हमारे देश में सरकारी नौकरीयों की कितनी मांग हैं यह हम सब अच्छे से जानते हैं। सरकारी नौकरी मानो मिल जाए तो जीवन सफल हीं हो जाए। हर कोई सरकारी नौकरी पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करता हैं। हर छोटे से छोटे सरकारी नौकरी के लिए लोग पुरी मेहनत करते हैं।
हर किसी का सपना होता हैं की हमारे पास एक सरकारी नौकरी हो भलें हीं निचले स्तर की हीं हो पर सरकारी नौकरी जरुर हो और हो भी क्यों न सरकारी नौकरी के साथ कितनी अन्य सुविधाएं भी तो मिलती हैं। एक सुरक्षित नौकरी, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का लाभ, इलाज के खर्च, इत्यादि सुविधाएं मिल हीं जाते हैं सरकारी नौकरी में। लेकिन सवाल है कि क्या इन सरकारी नौकरी का गलत फायदा उठा रहें हैं सरकारी कर्मचारी? क्या अपने वेतन के साथ न्याय कर रहें हैं सरकारी कर्मचारी?
आज कल सरकारी क्षेत्र में सरकारी कर्मचारी अपने वेतन के साथ पुरा न्याय नहीं कर रहे हैं। सरकारी ढील इसकी एक बहुत बड़ी वजह हैं। सरकारी दफतरों मे अगर ध्यान दिया जाए तो पता चलता हैं कि कितना काम हो रहा हैं और कितना नहीं। अगर फाइलों की तरफ देखें तो आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कितने काम सरकारी कर्मचारी पुरे कर चुके हैं और कितने उनके काम बाकी हैं। शहरी सरकारी दफतरों मे जैसे तैसे काम कर भी रहें हों सरकारी कर्मचारी तो गांवों के सरकारी दफतरों के कर्मचारी काम पर आते भी हो तो बहुत बड़ी बात समझी जाती हैं। पुरे देश में कुछ ऐसा हीं हाल है सरकारी कर्मचारीयों का।
अब और कुछ नहीं तो सरकारी स्कुलों के शिक्षकों का हीं काम कुछ ऐसा है कि वेतन तो देर सवेर मिल भी जाते हैं तो सरकारी कर्मचारी के तौर पर उन सबका काम उनके वेतन के साथ न्याय नहीं करता। शहर के सरकारी स्कुलों में सरकारी कर्मचारी का काम बहुत हद तक ठीक भी है तो गांव में मौजुद स्कुलों की बात तो बताने लायक भी नहीं हैं। कहीं कहीं के स्कुलों में स्कुलों के शिक्षक तो दर्शन तक नहीं देते और कहीं कहीं वह केवल वेतन के दिन हीं दिखाई देते हैं।
कहीं कहीं केवल हाज़री लगाने शिक्षक और कर्मचारी आते हैं। कहीं कहीं छात्र पढ़ने आते तो है पर शिक्षकों को उन्हे पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं होती। अब अगर ऐसे काम के साथ सरकारी कर्मचारी अपना वेतन ले कर खुश हैं तो यह कैसा न्याय हुआ वेतन के साथ। यह तो केवल सरकार और लोगों की आँखों में धुल झोंकने जैसी बात हैं। क्या यहां सरकारी कर्मचारीयों को यह नहीं सोचना चाहिए की जब हमने उस वेतन लायक काम हीं नहीं किया तो हम यह वेतन के हकदार कैसे हुए। यह तो उन लोगों के साथ भी नाइंसाफी हुयी जिन्हे अगर यह काम मिला होता तो वह पुरी शिद्दत से काम यह कर के दिखाते। यह तो सरकार के साथ भी धोखा हैं जिन्होनें इन सरकारी कर्मचारी को नौकरी दे कर यह उम्मीद की थी कि वह समाज का उधार करने का काम करेगें। यह देश की जनता के साथ भी धोखा हैं जिनके दिए गए करों का उपयोग कर सरकारी दफतर बनाए जाते हैं और इन सरकारी कर्मचारीयों को वेतन और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराईं जाती हैं।
