Cancer जैसी गंभीर बीमारी में धैर्य और आत्म विश्वास रखने की आवश्यकता होती हैं। कैंसर का इलाज संभव है। आज इसके इलाज के आधुनिक तरीके विकसित हो रहे हैं।
हमें उनका सहारा बनना चाहिए ताकि मरीज का डर दूर हो सके। कैंसर के डर को निकालने के लिए परिवार और दोस्तों की जिम्मेदारी होती है। Cancer मरीज का मनोबल बढ़ाना और उनके प्रति हमारे व्यवहार को सामान्य बनाए रखना। ऐसे में मरीज भी सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है। Cancer मरीजों को उन लोगों की जीवनी पढ़ने को देना चाहिए जिन्होंने कैंसर को हराया है। कैंसर मरीज के सामने कैंसर को हराने वाले उनके अनुभवों को जानना जिससे रोगी रोग का सामना आसानी से कर सकें।
Cancer रोग की पहचान
Cancer एक गंभीर रोग है इसका नाम सुनकर ही व्यक्ति तनाव में आ जाता है। ऐसे गंभीर रोग का इलाज संभव हो गया है लेकिन कैंसर रोग को जल्दी से पकड़ में आए। जिससे रोगी की पूरी तरह ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
अलग-अलग कैंसर के लक्षण भी अलग होते हैं। स्तन कैंसर में स्तनों में किसी तरह की असामान्य पीड़ा महसूस करें या निप्पल से किसी तरह का द्रव आता हो तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लें खासतौर पर 45 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को बेस्ट स्क्रीनिंग की नियमित जांच करवाना चाहिए।
सिर में असामान्य तेज दर्द, बेहोशी ब्रेन ट्यूमर के लक्षण होते हैं। कैंसर के लक्षण बहुत व्यापक है सही कारण केवल डॉक्टर की जांच व स्क्रीनिंग आदि से पता चलती है इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
शरीर के किसी भी हिस्से में किसी भी तरह की गांठ को नजरअंदाज ना करें। गांठ किस कारण से हुई है इसका स्पष्ट पता होना आवश्यक है।
रेक्टम कैंसर में काला मल आता है और पेट में असामान्य दर्द होता है। यदि सांस लेने में अत्यंत तकलीफ और खांसी में खून आता हो तो फेफड़ों के कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। डॉक्टर की सलाह पर चलना चाहिए। बीमारी को नजरअंदाज करने से अंगों को खोने का जोखिम, जान का जोखिम बीमारी के जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
कैंसर मरीज के साथ व्यवहार
Cancer मरीज के साथ परिजनों का बर्ताव, काम करने के तरीके आदि बहुत मायने रखते हैं। रोगी को उम्र के अनुसार उन्हें इलाज और शारीरिक बदलाव के लिए तैयार करें। यदि रोगी बुजुर्ग है तो किसी अनुभवी व्यक्ति से सहयोग ले और उन्हें अधिक से अधिक सामान्य महसूस कराने की कोशिश करें। खुशी का माहौल बनाकर रखें। कैंसर रोगियों का इलाज के दौरान शारीरिक बदलाव होता है। किसी के बाल झड़ने लगते हैं तो कई अंगों को खोने का डर होता है। उनके इस बदलाव से उन्हें बाहर निकालें और सहज महसूस करवाएं। कैंसर की खबर सुनकर मरीज मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। इस रोग के प्रति फैली भ्रांतियां, अतिरिक्त पीड़ा का डर, शरीर के किसी अंग को खोने या बदल जाने का जोखिम मरीज में होते हैं। कैंसर मरीज को अपनी बातों से कभी निराश ना करें। उन्हें रोग का सामना करना सिखाए।
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