आजकल आए दिन अखबारों और पत्रिकाओं में environment के बुरे हाल उसके कुप्रभावों की खबरें भरी पड़ी हुई हैं, बिगड़ते पर्यावरण को लेकर भू विज्ञानियों से लेकर, सेहत विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक और पर्यावरणविद तक चिंतित और परेशान है।
इस समस्या से आम जनता भी कभी-कभी चिंतित हो उठती है। लेकिन थोड़ी देर चर्चा करने के बाद दूसरे लोगों को इसका दोषी ठहरा कर हम अपना कर्तव्य पूरा समझ लेते हैं और फिर सब कुछ भूल जाते हैं। जबकि इस युग की सबसे बड़ी समस्या environment का बिगड़ता हाल और पर्यावरण प्रदूषित है, जिसको संभालने की जिम्मेदारी हर एक नागरिक की है।
बात-बात में सरकार विशेषज्ञों और उद्योगपतियों को कोसने से कुछ नहीं होता। अगर हम सचमुच अपनी पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें शुरुआत अपने घर यानी सोसाइटी कॉम्प्लेक्स या गांव से ही करनी होगी।
कचरे का नियोजन
गीला या ऑर्गेनिक कचरा (जैसे कि गुठली, पत्ते या साग-सब्जियों के छिलके आदि) सूखा कचरा (जैसे कागज, प्लास्टिक, कांच, धातु आदि) अलग-अलग कूड़ेदान में डालना चाहिए। गीले कचरे को कॉम्प्लेक्स के बगीचे या लॉन में खाद की तरह इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
पानी का करें सदुपयोग
धरती पर पेयजल लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे में पानी का सदुपयोग करें तथा एक-एक बूंद पानी की बचत करना हमारा कर्तव्य है। टॉयलेट, किचन आदि का पानी रिसाइकिल करके कांपलेक्स के कॉमन एरिया की धुलाई या गार्डनिंग में काम ले सकते हैं, इससे काफी पानी की बचत की जा सकती है। बारिश के पानी को भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से इकट्ठा किया जा सकता है।
बिजली की बचत करें
फ्लैट या कांपलेक्स के जिन हिस्सों में रोशनी हो, वहां दिन के वक्त बल्ब आदि जलाकर न रखें। अगर कहीं बेवजह ट्यूब लाइट, पंखा,टीवी आदि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चल रहा हो तो उसे बंद कर देना चाहिए। एसी, हीटर, माइक्रोवेव, इंडक्शन, कुकर आदि ऐसे चुने जिनमें एनर्जी सेविंग फीचर मौजूद हो।
जागरूकता फैलाएं
समय-समय पर अपने मोहल्ले तथा हाउसिंग कांप्लेक्स में पर्यावरण को लेकर जागरूकता अभियान चलाएं। पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन करें और पर्यावरण रक्षा के तरीकों को लोगों को समझाएं।
आप भी बन सकते हैं environment रक्षक
अगर आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं, और सचमुच environment के लिए चिंतित रहते हैं, तो सिर्फ चिंता जता कर ना रह जाए बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक का कर्तव्य निभाते हुए खुद ग्रीन वॉरियर बन जाएं। आप बाजार में जब भी घर की साग-सब्जी या राशन लेने जाए तो प्लास्टिक के बैग का उपयोग ना करके घर के जूट या कपड़े की थैली का उपयोग करें। फल-सब्जियों के छिलके आदि कचरे के डिब्बे में ना डालें बल्कि एक जगह इकट्ठा करें और इन्हे किसी माली और ध्यान कर्मी या खेती करने वाले व्यक्ति को सौंप दें इससे अच्छी खाद बनती है।
हमें उपहार या अन्य चीजों की पैकिंग के लिए सेलोफिन पेपर (प्लास्टिक) का प्रयोग ना करके रेशमी कपड़े या साटन के रिबन का प्रयोग करना चाहिए। यह ना सिर्फ आकर्षक लगते हैं, बल्कि दोबारा भी इस्तेमाल हो सकते हैं। मिनिमलिस्ट बने। अनावश्यक सामान इकट्ठा करने तथा अधिक सामान खरीदने से बचें। हर चीज जरूरत के हिसाब से लें। हर चीज के उत्पादन में संसाधन खर्च होते हैं, जो धरती को खोखला करने के साथ पर्यावरण को भी किसी ना किसी रूप में नुकसान पहुंचाते हैं।