बेटियों को पापा की परी कहा जाता है और साइकोलॉजिकल दृष्टिकोण से भी यदि देखा जाए तो ये बात सच साबित होती है। कहने का मतलब ये है कि साइकोलाजी भी यही कहती है कि बेटियां अपने पापा के ज़्यादा नज़दीक होती हैं जबकि बेटा अपनी माँ के। ये आप फ्राइड की थ्योरी से समझ सकते हैं।
बेटियाँ अपने पापा को तरह तरह के नखरे दिखाती हैं और उनके पापा उनके ये नखरें उठाते भी हैं। यही कारण है कि अक्सर लड़कियाँ अपने पति में अपने पापा की झलक ढूंढती हैं।
आज की सबसे अच्छी चीज़ है कि महिलाओं को उनके अधिकार और सम्मान समाज के द्वारा दिए गए हैं। इतना ही नहीं बल्कि महिलाएँ आज उन क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बना रही हैं जिनमें कि पहले कभी उनके आने की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी जैसे की पुलिस और आर्मी।यक़ीनन महिलाओं ने काफ़ी तरक़्क़ी कर ली है।
आज किसी घर में यदि बेटी पैदा होती है तो वो अभिशाप नहीं बल्कि भगवान का दिया एक तोहफ़ा मानी जाती है। ये वास्तव में एक सराहनीय बात है! आज हम महिलाओं के हक़ और सम्मान के लिए लड़ने के लिए तैयार रहते हैं और अगर ये कहा जाए कि उन्हें वास्तव में उनके अधिकार दिए गए हैं तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
इतने सारे सराहनीय फैक्ट होने के बावजूद एक बेहद कड़वा सच यह है कि आज कई परिवारों में बेटियां सिर्फ़ पापा की परी बनकर रह गई हैं। कहने का मतलब ये है कि उनके माँ बाप तो उन्हें प्यार करते हैं और सर आँखों पर बिठाते हैं लेकिन परिवार के अन्य सदस्य उन्हें सर आँखों पर बिठाकर प्यार करना तो दूर बल्कि उनसे सही ढंग से बात भी नहीं करते हैं। जी हाँ, आज भी ये चीज़ें हो रही हैं!
हम ये नहीं कह रहे कि सभी लोगों को लड़कियों को सिर आँखों पर बिठाना चाहिए या हर वक़्त उनके आगे पीछे घूमना चाहिए। हम ऐसी बिलकुल भी उम्मीद नहीं कर रहे और ना ही शायद ये सही है लेकिन हम ये ज़रूर कहेंगे कि लड़कियों को लड़का ना होने का ताना देना भी कहीं से सही नहीं है।
इस लेख के द्वारा हम ये तो दावा नहीं करते हैं कि हम इस चीज़ को बिलकुल ख़त्म कर देंगे लेकिन हम यह ज़रूर कहना चाहेंगे कि हम उन लोगों की इस थिंकिंग को बदलने की एक छोटी सी कोशिश करना चाहते हैं जो बेटियों को आज भी बेटों के मुक़ाबले कम समझते हैं।
परिवार में कई ऐसे सदस्य जैसे कि ताई ताया, दादा दादी, फूफा फूफी, चाचा चाची आदि होते हैं जोकि ना सिर्फ़ बेटियों को एक बोझ समझते हैं बल्कि उनके माँ बाप को इस बात का भी ताना देते हैं कि उन्होंने बेटी क्यों पैदा की! सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि उनका ये भी मानना होता है कि बेटी को इतना प्यार करना सही नहीं होता है।
वो अक्सर ऐसे उदाहरण पेश करते हैं जिनमें कि लड़कियाँ अपने माँ बाप को धोखा देकर अपने प्रेमी के साथ भाग गई होती हैं या कुछ ग़लत कर बैठी होती हैं। अब हम ऐसे लोगों की मेंटालिटी का क्या करें लेकिन इतना ज़रूर कहा जाएगा कि इस तरह की थिंकिंग को बदलना बेहद ज़रूरी है।
सबसे पहली बात तो ये है कि घर में चाहे बेटा हो या बेटी वो आपका खून है और इस बात को आप कभी भी झुठला नहीं पाएंगे! दूसरी चीज़ अगर आप को ये लगता है कि बेटियां आपका नाम बेटों की तरह रोशन नहीं कर सकती हैं और सिर्फ़ वही काम कर सकती हैं जैसे कि आपने अब तक उदाहरण देखे हैं तो आप ग़लत हैं।
जिस तरह आपको ऐसे उदाहरण मिल रहे हैं जहाँ पर बेटियों ने बक़ौल आपके माँ बाप का नाम ख़राब किया ठीक उसी तरह आपको उनकी दुगुनी मात्रा में ऐसे उदाहरण भी मिल सकते हैं जिनमें कि बेटियों ने न सिर्फ़ परिवार का बल्कि पूरे देश का नाम रौशन किया। आपको सिर्फ़ थोड़ा सा बाहर निकलकर और अपनी मेंटालिटी को चेंज करके देखना होगा।