आइए जानें कि इंजन क्या होता है, उसके पार्ट्स क्या हैं और वह कैसे काम करता है! सबसे पहले तो इंजन (automotive engine) एक गाड़ी का वह पार्ट होता है जो उसे गति प्रदान करता है और किसी भी गाड़ी को चलने में मदद करता है। इंजन एक गाड़ी में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब इसे अगर हम टेक्निकल भाषा में कहेंगे तो इंजन एक ऐसी चीज या ऐसी डिवाइस होती है जो केमिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलती है। फ्यूल का उपयोग वाहनों को चलाने में किया जाता है। यानी एक ऐसा डिवाइस जो फ्यूल की केमिकल एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदलता है उसे हम इंजन कहते हैं।
इंजन के प्रकार – Types of automotive engine
तो दोस्तों अगर हम बात करें कि इंजन कितने प्रकार के होते हैं तो इंजन दो प्रकार के होते हैं और वह हैं-
- इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन यानी अंतर दहन इंजन
- एक्सटर्नल कॉम्बस्शन इंजन यानी बाहरी दहन इंजन
अब अगर हम बात करें कि इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन क्या होता है तो इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन यानी आंतरिक दहन इंजन में फ्यूल का कंपल्शन इंजन में सिलेंडर के अंदर होता है। यानी ऐसा इंजन जो डीजल और पेट्रोल से चलता है उसे हम इंटरनल कॉम्बस्शन इंजन कहते हैं। इस इंजन में अधिक मात्रा में ईंधन को जलाया जाता है इसीलिए आटोमोटिव इंजन को भी आंतरिक दहन इंजन कहते हैं। आंतरिक दहन इंजन भी दो प्रकार के होते हैं रोटरी इंजन और रिसिप्रोकेटिंग इंजन।
अब आता है एक्सटर्नल कॉम्बस्शन इंजन तो एक्सटर्नल कॉम्बस्शन इंजन में फ्यूल का जो दहन होता है वह इंजन के सिलेंडर के बाहर होता है। वहां से ही वह इंजन के सिलेंडर में आता है और गाड़ी को गति प्रदान करता है। पहले की जो ट्रेनें होती थी वह स्टीम से चलती थीं जो एक्सटर्नल कॉम्बस्शन इंजन का एक उदाहरण हैं।
इंजन कैसे काम करता है?
अब हम बात करें कि इंजन (automotive engine) काम कैसे करता है तो सबसे पहले सिलेंडर आता है। सिलेंडर के अंदर पिस्टन होता है। पिचकारी में जैसे पिस्टन होता है वैसे ही इसमें भी होता है लेकिन इंजन के पार्ट्स मेटल के बने होते हैं। उसके बाद आता है क्रैंक्षाफ्ट। पिस्टन और क्रैंक्षाफ्ट एक कनेक्टिंग रॉड जुड़े हुए होते हैं। पिस्टन ऊपर नीचे मूव करता है और क्रैंक्षाफ्ट्स मूवमेंट को रोटेशनल मूवमेंट में बदलता है। उसके बाद आता है इंटेक वोल्व। पेट्रोल और एयर का जो मिक्सर होता है वह इस वाल्व से अंदर आता है। अब देखते हैं इंजन काम कैसे करता है, तो सबसे पहले इंटेक बाल खुलता है और फिर पिस्टन नीचे जाता है। जैसे ही पिस्टन नीचे जाता है वह पेट्रोल और एयर का जो मिक्सचर है उसे अपने साथ खींच लेता है। पेट्रोल बहुत तेजी के साथ जलता है लेकिन किसी भी चीज को जलने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है इसलिए सिलेंडर में भेजने से पहले उसमें एयर मैक्स की जाती हैं।
उसके बाद इनटेक वाल्व बंद हो जाता है और पिस्टन ऊपर चला जाता है। तब उसके अंदर जो एयर का मिक्सचर है वह कंप्रेस होने लगता है। अब इसमें स्पार्क होता है। जैसे ही स्पार्क होता है वैसे ही उसमें एक छोटा सा ब्लास्ट होता है और गैस फैल जाती है। इस वक्त वाल्व बंद होता है तो फैली हुई गैस पिस्टन को नीचे धकेल देती है और पेट्रोल जलकर धुवें में बदल जाता है। उसके बाद एग्जास्ट वाल्व ओपन होता है और यह फैली हुई गैस जो होती हैं वह बाहर निकल जाती हैं। उसके बाद पिस्टन ऊपर जाता है और बचा जो धुआँ मौजूद होता है वह भी बाहर निकल जाता है। अब एग्जास्ट वाल्व बंद हो जाता है और यही साईकिल फिर से दोहराने लगता है। फिर से इंजन एक बार खुलेगा, पिस्टन नीचे जाएगा और एयर का मिक्सचर अंदर आएगा।
टर्बो इंजन कैसे काम करता है?
