आज हर एक चीज़ बदल गई है। बदल क्या गई है बल्कि अगर हम यह कहें कि हर चीज़ ब्रॉड और कम्पलीकेटेड हो गई है तो ज़्यादा सही होगा! अब आप शिक्षा के क्षेत्र को ही ले लें। आज लगभग हर विषय पर एजुकेशन मिल रहा है। स्टूडेंट्स के सामने बहुत से विकल्प हैं ताकि वे अपना भविष्य उज्जवल कर सकें। और तो और बड़े बड़े कॉलेज और यूनिवर्सिटीज स्टूडेंट्स को बेहतर फ़्यूचर दिलाने के लिए कार्यरत भी हैं लेकिन फिर भी ऐसे कौन से कारण हैं जिनकी वजह से स्टूडेंट्स तनाव में रहते हैं?
इस सवाल का जवाब हमने ऊपर दे दिया है। जी हाँ, जैसा कि हमने कहा की आज स्टूडेंट्स के सामने बहुत से विकल्प हैं कि वे अपना भविष्य बेहतर बना सकें लेकिन समस्या ये होती है कि उन्हें असल में ये पता नहीं होता है कि उनके लिए सही विकल्प क्या है!
जब बच्चा अपने लिए सही विकल्प का चुनाव नहीं कर पाता है तो ऐसे में उसके कैरियर को सही दिशा नहीं मिल पाती है। कई बार तो स्टूडेंट्स इतना कंफ्यूज हो जाते हैं कि वे समझ ही नहीं पाते कि उन्हें कौन सी फ़ील्ड में जाना चाहिए। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है कि स्टूडेंट्स की मदद काउंसलिंग के ज़रिए की जाए। आइए आपको स्टूडेंट काउंसलिंग के कुछ पॉइंट्स बताते हैं जिनके ज़रिए आप अपने बच्चे को बेहतर भविष्य दे सकते हैं।
1. इंटरेस्ट पर ध्यान दें
अगर आप सही मायनों में अपने बच्चे को बेहतर भविष्य देना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके इंटरेस्ट पर ध्यान दें। ये स्टूडेंट काउंसलिंग का सबसे पहला बिंदु है। ध्यान दें कि आपका बच्चा किन क्षेत्रों में रुचि रखता है और उसके अंदर कौन कौन सी स्किल्स हैं।
कहीं ऐसा न हो कि बच्चा पेंटर बनना चाहता है और आप उसे इंजीनियरिंग में भेज दें। यक़ीन मानिए अगर आप ऐसा करेंगे तो बच्चा कितनी भी मेहनत क्यों न कर ले वह अपना बेस्ट नहीं दे पाएगा जोकि आप चाहते हैं।
2. समय समय पर सपोर्ट करें
स्टूडेंट काउंसिलिंग का मतलब सिर्फ़ ये नहीं होता कि आप बच्चे को किसी एक पार्टिकुलर फ़ील्ड के लिए गाइड कर दें बल्कि इसका मतलब है कि अपने बच्चे को शिक्षा से संबंधित मामलों में सपोर्ट करें।
अगर आप अपने बच्चे को स्टूडेंट काउंसलिंग दे रहे हैं तो फिर ये आपका फ़र्ज़ बनता है कि आप उसकी पढ़ाई में आने वाली दिक्कतों को दूर करने का प्रयास करें। अगर आपको उस क्षेत्र में नॉलेज नहीं है तो आप इसके लिए अपने किसी मित्र की या किसी ऐसे इंसान की मदद ले सकते हैं जो आपके बच्चे को सही दिशा दिखा सके।
3. उनके सेल्फ एस्टीम का जायज़ा लें
स्टूडेंट्स को इंटरव्यू और कम्पटीशन को बीट करने के लिए पॉज़िटिव सेल्फ़ एस्टीम की आवश्यकता होती है। आपके लिए ये ज़रूरी है कि आप अपने बच्चे का सेल्फ़ एस्टीम हाई करने में उसकी सहायता करें। इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि आपका बच्चा उन चीज़ों से दूर रहे जिससे कि उसके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी पैदा होती है।
4. ग्रेजुएशन में सब्जेक्ट्स का चुनाव करने में सहायता करें
सबसे ज़्यादा दिक़्क़त स्टूडेंट्स को तब आती है जब वे बारहवीं कक्षा पास करके ग्रेजुएशन में एंटर करते हैं। यही स्टेज होती है जो कि बच्चे का बेहतर भविष्य निर्धारित करती है और इसी स्टेज में बच्चा सबसे ज़्यादा कन्फ्यूज़ रहता है।
ऐसे में आपको अपने बच्चे को उस फ़ील्ड के लिए मोटिवेट करना होता है जिसमें कि उसकी रुचि है। अगर बच्चे ने बारहवीं क्लास में साइंस ली थी तो ज़रूरी नहीं कि वह आगे भी साइंस फ़ील्ड के लिए जाना चाहता हो। अगर उसका इंटरेस्ट साइंस में नहीं है तो सिर्फ़ इस बात के लिए उसे साइन्स न दिलवा दें कि उसके पास पहले भी साइंस थी। अगर बच्चे का रुझान आर्ट्स की तरफ़ है तो उसे आर्ट्स के सब्जेक्ट से सम्बंधित मार्गदर्शन दिलवाएं।