कमर दर्द होना कोई बड़ी बात नहीं ये दर्द किसी भी व्यक्ति को कभी भी हो सकता है और इस दर्द के अनेक कारण हैं। बावजूद इसके, डायबिटीज के साथ जिंदगी जी रहे लोगों की कमर दर्द की समस्या कुछ अलग होती है। अक्सर आपने मधुमेह या डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को मोटापे के साथ कमर दर्द की शिकायत करते सुना होगा। अगर आप ऐसे लोगों से बात करें, तो आपको यह पता लगेगा कि यह कमर दर्द बैठे-बैठे कम होता है, पर जब चलना शुरू करते हैं, वैसे ही दर्द तेजी से उभरता है और इस दर्द की तीव्रता बढ़ती चली जाती है। अगर चलना अचानक बंद कर दें, तो कमर दर्द कम होना शुरू हो जाता है और अंत में गायब हो जाता है। इस तरह के कमर दर्द को ज्यादातर लोग लंबर स्पॉन्डिलोसिस या सियाटिका का दर्द समझ लेते हैं और वे अस्थि रोग विशेषज्ञ के पास चले जाते हैं, जबकि यह दर्द उपरोक्त समस्याओं से नहीं होता। आइए आपको बताते हैं कमर दर्द के कारण।
ये हैं कारण
दिल से निकलकर रक्त की एक मोटी नली नीचे पेट की ओर जाती है, जो पेट के अंदर स्थित अंगों जैसे लिवर व आंतों को शुद्ध रक्त की सप्लाई करती है। यही नली नीचे कमर के अंदर पहुंचकर कमर में स्थित अंगों व मांसपेशियों को शुद्ध रक्त प्रदान करती है और उसके बाद दो अलग-अलग नलियों में विभक्त होकर बायीं व दाहिनी जांघ को चली जाती है, वहां और नीचे जाकर दोनों टांगों व पैरों को शुद्ध खून की सप्लाई करती है। डायबिटीज के कारण खून की नलियों की दीवारों में निरंतर वसा और कैल्शियम जमा होता रहता है। धीरे-धीरे वसा के जमाव के कारण खून की नली संकरी होने लगती है। इस कारण शुद्ध रक्त की सप्लाई में गिरावट आने लगती है। अगर दिनचर्या में व्यायाम व अनुशासन का अभाव होता है तो डायबिटीज के मरीजों में शुगर की मात्रा अनियंत्रित हो जाती है। डायबिटीज में खून की नली ज्यादातर स्थितियों में कमर में संकरी हो जाती है, ठीक उसी जगह पर जहां दिल से आने वाली नली दो बड़ी शाखाओं में बंट जाती है। जब पेट में स्थित खून की नली में वसा व कैल्शियम अत्यधिक मात्रा में जमा हो जाता है तो कमर व जांघ को जाने वाली ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त की मात्रा में काफी कमी हो जाती है और मरीज को चलने पर कमर दर्द यानी कमर का एंजाइना शुरू हो जाता है। इस मर्ज में लापरवाही बरतने पर धीरे-धीरे पैरों को जाने वाली शुद्ध खून की मात्रा गिरती चली जाती है और अंत में पैरों में भयानक दर्द, कालापन व गैंगरीन की शुरुआत हो जाती है।
बचाव के तरीके
- संतुलित खानपान और नियमित एक्सरसाइज से अपना वजन नियंत्रित रखें
- कोई भी भारी सामान उठाते समय ध्यान रखें कि कमर पर ज्य़ादा जोर न पड़े
- बैठते समय हमेशा अपनी पीठ सीधी रखें
- उठते-बैठते समय ध्यान रखें कि आपकी कमर को झटका न लगे
- प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलिवरी के बाद डॉक्टर के सभी निर्देशों का अच्छी तरह पालन करें
- कुशल प्रशिक्षक की सलाह और निगरानी के बिना कोई भी एक्सरसाइज न करें