आइए जानते हैं टर्बो इंजन कैसे काम करता है। जब भी हम गाड़ी को स्टार्ट करते हैं तो जो एयर कंबशन एरिया में जाती है, जब कंबशन एरिया में ब्लास्ट होता है। पिस्टन मूव करता है और फिर एक्स्ट्रा गैस यहां से बाहर आ जाती है और वह बाहर आकर टर्बो इंजन को मूव कराती है और बाहर निकल जाती है। इसी के साथ एक बेल्ट से एक और टर्बो जुड़ा होता है और यह यहां से फ्रेश एयर को अंदर ले जाता है। यह जैसे ही फ्रेश एयर को अंदर लेकर जाता है तो वह एंट्री कूलर में पहुंचती है और इंट्री कूलर बाहर से आने वाली फ्रेश एयर को बिल्कुल ठंडा कर देता है और फिर प्रेशर के साथ इंजन में भेजता है जिससे उसका कंबशन और ज्यादा बढ़ जाता है। जिससे इंजन काफी अच्छे से काम करता है। टर्बो ज्यादातर डीजल वाली गाड़ियों में पाया जाता है क्योंकि डीजल को पेट्रोल से ज्यादा बंद करने में टाइम लगता है। इसीलिए ऐसी गाड़ियां जिसमें टर्बो लगा होता है बहुत कम आती हैं और अगर पेट्रोल की गाड़ियों में टर्बो लगा दिया जाए तो उसकी परफॉर्मेंस बहुत बढ़ जाएगी।
इंजन का प्रयोग
अब अगर बात करें कि इंजन का प्रयोग कहां कहां होता है तो-
- इंजन का प्रयोग पावर को जनरेट में किया जाता है।
- ऑटोमोबाइल इंजन को चलाने के लिए इंजन का प्रयोग किया जाता है।
- मशीन को गति प्रदान करने के लिए इंजन का प्रयोग किया जाता है।
- किसी भी एयर को कंप्रेस करने के लिए भी इंजन का प्रयोग किया जाता है।
- कृषि कार्य यानी एग्रीकल्चर में भी इंजन का प्रयोग किया जाता है।
- लोकोमोटिव एप्लीकेशन में भी हम इंजन का प्रयोग करते हैं।
Automotive engine से फायदे
इंजन ने हमारे काम को आसान कर दिया है। इससे हमारा समय बच जाता है। आज हमारी मेहनत इंजन (automotive engine) कर रहा है।
इसने किसानों के काम आसान कर दिए हैं जिससे वह ट्रैक्टर वगैरह की मदद से खेतों में कटाई काफी कम समय में और बहुत आसानी से कर लेते हैं।
इंजन के कारण खेतों में सिंचाई करना भी बहुत आसान हो गया है। ऐसे ही बहुत सारे कार्यों में इंजन ने हमारी जिंदगी को बहुत आसान और सरल बना दिया है।
नुकसान
जहां इंजन ने हमारी जिंदगी को एक अलग मोड़ पर पहुंचाया है और उसे बहुत आसान बना दिया है वहीं अगर देखा जाए तो इससे हमें थोड़े बहुत नुकसान भी उठाने पड़े हैं। आज हर एक इंसान अपने समय को बचाने के लिए इंजन की सहायता से अपना काम करना चाहता है। ऐसे में मजदूरों से लोग कम काम कराने लगे हैं जिससे वह बेरोजगार हो गए हैं। तो ऐसे ही इंजन से मजदूरों को नुकसान भी पहुंचा है और उनसे रोजगार भी छिन गया है।
Conclusion
इंजन के आ जाने के बाद हमारी बहुत सारी परेशानियां हल हो गई हैं। इसका बनना हमारे लिए काफी लाभदायक साबित हुआ है। इंजन ना होता तो हमें बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता और अधिक मेहनत करनी पड़ती। आज हमारी मेहनत इंजन कर रहा है। इस तरह से इंसान को मेहनत कम करनी पड़ रही है। इंजन हमारे काम को कम समय में ही कर देता है जिससे हमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और हमारा समय बचता है। यह भी आश्चर्यजनक बात है कि हमारी ही बनाई हुई चीज इतनी ताकतवर है जिससे हमें इतना फायदा हो रहा है और हमारा समय बच रहा है।
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