Thursday, November 21, 2024
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ज्ञान की देवी की आराधना बसंत पंचमी पर्व

by Divyansh Raghuwanshi
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बसंत ऋतु के आगमन पर बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। विद्या की देवी सरस्वती जी की पूजा बसंत पंचमी के दिन की जाती है। भारत देश में कई राष्ट्रों में बड़े धूमधाम से बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी के पावन पर्व पर पीले रंग का बड़ा महत्व होता है। बसंत के मौसम में फसलें पकने लगती हैं। फसलों का पीला रंग समृद्धि को बताता है। फूल पर बहार आ जाती है। सरसों के खेत सोने की तरह लहराने लगते हैं।

बसंत पंचमी के दिन सिख गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। बसंत पंचमी माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां शारदा की उपासना, संगीत, काव्य, कला, शिल्प और शक्ति की प्राप्ति के लिए की जाती है। वसंत पंचमी के दिन गंगा और पवित्र नदियों में डुबकी लगाने का भी महत्व है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं। उत्तर भारत में पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं। पंजाब के लोग तो सरसों के पीले खेतों में पीले रंग की पतंग उड़ाते हैं। सिख धार्मिक स्थलों पर भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है।

बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी देशभर में मां सरस्वती जी की पूजन करके मनाई जाती है। विद्यालयों में शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर ज्ञान प्राप्ति के लिए मां सरस्वती पूजन करते हैं। किसानों के लिए भी वसंत ऋतु का आगमन शुभ होता है। फसलें पकने लगती है। फूलों में बहार आ जाती है। रंग बिरंगी तितलियां उड़ने लगती हैं। बसंत पंचमी का पर्व विश्व भर में बसे भारतीय बड़े धूमधाम से मनाते हैं। भारत के साथ-साथ नेपाल और बांग्लादेश में भी यह बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष बसंत पंचमी का त्यौहार माघ मास के शुक्ल पक्ष पंचमी को मनाया जाता है। इस त्यौहार का पौराणिक महत्व भी है। ब्रह्मांड के रचयिता ब्रह्मा जी ने सरस्वती जी की इस दिन रचना की थी। जब सृष्टि शुरू हुई तो भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की। प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य मूक था और धरती बिल्कुल शांति थी। तब ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का तो एक अद्भुत शक्ति के रूप में सुंदर स्त्री प्रगट हुई जिनके हाथों में वीणा और दूसरे हाथ में वर मुद्रा थी। वह शक्ति सरस्वती माता के रूप में प्रकट हुई।

माता सरस्वती के द्वारा वीणा का तार छेड़ते ही धरती को शब्द और वाणी मिल गई। इस दिन को माता सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। ज्ञान और शक्ति की प्राप्ति के लिए माता के श्री चरणों में प्रार्थना करते हैं। संगीत और काव्य के साथ माता की आराधना की जाती है।

वसंत पंचमी से नए काम का आरंभ

बसंत पंचमी के पर्व को शुभ मुहूर्त के रूप में माना जाता है। इस दिन से लोग नए कार्य की शुरुआत करते हैं। जिन लोगों को गृह प्रवेश करवाना होता है, वह बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त पर करवाते हैं। बसंत पंचमी के दिन से लोग नए व्यवसाय और शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं।

 

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