रूस का सबसे नया हथियार S-400 एयर डिफेंस सिस्टम अमेरिका के लिए बड़ी परेशानी पैदा कर रहा है। रूस से इस हथियार को चीन और भारत समेत 5 देशों ने खरीद लिया है।
तुर्की एक संगठन (NATO) में सम्मिलित है। जब तुर्की ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदा तो अमेरिका ने इस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए। सबसे पहले नाटो (NATO) के बारे में जानना आवश्यक है। NATO का पूरा नाम ‘उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन’ (North Atlantic Treaty Organization) है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 में की गई (इसके अध्यक्ष गियामपाओलो दी पाओला है) थी।
इस संगठन के वर्तमान में 29 देश सदस्य हैं। संगठन के बनाने का मुख्य उद्देश्य यह है, कि अगर कभी कोई दुश्मन देश संगठन में सम्मिलित देश पर हमला करता है तो सभी देश उसकी सहायता करेंगे।
2018 में जब भारत ने रूस से S-400 की चार रेजिमेंट्स खरीदने के लिए समझौता किया था, तब अमेरिका ने इस मामले में नाराजगी जाहिर की थी। लेकिन इससे भारत देश को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह साफ कह दिया था कि हम अपनी रक्षा के लिए सभी जरूरती सामान को खरीदेंगे।
अमेरिका इससे और ज्यादा घबरा गया कि भारत ने रूस से 5.43 अरब डॉलर का समझौता किया था। इसकी पेमेंट भारत ने एडवांस में भी कर दी। रूस भारत को पहली खेप अगस्त (वर्ष 2021) तक दे सकता है।
भारत को इस सिस्टम की क्यों आवश्यकता है
SIPRI (स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट) के सीनियर रिसर्च (सिमॉन वाइजमैन) ने ‘अलजजीरा’ से यह कहा है, कि रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है। यह एडवांस सिस्टम नहीं है लेकिन इसको हर देश खरीद भी नहीं सकता है। यह बेहद महंगा एयर डिफेंस सिस्टम है। इस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि इसके रडार 600 किलोमीटर दूर तक निगरानी (सर्विलांस) रख सकते हैं। इसका सिस्टम दुश्मन को 400 किलोमीटर दूर तक ध्वस्त कर सकता है। हम कह सकते हैं, कि यह सिस्टम भारत के लिए अति आवश्यक है।
अमेरिका भारत को शायद इसलिए कुछ नहीं कह रहा है
अमेरिकी रिसर्च के अनुसार यह पता चला है, कि S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जितना उपयोगी भारत के लिए है उतना उपयोगी चीन के लिए नहीं है। भारत इस सिस्टम का बड़े आसानी से उपयोग चीन के खिलाफ कर सकता है। परंतु चीन को भारत पर अटैक करने के लिए काफी मुश्किल होगा। यह सिस्टम पाकिस्तान सीमा पर बेहद उपयोगी साबित होगा। यह सिस्टम इतना भयानक है, कि लड़ाई के परिणाम को भी बदल सकता है। अमेरिका और भारत के बीच स्ट्रैटेजिक एलाइंस है। चीन की अमेरिका और भारत दोनों देशों से ही नहीं बनती है। ऐसे समय में अमेरिका नहीं चाहेगा की भारत से भी हमारी दोस्ती खराब हो जाए इसीलिए वह चुप है।
मिलिट्री एनालिस्ट केविन ब्रैंड के अनुसार भारत के लिए ऐसा सिस्टम बड़ा उपयोगी होगा। यह सिस्टम मात्र कुछ ही समय में कहीं पर भी तैनात किया जा सकता है। भारत इसका इस्तेमाल (दोहरे खतरे के मद्देनजर) पाकिस्तान और चीन के खिलाफ कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका की अर्थव्यवस्था में राजस्व का एक बड़ा स्रोत हैं