Tuesday, November 5, 2024
hi Hindi

हिन्दी वर्णमाला का क्रम से कवितामय प्रयोग।

by SamacharHub
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अ चानक,

आ कर मुझसे,

इ ठलाता हुआ पंछी बोला।

ई श्वर ने मानव को तो-

उ त्तम ज्ञान-दान से तौला।

ऊ पर हो तुम सब जीवों में-

ऋ ष्य तुल्य अनमोल,

ए क अकेली जात अनोखी।

ऐ सी क्या मजबूरी तुमको-

ओ ट रहे होंठों की शोख़ी!

औ र सताकर कमज़ोरों को,

अं ग तुम्हारा खिल जाता है;

अ: तुम्हें क्या मिल जाता है?

क हा मैंने- कि कहो,

ख ग आज सम्पूर्ण,

ग र्व से कि- हर अभाव में भी,

घ र तुम्हारा बड़े मजे से,

च ल रहा है।

छो टी सी- टहनी के सिरे की

ज गह में, बिना किसी

झ गड़े के, ना ही किसी-

ट कराव के पूरा कुनबा पल रहा है।

ठौ र यहीं है उसमें,

डा ली-डाली, पत्ते-पत्ते;

ढ लता सूरज-

त रावट देता है।

थ कावट सारी, पूरे

दि वस की-तारों की लड़ियों से

ध न-धान्य की लिखावट लेता है।

ना दान-नियति से अनजान अरे,

प्र गतिशील मानव,

फ़ रेब के पुतलो,

ब न बैठे हो समर्थ।

भ ला याद कहाँ तुम्हे,

म नुष्यता का अर्थ?

य ह जो थी, प्रभु की,

र चना अनुपम…….

ला लच-लोभ के

व शीभूत होकर,

श र्म-धर्म सब तजकर।

ष ड्यंत्रों के खेतों में,

स दा पाप-बीजों को बोकर।

हो कर स्वयं से दूर-

क्ष णभंगुर सुख में अटक चुके हो।

त्रा स को आमंत्रित करते-

ज्ञा न-पथ से भटक चुके हो।

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