Friday, November 22, 2024
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पिछले 17 सालों में जाने जीएसटी की यात्रा…

by SamacharHub
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2000: अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन प्रधानमंत्री, जीएसटी को चर्चा के लिए पेश करने की मंजूरी दी। जीएसटी मॉडल इसे लागू करने का रोडमैप तैयार करने के लिए उन्होंने तत्कालीन पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया। दासगुप्ता इस कमेटी के 2011 तक अध्यक्ष रहे।

2004: तत्कालीन वित्त मंत्रालय के सलाहकार विजय एल केलकर की अध्य्क्षता वाली टास्क फोर्स ने कहा कि मौजूदा टैक्सन सिस्टम में कई समस्याएं हैं। उन्हों ने एक व्यापक जीएसटी का सुझाव दिया।

फरवरी 2005: वित्त  वर्ष 2005-06 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि मध्यम से लेकर दीर्घ अवधि में मेरा यह लक्ष्य है कि संपूर्ण प्रोडक्शान-डिस्ट्री ब्यूयशन चेन को नेशनल वैट या बेहतर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्सो के तहत लाया जाएगा।

फरवरी 2006: चिदंबरम ने देश में 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने की घोषणा की। इसके तहत गुड्स और सर्विसेज पर एक समान टैक्स लगाने की बात कही गई।

नवंबर 2006: वित्त  मंत्री चिदंबरम के सलाहकार पार्थसार्थी शोम ने कहा कि जीएसटी के लिए राज्यों को बहुत से सुधारात्मतक कदम उठाने होंगे। शोम ने कहा कि केंद्र और राज्यों  के बीच बातचीत का प्रमुख मुद्दा सेंट्रल सेल्स टैक्स की भरपाई का है।

फरवरी 2007: 2007-08 के केंद्रीय बजट में दोबारा जीएसटी लागू करने की तारीख 1 अप्रैल 2010 की घोषणा की गई।

फरवरी 2008: 2008-09 का बजट भाषण पढ़ते हुए वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने के लिए सभी के सहयोग से रोडमैप तैयार करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।

जुलाई 2009: भारत के नए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी के बेसिट स्ट्रक्चर की घोषणा की और इसे 1 अप्रैल 2010 से लागू करने के सरकार के लक्ष्य को दोहराया।

नवंबर 2009: असीम दासगुप्ता कमेटी ने जीएसटी पर अपने पहले डिसकशन पेपर को जनता के सामने रखा और इस पर सुझाव मांगे।

फरवरी 2010: सरकार ने राज्यों में कमर्शियल टैक्स के कम्प्यूटराइजेशन प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसे जीएसटी की नींव के तौर पर माना गया। इस प्रोजेक्ट के लिए बजट में 1,133 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी 800 करोड़ रुपए थी। वित्तत मंत्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार एक अप्रैल 2011 से डीटीसी (डायरेक्टक टैक्स कोड) लागू करने की स्थिति में होगी।

मार्च 2011: कांग्रेस की यूपीए सरकार ने जीएसटी लागू करने के लिए लोक सभा में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। इस विधेयक को पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की अध्याक्षता वाली संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। विस्तृत परीक्षण के लिए किसी बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाता है, जो कि लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों  को मिलाकर बनाई जाती है।

जून 2012: स्थायी समिति ने इस पर चर्चा शुरू की। भाजपा और वाम दलों समेत सभी विपक्षी दलों ने धारा 279बी पर अपनी चिंता जताई, जो केंद्र को जीएसटी विवाद अथॉरिटी पर अतिरिक्त विवेकाधीन शक्तियों की अनुमति देता है।

नवंबर 2012: वित्ती मंत्री चिदंबरम ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक की। दोनो पक्षों ने सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए 31 दिसंबर 2012 की समय सीमा तय की।

फरवरी 2013: चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि सरकार ने राज्यों को भरपाई के लिए 9,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस पर अगले महीने में हम सहमति बना लेंगे और संसद में जीएसटी ड्राफ्ट बिल लाएंगे।

अगस्त 2013: स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपी। पैनल ने इस विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ अपनी मंजूरी दी।

अक्टूबर 2013: गुजरात ने इस बिल का विरोध किया। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी सरकार के वित्तमंत्री सौरभ पटेल ने कहा था कि यदि केंद्र सरकार अध्यादेश के जरिये जीएसटी लागू करती है तो गुजरात को हर साल 14,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।

मई 2014: संविधान संशोधन विधेयक 15वीं लोक सभा के विघटन के साथ ही लैप्स हो गया। इसी महीने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी।

दिसंबर 2014: सात माह बाद, भारत के नए वित्त  मंत्री अरुण जेटली ने संसद में इस बिल को पेश किया। कांग्रेस ने इस बिल को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की।

फरवरी 2015: अपने बजट भाषण में जेटली ने घोषणा की कि सरकार एक अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने की इच्छुक है और ऐसी उम्मीद है कि संसद से यह पास हो जाएगा।

मई 2015: लोक सभा ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया।

अगस्त 2015: सरकार राज्य सभा में इस बिल को पास कराने में सफल नहीं रही। वहां सरकार को पूर्ण समर्थन हासिल नहीं था।

मार्च 2016: जेटली ने कहा कि वह कांग्रेस की मांगों से सहमत हैं और जीएसटी रेट 18 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। लेकिन उन्होंने इस मांग से इंकार किया कि जीएसटी रेट को संविधान में उल्लेख किया जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार बिल में कोई दर तय कर देती है तो हर बार जब भी रेट बढ़ाना होगा तो पहले संसद से मंजूरी लेनी होगी।

अगस्त  2016: मोदी सरकार द्वारा बिल में चार संशोधन करने के बाद कांग्रेस ने इसे अपना समर्थन देने पर सहमति जताई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि हमनें जो भी मुद्दे उठाए थे उनका समाधान जीएसटी संविधान संशोधन बिल में कर लिया गया है।

मार्च 2017:  लोकसभा ने केंद्रीय माल एवं सेवा कर बिल 2017 (सी जीएसटी बिल), एकीकृत माल एवं सेवा कर बिल 2017 (आई जीएसटी बिल), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को पास किया।

अप्रैल 2017: राज्यसभा ने केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी जीएसटी विधेयक), एकीकृत माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (आई जीएसटी विधेयक), संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी विधेयक) और माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017 को पास किया।

अप्रैल 2017: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी से जुड़े चारो विधेयकों को मंजूरी दे दी। जिसके बाद राज्य विधानसभाओं से राज्य-जीएसटी विधेयक पास कराना था।

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