बस्तर के जंगलों में आजकल बांस के पेड़ों पर फूल लदे नज़र आ रहे हैं… गांव के लोगों की मानें तो पूरे 40 साल बाद ये फूल फिर से देखे गए हैं.. लेकिन इस दुर्लभ फूल को देख ग्रामीणों में दहशत का माहौल है… यहां के लोगों का कहना है जिस साल यह फूल खिलते हैं उस साल इलाके में अकाल पड़ता है.. वहीं वैज्ञानिकों की मानें तो यह महज एक अंधविश्वास है… ग्रामीणों को इन फूलों को देखकर एक अंजना सा डर सताने लगा है… वैज्ञानिकों की मानें तो यह फूल कई वर्षों में एक बार खिलते हैं लेकिन जब खिलते हैं तो एक साथ खिलते हैं… बांस के पेड़ की यह खासियत ही है कि इसके फूल 40 से 50 साल में ही खिलते हैं यह प्रकिया पूरी तरह से सामान्य है…. वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को पूरी तरह से प्राकृतिक बताया है… बता दें कि बांस के पेड़ों में फूल आने के बाद वह सूख जाते हैं… सूखे बांस के फूलों के बीज झड़ते हैं जिसे जंगल के लोग संग्रहित कर रखते हैं… इन बीजों को वे समयानुसार इसे खाद्य के रूप उपयोग करते हैं… बस्तर के वन विभाग के एक अधिकारी भी वैज्ञानिकों की बात से सहमत हैं… उनका मानना है कि कुछ पेड़ों में फूल आने का एक निर्धारित समय होता है… बांस में फूल आने के बाद उनका जीवन समाप्त हो जाता है जो पूरी तरह से प्राकृतिक है… इसे अंधविश्वास से जोड़ना गलत है… ग्रामीणों का कहना है कि साल 1979 के बाद अब जाकर उन्हें ऐसा नज़ारा देखने को मिला है… उनका कहना है कि सन 1979 में जब ऐसे ही बांस के पेड़ों पर फूल आए थे तो उस साल इलाके में अकाल पड़ा था… बता दें कि यह घटना एक संयोग मात्र था इस बात का कोई साक्ष नहीं है…