Fatty liver: खराब और गतिहीन जीवन शैली युवाओं की मोटापे का कारण बन सकती है। मोटापा एक ऐसी समस्या है जो एक या दो नहीं बल्कि अनगिनत बीमारियों को जन्म देता है, जिसमें फैटी लीवर जैसी गंभीर बीमारी भी शामिल है, जो मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच एक आम बीमारी बनती जा रही है।
फैटी लीवर एक मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, जो बहुत सारी समस्याओं कारण बनता जा रहा हैं, जैसे कि हाई ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर, मोटापा तथा असंतुलित कोलेस्ट्रोल स्तर आदि। ज्यादातर यही समस्या एक साथ होती है और फैटी लीवर के जोखिम को बढ़ाती है। डायग्नोसिस के लिए फैटी लीवर में एक सामान्य अल्ट्रा साइड की जरूरत पड़ती है। इसके अतिरिक्त लिवर डैमेज का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन से संबंधित कई टेस्ट किए जाते हैं।
क्या हो सकते हैं इसके लक्षण?
Fatty liver अतिरिक्त वसा के जमने के कारण होता है। ज्यादातर मरीजों में इस बीमारी के लक्षण नजर नहीं आते हैं। अक्सर इसके लक्षण तब नजर आने शुरू होते हैं जब लिवर संबंधी बीमारियां अधिक बढ़ने लगती हैं। इसके प्रमुख लक्षण भूख ना लगना, पीलिया, थकान और छोटी चोट में भी ब्लीडिंग आदि होते हैं। अतिरिक्त जमा हुआ वसा लिवर को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाता है, इसके बाद इस रोग से पीड़ित रोगियों को शराब नहीं पीने वालों को होने वाली स्टीटो हेपेहाइटिस (एनएएसएच) नाम की समस्या होती है और आखिरी मे यह सिरोसिस को जन्म देती है। इस रोग के एडवांस स्टेज में पहुंच जाने पर मरीज के दिमाग पर भी असर पड़ने लगता है, मरीज का दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता, मरीज अपना होश खोने लगता है। उसे कभी-कभी खून की उल्टियां होने लगती है। अगर फैटी लिवर का इलाज सही तरीके से ना किया जाए तो यह न केवल लीवर को पूरी तरह से डैमेज करता है, बल्कि लिवर कैंसर जैसे रोग उत्पन्न कर देता है।
क्या Fatty liver का इलाज हो सकता है?
इस बीमारी के ट्रीटमेंट में सबसे पहले रोगी को मोटापे को कम करने के लिए कहा जाता है और जितने भी रिस्क फैक्टर्स हैं, उन्हें कम करने को कहा जाता है। अगर इस रोग के मरीज को डायबिटीज है तो उसे भी कंट्रोल करने की आवश्यकता है। अगर थायराइड अनकंट्रोल्ड है तो उसे भी कंट्रोल करने के लिए कहा जाता है। इस रोग के रोगी को डाइट सुधारने और एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। अगर इन सभी उपायों को अपनाने के बाद भी फैट की मात्रा कम नहीं होती है तो फिर पेशेंट को दवाई दी जाती है। वही, लेट स्टेज में बीमारी का पता चलने पर यानी सिरोसिस या कैंसर की स्टेज में पता चलने पर लिवर ट्रांसप्लांट करना होता है।
क्या हैं सावधानियां?
Fatty liver का इलाज बीमारी के प्रमुख चरण पर निर्भर करता है। ग्रेट 1 फैटी लिवर बीमारी का पहला चरण होता है, जिसे हेल्दी लाइफ़स्टाइल जैसे कि नियमित एक्सरसाइज, डाइट कंट्रोल आदि की मदद से आसानी से ठीक किया जाता है। बीमारी का चरण जैसे-जैसे बढ़ने लगता है, वैसे-वैसे इसकी गंभीरता भी बढ़ती जाती है और लिवर डैमेज हो जाता है। इस बीमारी मे डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल स्तर को नियंत्रण में रखना भी बेहद असरदार साबित हो सकता है। इसके अतिरिक्त विटामिन,टीवी बीमारी को ठीक करने में असरदार है। लेकिन लिवर की बीमारी के एडवांस चरण में लिवर में ट्रांसप्लांट करना होता है।