इन दिनों हमारे सभी जरूरी ट्रांजेक्शन इंटरनेट पर हो रहे हैं…. दुनिया भर में बढ़ती कनेक्टिविटी जहां हमारे जीवन को बहुत आसान बना रही है, वहीं इसके खतरे भी बढ़ गए हैं कि हमारी व्यक्तिगत जानकारी को कोई हैकर/सायबर क्रिमिनल चुरा ना ले…. हैकर्स के पास अब बहुत से रास्ते हैं जिससे वह हमारी जानकारी चुराकर उनका गलत इस्तेमाल कर सकता है…
जी हां हम बात कर रहे हैं इस साल की सबसे बड़ी साइबर चोरी की….साइबर हैकर्स ने 13 लाख भारतीयों के क्रेडिट-डेबिट कार्ड का डेटा हैक कर लिया है…सिंगापुर में स्थित एक ग्रुप-आईबी सुरक्षा अनुसंधान की टीम ने डार्क वेब पर क्रेडिट और डेबिट कार्ड के विवरण के एक बड़े डेटाबेस का पता लगाया है… ‘INDIA-MIX-NEW-01’ के रूप में डब किए गए डेटा दो संस्करणों में मौजूद हैं- पहला ट्रैक-1 के नाम से और दूसरा ट्रैक-2… इनमें 13 लाख से ज्यादा उपयोगकर्ताओं के भुगतान से जुड़े पहचान शामिल हैं…
शुरुआती जांच में पता चला है कि इसमें सबसे ज्यादा जरूरी ट्रैक-2 डेटा चोरी हुआ है जो कार्ड के पीछे मैग्नेटिक स्ट्रिप में होता है… इसमें ग्राहक की प्रोफाइल और लेन-देन की सारी जानकारी होती है… ट्रैक-1 डेटा में सिर्फ कार्ड नंबर ही होते हैं, जो कि सामान्य है….कुल खातों में से 98 प्रतिशत भारतीय बैंकों का खाता है और बाकी कोलंबियाई वित्तीय संस्थानों के हैं…
ग्रुप आईबी के अनुसार प्रत्येक कार्ड 100 डॉलर (लगभग 7,092 रुपये) में बेचा जा रहा है और कुल मिलाकर इसकी कीमत 130 मिलियन डॉलर (लगभग 921.99 करोड़ रुपये) से भी ज्यादा है,, जिससे यह अबतक की डार्क वेब पर बिक्री के लिए रखा जाने वाला सबसे कीमती वित्तीय जानकारी बन गई है… ग्रुप-आईबी के शोधकर्ताओं ने बताया कि जोकर्स स्टैश नाम के एक डार्क वेब साइट ने भारत से 13 लाख से ज्यादा क्रेडिट और डेबिट कार्ड का डेटा डंप किया है….शोधकर्ताओं को इसका पता 28 अक्टूबर को चला था…
दरअसल दिवाली पर लोगों ने कार्ड से शॉपिंग की लेकिन लोगों को ये ध्यान नही रहा कि कहीं उनके पीछे हैकर्स की नजर तो नही है…और दिवाली के शुभ अवसर पर लोगों का दिवाला निकल गया…
लोग बेफिकर होकर अपने शॉपिंग में लगे थे और वहीं दूसरी तरफ हैकर्स की नजर लोगों के डेबिट और क्रेडिट काडर्स पर थी..
शोधकर्ताओं के अनुसार यह सबसे बड़ा और डार्क वेब पर अबतक किए गए सबसे मूल्यवान डेटाबेस अपलोड में से एक है…ग्रुप-आईबी के सीईओ और संस्थापक ने कहा कि ‘इस क्षेत्र के डेटा अपलोड काफी दुर्लभ हैं और इस घटना के बारे में अधिकारियों को सूचित कर दिया गया है… अंडरग्राउंड बाजार में इस क्षेत्र से कार्ड बहुत दुर्लभ हैं…
यह पिछले 12 महीनों में भारतीय बैंकों से संबंधित कार्ड की सबसे बड़ी हैकिंग है, जो बाजार में बिक्री के लिए आई है… इस डेटाबेस की बिक्री के खतरे को भांपते हुए ग्रुप-आईबी के इंटेलिजेंस ने ग्राहकों को पहले ही सूचित कर दिया था… साथ ही उचित अधिकारियों के साथ जानकारी भी साझा की गई थी…’
यह फिलहाल स्पष्ट नहीं है कि किन बैंकों से समझौता किया गया है… जबकि ग्रुप-आईबी ने कहा कि 18 प्रतिशत से ज्यादा कार्ड एकल भारतीय बैंक से संबंधित थे…
जोकर्स स्टैश के पीछे फिन-7 संगठन है, जो डेटा बेचकर सात हजार करोड़ रुपये कमा चुका है लेकिन ये कौन हैं इसके बारे में किसी को पता नहीं है… जोकर्स स्टैश एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है,, जहां अपराधी पेमेंट कार्ड डिटेल्स की खरीद-फरोख्त करते हैं… कार्ड की क्लोनिंग करके पैसे चुराए जाते हैं… ये दुनियाभर के एक करोड़ से ज्यादा ग्राहकों के कार्ड हैक कर चुके हैं… ये ग्रुप ट्रम्प प्रशासन के अफसरों के सोशल सिक्योरिटी नंबर तक बेच चुका है…