महिला और पुरुष (Women and Men) यह एक ऐसा दिलचस्प विषय है जिस पर बहस की जाए तो मिनट्स और घंटे नहीं बल्कि सदियां बीत जाएंगी। यह दोनों एक नदी के वह दो किनारे हैं जो बिल्कुल एक दूसरे के अपोजिट होते हैं। अगर पुरुष पूरब है तो महिला पश्चिम, अगर मर्द दिन की तरह सुबह की एक नई किरण है तो औरत दिनभर की थकावट को शाम की तरह राहत देने वाली है। यह दोनों अपनी-अपनी जगह पर कुदरत का एक अनोखा अजूबा हैं लेकिन अगर यह दोनों आपस में ही एक दूसरे को कंपेयर करना शुरू कर दें तो क्या हो सकता है यह शायद मुझे आपको बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि वर्ल्ड वॉर 3 दिन भर में कई बार आप खुद अपने घरों में ही देखते होंगे।
आपको बचपन से ही खुद से ज्यादा शक्तिशाली होने का एहसास दिलाने वाली महिला को कभी भी आप कमजोर न समझें। हां-हां, इस बात का अंदाजा मुझे भी 2012 की ओलंपिक टीम देखने के बाद पता हुआ जिसमें महिलाओं की तादाद 269 थी तो वहीं पुरुषों की गिनती सिर्फ 261 थी। जी हां सही समझा आपने! अगर मौका मिले तो वह आप से आगे निकल सकती हैं इसलिए आपको थोड़ा और शक्तिशाली होने की आवश्यकता है।
दूसरी तरफ अगर हम पुरुषों की बात करें तो आपके घरों में आपकी हर बात पर हां-हां, तुम सही हो, कहने वाले पुरुषों को आप बेवकूफ ना समझें, आज बल्कि अभी ही टॉप 100 साइंटिस्ट की लिस्ट पर जरा गौर करें। जी हां आपका दिल रखने के लिए आपकी हर बात पर हां-हां करने वाले पुरुषों को आप गिनती रह जाएंगी।
यह तो थी एक छोटी सी बात लेकिन सच्चाई तो यह है कि दोनों ही किसी भी हाल में एक दूसरे से कम नहीं, हर एक अपने आप में अनोखा और खास है।
तो आइए इनके बारे में थोड़ा और जानने की कोशिश करते हैं और नज़र डालते हैं महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) के बीच के अंतर को।
डेली रूटीन – Daily routine: Women and Men
सुबह-सुबह 6:00 बजे पहला अलार्म बजने के साथ ही उठ जाने वाली महिलाएं हमेशा समय पर घर से निकलने में लेट हो जाती हैं।
वहीं अलार्म को बार-बार स्नूज़ करने वाले पुरुष 10 मिनट पहले उठकर भी ऐसे तैयार हो जाते हैं जैसा कि उन्हें सीमा पर शत्रुओं के आक्रमण करने की खबर मिली हो।
डेली रूटीन को लेकर भी महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) के बीच बहुत अंतर होता है।
मेकअप – make-up: Women and Men
महिलाएं 3 घंटे पहले उठने के बाद भी समय पर तैयार क्यों नहीं हो पातीं, यह बात आपको अपने घर की किसी भी महिला और खासकर अपनी बहन या पत्नी से पूछने का रिस्क आपको तभी लेना चाहिए जब आपको अपनी इस सुंदर शक्ल से चिढ़ होने लगी हो। चलिए फिलहाल हम ही आपको बता देते हैं।
शोध के अनुसार एक महिला अपने जीवन का 1 साल सिर्फ अपने कपड़े ही पसंद करने में निकाल देती है कि आज क्या पहनूं और उसके बाद डेंटिंग, पेंटिंग यानी मेकअप में लगने वाले समय का अंदाजा तो आप पार्टी में मौजूद किसी भी महिला का खूबसूरत चेहरा देख कर ही लगा सकते हैं।
लेकिन पुरुष भी कुछ ज्यादा पीछे नहीं है। एक रिसर्च से पता चलता है कि पुरुष अपने जीवन का 6 महीना अपनी शेविंग में निकाल देते हैं।तो कुल मिलाकर मेकअप के मामले में महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) का बिहेवियर अलग अलग होता है।
हेयर कट – hair cut: Women and Men
वैसे तो बचत के मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे होती हैं लेकिन बात अगर हेयर स्टाइल कि की जाए तो यहां महिलाएं ज्यादा देर बचत के लिए खुद पर काबू नहीं रख पातीं।
हजारों रुपए खर्च करने के बाद ब्यूटी पार्लर से निकलते और जाते वक्त आप एक महिला की हेयर स्टाइल में ज्यादा फर्क नहीं ढूंढ पाएंगे।
यहां महीनों से अपने बालों का बोझ अपने सिर पर लेकर घूमने वाले पुरुष, महिलाओं से बचत करने में ज्यादा आगे निकल जाते हैं क्योंकि वह अपने महीनों का बोझ एक दिन में सिर्फ चंद रुपये खर्च कर के ही हल्का कर देते हैं। हेयर कट को लेकर महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) के बीच कभी भी एकता नहीं हो सकती है।
फोटो सेशन – photo session: Women and Men
पार्टी से याद आया, फ़ोटोज क्लिक कराने से तो महिलाओं का एक अटूट संबंध बन चुका है। हजार पोज़ में 100 फोटोज क्लिक कराने के बाद भी उन्हें यह ही लगता है की यह फोटो सही नहीं आया, एक और ले लो।