आप कभी पोस्ट ऑफिस में भी जा कर देख सकते हैं कि कैसे वहा सरकारी कर्मचारी के पास करने के लिए काम नहीं होता। अगर काम होता भी है तो वह वेतन के हिसाब से तो ना के बराबर हीं हैं। यह सब ढील यही दिखाते हैं कि कैसे सरकारी कर्मचारी अपने मिलने वाले वेतन के साथ न्याय करने में असमर्थ हैं। यह कहना गलत नहीं है कि हर एक सरकारी कर्मचारी ऐसे नहीं हैं जो अपने वेतन के जितना काम नहीं कर पा रहे हैं मगर यह भी गलत नहीं है कि ऐसे सरकारी कर्मचारीयों की कमी नहीं हैं जिनका काम उस दर्जे का नहीं जिस दर्जे का वेतन उन्हे दिया जा रहा हैं। ऐसे में सरकार को ऐसे कर्मचारीयों पर सख्ती करने की जरुरत है जो अपने काम को निष्ठा से नहीं कर रहे। सरकार को ऐसे कर्मचारीयों पर सख्त नियम लागु करने चाहिए कि अगर उनके काम का स्तर खराब रहा तो उन पर निर्णायक कार्यवाही की जाएगी। वहीं दुसरी ओर सरकार को हर सरकारी दफतर में महिने में कम से कम एक बार अपने अधिकारीयों को भेज कर वहां के सरकारी कर्मचारीयों का काम काज का पुरा ब्योरा लेना चाहिए और उन पर सख्ती बरतनी चाहिए। केवल सरकारी सख्ती और कार्यवाही हीं ऐसे ढील को पुरी तरह से रोकने में कारगर सिद्ध हो सकती हैं।
देश के हर एक सरकारी कर्मचारी पर सरकार अपना करोड़ो खर्च कर यह सुनिश्चित करती है कि उन्के कर्मचारीयों को हर उमदा सुविधाएं मिल सके मगर सरकारी कर्मचारी यह भुल जाते हैं कि केवल मेहनत की कमाई हीं आसानी से हज़म होती हैं। अगर सरकार अपने कर्मचारीयों के बारे में इतना कुछ सोच सकते हैं तो सरकारी कर्मचारीयों को भी यह आत्मग्लानी होनी चाहिए कि हम अपने मिलने वाले वेतन की पाई पाई अपनी मेहनत से चुकता कर दें। यह जरुरी है कि यह सरकार और सरकारी कर्मचारी एक दुसरे का साथ पाकर समाज और देश की प्रगति का सपना देखें और उसे पुरा भी करें। देश की जनता की कमाई का हिस्सा हीं इन सरकारी कर्मचारीयों को सुविधाएं दिलाता हैं इसलिए यह सरकारी कर्मचारीयों की ज़िम्मेदारी हैं कि वह यह बात समझे की देश की जनता को जवाब देने की खातिर हीं सही यह जरुरी है कि सरकारी कर्मचारी अपने काम को पुरी निष्ठा से करें और यह सुनिश्चित करें और कराएं कि वह अपने वेतन का हर एक पैसा पाने के असल हकदार हैं।
एक सच्चा और इमानदार कर्मचारी अपने देश के लिए ऐसी पुंजी है जो देश की न केवल छवि को सुधारतें हैं बल्कि देश की प्रगति का भी सुचक होते हैं। हमें यह भुलना नहीं चाहिए कि हमारे देश को प्रगति की राह से जोड़ने वाले हर एक नेता, क्रांतिकारी ने अपने किए काम का पुरा पुरा हिसाब चुकता कर के दिखाया था। यह नामुमकिन हीं होता अगर वह लोग भी अपने काम में ढील देते और लालच कर वेतन पुरा ले लेते। हम सबको ऐसे लोगो को अपनी प्रेरणा समझना चाहिए जो अपने काम को अपनी असल कमाई और पुंजी समझते हैं और कभी आराम फरमा कर अपना दिन नहीं व्यतीत करते।