भारत देश की वायुसेना की शक्ति और अधिक बढ़ने वाली है जल्दी भारतीय वायुसेना में 83 तेजस विमान शामिल होने वाले हैं। सरकार ने 48 हजार करोड़ रुपए की डील को मंजूर कर दिया है जिससे तेजस की खरीद होगी। भारत को हमेशा भाई मोर्चे पर तैयार रहने की आवश्यकता होती है। इसमें से चीन, पाकिस्तान और भारत का आंतरिक मोर्चा है। तेजस के आ जाने के बाद अवश्य ही भारत की ताकत बढ़ने वाली है। आइए जानते हैं तेजस के बारे में और यह क्यों युद्ध में गेमचेंजर विमान है-
क्या है कहानी
भारत को आजादी के बाद से ही पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से नोकझोंक और युद्ध के बाद से लगने लगा कि हमारे देश का भी एक स्वदेशी विमान होना चाहिए। सोनी सी विमान की आवश्यकता भी जरूरी थी। भारत मिग को लड़ाकू विमान की तरह इस्तेमाल करता था किंतु इसकी तकनीक पुरानी हो गई थी और इसीकी वजह से स्वदेशी विमान का सपना सामने आया जो वर्तमान में तेजस है। 1980 का वह समय था जब स्वदेशी विमान का सपना सबके सामने आया। 1981 में भारत ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का मिशन शुरू किया था।
यह मिशन शुरू करने के दो लक्ष्य थे भारत का पहला लक्ष्य था कि मिग-21 के एक विकल्प आवश्यकता, वही दूसरी ओर घरेलू विमान की क्षमताओं के लिए भी उन्नति तलाशने का लक्ष्य था। तलाश की शुरुआत तो हो गई थी किंतु भारत में कोई भी संगठन ऐसा नहीं था जिसके पास इतनी योग्यता हो कि वह स्वदेशी विमान विकसित कर पाए। हालांकि, एचएएल ने 1961 में एक विमान बनाया जिसका नाम मारुति था किंतु एक जर्मन टीम द्वारा इसे डिजाइन किया गया। भारतीय सेना में 1990 तक यह विमान शामिल रहा था वही 2000 वर्ष के आसपास ही तेजस की शुरुआत हो गई थी।
मिग विमान की वजह से विकल्प की जरूरत समझ में आई
अमेरिकी मैगजीन में दिसंबर 2020 में एक लेख आया था जिसमें बताया गया था कि अमेरिकी प्रतिबंध और प्रौद्योगिक जटिलता की वजह से भारत खुद के विमान को उड़ाने में सक्षम नहीं हो पाएगा। 4 जनवरी 2001 का वह समय था जब अध्यक्ष डॉ कोटा हरिनारायण और उनकी टीम द्वारा एलसीए टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर का प्रशिक्षण हुआ जो सफल रहा और तेजस की उड़ान इसी प्रकार शुरू हुई थी।
अटल जी द्वारा हुआ नामकरण
यह वर्ष 2003 की बात है जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा तेजस का नामकरण किया गया था। तेजस एक तरह से हमारे देश का पहला देश में निर्मित लड़ाकू विमान है। इसकी खास बात यह है कि 50% तक कलपुर्जे भारत में ही बनाए गए हैं।
चीन के विमानों से बेहतर
आरकेएस भदौरिया जो भारतीय वायु सेना प्रमुख हैं उनका दावा है, कि भारत का विमान तेजस पाकिस्तान और चीन दोनों द्वारा मिलकर बनाया गया विमान jf-17 फाइटर जेट से बहुत बेहतरीन है। इसकी तकनीक भी उससे उन्नत और बेहतर है। भारतीय वायुसेना की ताकत तेजस के शामिल होने के बाद बहुत अधिक बढ़ने वाली है। इसका वजन सुखोई विमान से कम है। वही जटिल ऑपरेशन के लिए इस विमान में इलेक्ट्रॉनिक तकनीक के स्कैन रडार, इलेक्ट्रॉनिक वार फेयर सूट, बियोंड विजुअल रेंज मिसाइल और एयर टू एयर रिफ्यूलिंग तकनीक भी मौजूद है।