Sunday, November 24, 2024
hi Hindi
Holi

रंग-बिरंगी Holi

by Divyansh Raghuwanshi
770 views

Holi का त्योहार मौज मस्ती का त्योहार है, ये हमें जीवन के मूल्य, परम्पराएं, प्रकृति में बदलाव और न जाने कितना कुछ जानने का मिलता है, इस बार हम Holi को मौज मस्ती से मनाएंगे और कुछ मज़ेदार खेल भी साथ में खिलाएंगे।

Holi प्रकृति में उजागर हुई उमंग का त्योहार है। खुशियों का तथा मौज मस्ती का त्यौहार है। सर्दियों की जकड़न से गर्मी के खुलेपन की ओर बढ़ने का त्योहार है। आइए, बच्चों को Holi के इस त्यौहार के बारे में विस्तृत रूप से बताते हैं।

बच्चे Holi के त्योहार को बहुत उमंग और उत्साह के साथ मनाते हैं। जब भी Holi आती है तो इनका उत्साह देखते ही बनता है। रंग, पिचकारी, पानी से भरे गुब्बारे और बच्चे, इन्हीं सब से तो Holi खेलते हैं। लेकिन बच्चों को Holi के सही मायने बताना जरूरी है। Holi क्यों मनाई जाती है? इसका क्या महत्व है? Holi से जुड़ी पुरानी कथाएं कौन सी है? सही रूप में इसे कैसे मनाया जाता है, ये सभी बातें बच्चों को हम बताएंगे। 

त्योहार की अहमियत 

प्रत्येक त्योहार के पीछे एक पुरातत्विक परंपरा और कहानी जुड़ी होती है। त्योहार केवल मौज-मस्ती, लोगों से मिलने-जुलने व अच्छे पकवान खाने के लिए ही नहीं होते बल्कि इन त्योहारों का संबंध हमारी स्वास्थ्य ऋतु और इन पर पड़ने वाले प्रभाव से भी है। इसे हमें खुद समझना तथा बच्चों को समझाना जरूरी होता है। बच्चे हर चीज़ का कारण जानने के इच्छुक होते हैं। इसलिए त्योहार के पीछे की पारंपरिक परंपरा और उसकी कहानी भी बच्चों को सुनाएं।

होलिका दहन

Holika dahan

Holika dahan

सबसे पहले बात करें होलिका दहन की तो पेड़ों को काटकर हम ख़ुद तो Holi मना लेते हैं परंतु इससे प्रकृति को बहुत नुकसान होता है। बच्चों को समझाएं कि गोबर के छोटी-छोटी कंडे बनाकर उन कंडो की Holi जलाएं जिससे प्रकृति का संरक्षण होता है। कंडों को जलाने के साथ-साथ उसमें नीम,कपूर भी डालें जिससे प्रकृति स्वस्थ रहती है और वातावरण शुद्ध होता है।

मनुष्यों के साथ-साथ प्रकृति भी मनाती है Holi

Holi केवल हम नहीं मनाते बल्कि पूरी प्रकृति इसे मनाती है। Holi नए सीजन का भी प्रतीक है, क्योंकि यह प्रकृति में भी नयापन लाती है, पतझड़ के बाद Holi से ही प्रकृति फिर हरी-भरी हो जाती है।

Holi मनाने का वैज्ञानिक कारण भी बताया गया है। सर्दियों में हमारी त्वचा में रूखापन आ जाता है और साथ-साथ बेजान भी हो जाती है और पतझड़ के मौसम में ये रूखापन और बढ़ जाता है। पहले के समय में प्राकृतिक रंगों से Holi खेली जाती थी, उसके बाद जब नहाया जाता था तो त्वचा की मृत कोशिकाएं व रूखापन दूर हो जाता था।

Holi की पौराणिक कहानी

Holi के पीछे कई पौराणिक कहानियां है। जैसे-हिरण्यकशिपु व उसकी बहन होलिका की कथा। होलिका दहन का अर्थ बुराइयों को ख़त्म कर अच्छाई की जीत होना है। इस दिन माना जाता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। दूसरी कथा वृंदावन में कृष्ण और गोपियों की Holi की है, जिसमें Holi को प्रेम तथा उमंग का प्रतीक माना गया हैं। तीसरा कारण है फसल पक जाने पर किसान को होने वाली ख़ुशी को त्योहार के रूप में मनाना। इसलिए Holi सफलता और समृद्धि की प्रतीक है। 

घर पर बनाए रंग

Colours

Colours

आजकल रासायनिक वाले रंग बनाए जाते है, इस वजह से माता-पिता बच्चों को Holi खेलने से मना करते हैं। लेकिन बच्चों को Holi खेलने से रोकने के बजाय उनके साथ मिलकर Holi खेले।

इस Holi पर पारंपरिक व्यंजन बनाए

SAMACHARHUB RECOMMENDS

Leave a Comment