत से लेखकों और कॉर्पोरेट लीडर्स ने उनसे प्रभावित हो कर किताब भी लिखी हैं। आज के समय में आचार्य चाणक्य के विचार कड़वे इसलिए भी समझे जाते हैं क्योंकि वक्त उनके बिल्कुल विपरीत चल रहा है। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के कड़वे वचनों के बारे में।
आचार्य चाणक्य के कड़वे वचन – Chanakya Vichar in Hindi
दोस्तों अब तक आपने हमारे इस लेख में आचार्य चाणक्य के जीवन से जुड़ी कुछ जानकारियां हासिल की हैं। अब हम आचार्य चाणक्य के कुछ बहुमुल्य विचार साझा करेंगे। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के ऐसे ही विचारों के बारे में जो आपके और हमारे काम आ सकते हैं।
समय और मूर्ख को लेकर चाणक्य के विचार
आचार्य चाणक्य अक्सर कहा करते थे कि मूर्ख लोगों से कभी बहस नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से आपका समय और ऊर्जा दोनों ही नष्ट होती है।
कर्ज और शत्रु को लेकर
ऋण, शत्रु और रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। जल्द से जल्द इन्हें समाप्त कर देना चाहिए।
भगवान पर
भगवान मूर्तियों मे नहीं बसता। आपकी अनुभूति ही आपका ईश्वर है और आत्मा आपका मंदिर।
भाग्य पर
भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो कठिन से कठिन स्थितियों में भी अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हैं।
किस पर न करें विश्वास
जो आपकी बात को सुनते हुए इधर-उधर देखे उस आदमी पर कभी भी विश्वास न करे।
दूसरों से सीखें
दूसरों की गलतियों से सीखो, अगर अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने का प्रयास करोगे तो आयु कम पड़ जाएगी।
किस्मत को लेकर
किस्मत के सहारे चलना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। ऐसे लोगों को बर्बाद होने में वक्त नहीं लगता है।
गुणों का महत्व
कोई भी व्यक्ति ऊंचे स्थान पर बैठकर ऊंचा नहीं हो जाता बल्कि हमेशा अपने गुणों से ऊँचा होता है।
ऐसे स्थान पर न रुके
उस स्थान पर एक पल भी नहीं ठहरना चाहिए जहां आपकी इज्जत न हो, जहां आप अपनी जीविका नहीं चला सकते, जहां आपका कोई दोस्त नहीं हो और जहां ज्ञान की तनिक भी बातें न हों।
पुत्र कैसा होना चाहिए
जिस तरह एक सुगंध भरे वृक्ष से सारा जंगल महक जाता है, उसी तरह एक गुणवान पुत्र से सारे कुल का नाम रौशन हो जाता है।
संसार को लेकर
आचार्य चाणक्य कहा करते थे कि संसार एक कड़वा पेड़ है जिसके दो फल होते हैं। पहला मीठी वाणी और दूसरा अच्छी संगति।
स्वर्ग कहां है
वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करें। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।
स्वास्थ्य को लेकर
जब तक शरीर स्वस्थ और आपके नियंत्रण में है। उस समय आत्म साक्षात्कार के लिए उपाय अवश्य ही कर लेना चाहिए, क्योंकि मृत्यु के पश्चात कोई कुछ भी नहीं कर सकता।
आचार्य चाणक्य के कुछ अन्य विचार
- मेहनत करने से दरिद्रता नहीं रहती, धर्म करने से पाप नहीं रहता, मौन रहने से कलह नहीं होता और जागते रहने से भय नहीं होता।
- ब्राह्मणों का बल विद्या है, राजाओं का बल उनकी सेना है, वैश्यों का बल उनका धन है और शूद्रों का बल दूसरों की सेवा करना है। ब्राह्मणों का कर्तव्य है कि वे विद्या ग्रहण करें। राजा का कर्तव्य है कि वे सैनिकों द्वारा अपने बल को बढ़ाते रहें। वैश्यों का कर्तव्य है कि वे व्यापार द्वारा धन बढ़ाएं, शूद्रों का कर्तव्य श्रेष्ठ लोगों की सेवा करना है।
- वही गृहस्थी सुखी है, जिसकी संतान उनकी आज्ञा का पालन करती है। पिता का भी कर्तव्य है कि वह पुत्रों का पालन-पोषण अच्छी तरह से करें। इसी प्रकार ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता है, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सके और ऐसी पत्नी व्यर्थ है जिससे किसी प्रकार का सुख प्राप्त न हो।
- जिस आध्यात्मिक सीख का आचरण नहीं किया जाता वह जहर के समान है।
- जिस गुरु के पास आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है, उसे दूर करो।
निष्कर्ष
दोस्तों हमने अपने इस लेख में आपको आचार्य चाणक्य के कड़वे वचन के बारे में बता दिया है। साथ ही हमने आपको चाणक्य के विचार इन हिंदी में क्या – क्या थे। यह भी बता दिया है। अब आप भी आचार्य चाणक्य के विचारों को अपनाकर अपनी जिंदगी को बेहतर बना सकते हैं। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
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