उन 100 की 100 फोटो में पुरुष स्टैचू की तरह एक ही पोज़ में नजर आते हैं।फ़ोटो सेशन को देखते हुए आप महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) को कभी भी एक बिंदु पर नहीं पायेंगे।
शॉपिंग – Shopping: Women and Men
बात अगर शॉपिंग की की जाए तो महिलाओं को खरीदारी का बहुत शौक होता है। भले ही वार्डरोब खोलते ही कपड़ों का ढेर चरणों को छूकर उनका आशीर्वाद लेने चला आए लेकिन कहीं भी जाने के समय वह बेचारी, गरीब और मासूम महिलाओं के पास पहनने के लिए कुछ नजर ही नहीं आता।
बताते चलें की ब्रिटेन की महिलाओं के पास औसतन 19 जोड़ी जूते, सैंडल होते हैं लेकिन वह उनमें से सिर्फ सात जोड़े का ही इस्तेमाल करती हैं।
वहीं दूसरी ओर पुरुषों को तो याद भी नहीं होता की पिछले 5 सालों से एक ही जोड़े में उन्होंने आधी दुनिया कब घूम ली।
बातचीत – Talkative: Women and Men
बचपन में मम्मी के साथ अगर आप कभी भी बाहर या किसी के घर गए होंगे तो आपको उस खास मीटिंग के बारे में अच्छी तरह याद होगा जो घर से निकलते-निकलते दरवाजे पर होती है, या अगर रास्ते में कोई पड़ोस वाली आंटी बाहर मिल जाएं तो फिर क्या कहने।
आपने सुना ही होगा कि महिलाओं के पेट में बात नहीं पचती। एक शोध के दौरान पता चलता है कि महिलाएं 47 घंटे 15 मिनट से ज्यादा कोई भी बात छुपा नहीं सकती। पूरे दिन में महिलाएं 7000 और पुरुष सिर्फ 2000 शब्दों का प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यहां झूठ बोलने के मामले में पुरुष महिलाओं से आगे हैं। जहां दिन भर में पुरुष 6 बार झूठ बोलते हैं, वहीं एक महिला औसतन दिन में सिर्फ दो बार ही झूठ बोल पाती है।
बीमारी – sickness: Women and Men
क्या आपने जल्दी कभी अपनी मम्मी को बीमार होकर आराम करते हुए देखा है? शायद ही बहुत कम देखा होगा जी हां क्योंकि पुरुषों के मुकाबले में महिलाएं खुद से ज्यादा अपने अपनों का ख्याल रखती हैं इसलिए वह अपनी छोटी-छोटी बीमारियों को इतनी अहमियत नहीं देंती। वहीं पुरुष बीमार तो बहुत ही कम होते हैं लेकिन अगर सचमुच में उन्हें कोई छोटा सा रोग या बुखार भी हो जाए तो उन्हें ऐसा लगता है जैसे उन पर पहाड़ टूट पड़ा हो।
वहीं अगर बात रोने की करें तो महिलाएं साल भर में 30 से 64 बार रोती है लेकिन पुरुष सिर्फ 6 से 17 बार।
वेकेशन – Vacation: Women and Men
सबसे पहले तो महिलाओं के घूमने जाने की प्लानिंग जल्दी कभी सक्सेस नहीं हो पाती। पूरे साल प्लानिंग बनाने के बाद समय पर या तो किसी सहेली को जरूरी काम पड़ जाता है या उनके पेरेंट्स नहीं मान रहे होते आदि।
प्लान सक्सेस होने के बाद एक महिला एक हफ्ते के लिए एक दिन से 3 गुना ज्यादा यानी 21 जोड़ी कपड़े रखती है, वहीं दूसरी ओर पुरुष एक हफ्ते के लिए सिर्फ 5 जोड़ी कपड़े रखते हैं।
रिश्तेदारी – Relationship: Women and Men
साल में एक बार किसी त्योहार पर बधाई देने के लिए किसी करीबी रिश्तेदार का फोन अगर घरवाले किसी पुरुष को पकड़ा दें तो वो ऐसे छुटकारा पाने की कोशिश करते हैं जैसे हाथ में बम आ गया हो। वहीं दूसरी ओर महिलाएं दूर के रिश्तेदारों से एक दिन पहले बात करने के बाद अगले दिन फिर घंटों बात कर सकती हैं।
इसका एक कारण यह भी है की पुरुष गैजेट, मशीन, और रिस्की चीजों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं क्योंकि वह लॉजिकल होते हैं।
महिलाएं मदद करने, मदद लेने, और लोगों में ज्यादा दिलचस्पी रखती हैं क्योंकि वह ज्यादा क्रिएटिव होती हैं।
Conclusion
अमेरिकन लेखक, जाॅन ग्रे अपनी किताब “मेन आर फ्रॉम मार्स एंड वूमेन आर फ्रॉम विनस” में लिखते हैं कि पुरुष रबर बैंड की तरह होते हैं इन्हें जितना खींचा जाए उतने ही दूर हो जाते हैं, और महिलाएं वेव यानी लहर की तरह होती हैं। कब वह खुश होती हैं, कब दुखी, कब एक्साइटेड, उनका कुछ पता नहीं चलता। जब वह खुश होती हैं तो वह गिलास को आधा भरा हुआ देखती हैं और जब दुखी होती हैं तो वह उसी गिलास को आधा खाली देखती हैं।
इन सब बातों के बाद भी अगर इन दोनों का औसतन आई क्यू देखा जाए तो दोनों ही लगभग बराबर पाए जाते हैं। इसके बावजूद महिलाओं व पुरुषों (Women and Men) के बीच बहुत अंतर होता है।
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