राजस्थान अर्थात् ‘राजाओं की भूमि’ सांस्कृतिक व प्राकृतिक दृष्टि से काफी सम्पन्न है. यहाँ अरावली पर्वत, थार मरुस्थल व मेवाड़ का पठार व अनेक झीलें पायी जाती हैं,साथ ही यह राज्य किलों के लिए भी प्रसिद्ध है जिनमें से कुछ तो विश्व विरासत स्थल में भी शामिल किये जा चुके हैं.| भारतीय इतिहास में यह राज्य राजपूत राजाओं की वीरता के लिए प्रसिद्ध है. इस वजह से राजस्थान को वीरों की भूमि भी कहा जाता है.
राजस्थान से जुड़े हैं ये रोचक तथ्य, जिन्हें आप नहीं जानते होंगे
- पाली में बुलेट बाबा का मंदिर
यहां पर मूर्ति नहीं, बाइक से लिया जाता है आशीर्वाद: राजस्थान के पाली में स्थित ओम बन्ना सा का मंदिर अन्य सभी मंदिरों से बिल्कुल अलग है. इस मंदिर की विशेषता यहां भगवान की मूर्ति नही, बल्कि एक मोटरसाइकिल और उसके साथ रखी ओम सिंह राठौर की फोटो है, जिसकी लोग पूजा करते हैं.
- यहां भक्त के रूप में ये वानर करता है हनुमान जी की सेवा
जिस तरह भगवान श्रीराम के भक्त हनुमान थे, ठीक उसी तरह अजमेर के बजरंगगढ़ में भी हनुमान जी का एक भक्त वानर रूप में सामने आया है जिसका नाम रामू है. रामू वर्षों से हनुमान जी के इस मंदिर की पहरेदारी कर रहा है. रामू पूरा दिन बजरंगगढ़ की पहरेदारी करने के साथ-साथ तिलक लगवाना, मंदिर की घंटी बजाना, गिलास से उठाकर पानी पीना, बालाजी के भजन पर नृत्य करना जैसे कई अद्भूत क्रियाकलाप करता है. रामू पूरा समय मंदिर में ही रहता है, यहीं खाता-पीता है, सोता है
- सूर्यास्त के बाद राजस्थान के इस शहर में रूकने पर बन जाते हैं पत्थर
मंदिरों की शिल्प कला के लिए विख्यात किराडू राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है. यहां के मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था. किराडू को राजस्थान का खजुराहों भी कहा जाता है. खजुराहो जैसा दर्जा पाने के बाद भी यह जगह पिछले 900 सालों से वीरान है. दिन में जरूर यहां कुछ चहल-पहल देखी जा सकती है लेकिन सूर्यास्त होते ही यह जगह वीरान हो जाती है. माना जाता है कि यहां सूर्यास्त के बाद जो भी रूकता है वह पत्थर में बदल जाता है.
- जयबान तोप
जयबाण तोप विश्व की सबसे बड़ी तोप है, जो राजस्थान के जयपुर की शान है. यह तोप जयगढ़ किले में स्थित है और राजस्थान के इतिहास की अमूल्य धरोहर है. जयबाण तोप की मारक क्षमता 22 मील (लगभग 35.2 कि.मी.) है.
- ब्लू सिटी
जोधपुर थार के रेगिस्तान के बीच अपने ढेरों शानदार महलों, दुर्गों और मन्दिरों वाला प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भी है. वर्ष पर्यन्त चमकते सूर्य वाले मौसम के कारण इसे ‘सूर्य नगरी’ भी कहा जाता रहा है. यहां स्थित मेहरानगड़ दुर्ग को घेरे हुए हजारों नीले मकानों के कारण इसे ‘नीली नगरी’ के नाम से भी जाना जाता था.
- राजस्थन का एक ऐसा गांव जो है भूतों का गांव
जैसलमेर से केवल 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है एक ऐसा गांव जहां रात के अंधेरे में कोई भी जाना पसंद नहीं करता है क्योंकि यहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है. इस गांव में अंधेरा होते ही महिलाओं के बात करने, उनकी चूडियों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं.
- राजस्थन की ऐसी जहाँ हिंदू–मुस्लिम साथ मनाते हैं जन्माष्टमी
राजस्थान के शेखावाटी में शक्कर बार बाबा की दरगाह कौमी एकता की जीवंत मिसाल है. यहां सभी धर्मों के लोगों को अपनी पद्धति से पूजा अर्चना करने का अधिकार है. कौमी एकता के प्रतीक के रूप में यहां प्राचीन काल से कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से हिंदुओं के साथ मुसलमान भी पूरी श्रद्धा से शामिल होते हैं.
- यहां खाते हैं प्रेमी प्यार की कसमें, मांगते हैं साथ रहने की मन्नतें
प्रेम तथा धार्मिक आस्था की प्रतिक ‘लैला मजनूं की मज़ार’ राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ तहसील में भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे बिन्जौर गाँव में स्तिथ है. लैला-मजनू का ये अंतिम स्मारक पाकिस्तान से महज़ 2 किलो मीटर दूर है. माना जाता है कि लैला-मजनू ने अपने प्यार में विफल होने पर यही जान दी थी. ख़ास बात यह रही कि जीते-जी वे नही मिल पाये लेकिन मरने के बाद उन दोनो की मज़ारे पास-पास है. इस जगह पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु सर झुकाते है.
- ब्रह्मा मंदिर
संसार भर में जगत पिता ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है. मान्यता है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल के दौरान अनेकों हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया. ब्रह्मा जी का यही एकमात्र मंदिर है जिसे औरंगजेब छू तक नहीं पाया. इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था. यहां मंदिर के साथ ही सुंदर और पवित्र झील भी है. जिसे पुष्कर झील कहा जाता है.
- थार की वैष्णों देवी हैं तनोट माता
जैसलमेर से लगभग 120 किमी दूर स्थित है तनोट देवी का मंदिर, जो जैसलमेर के भूतपूर्व भाटी शासकों की कुल देवी मानी जाती हैं. वर्तमान में इस मंदिर में सेना तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान पूजा करते हैं, यह जैसलमेर के सेना के जवानों की देवी के रूप में विख्यात हैं. इन माता को थार की वैष्णों देवी भी कहा जाता है. सन् 1965 ई. में तनोट में देवी मंदिर के सामने भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारत की विजय का प्रतीक विजय स्तम्भ भी स्थापित हैं.
- मां करणी देवीमंदिर
मां करणी देवी का विख्यात मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है. इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी देश और दुनिया के लोग जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है.
12. ये है अरावली क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी, नाम है ‘गुरू शिखर‘
माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है. माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं. जिनमें से एक है गुरू शिखर. अरावली क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी है ‘गुरू शिखर’ जो माउंट आबू से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह 1722 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. इस पर्वत की चोटी पर गुरू दत्तात्रय का एक प्राचीन मंदिर है. जोकि भगवान दत्तात्रय को समर्पित है.